मध्य पूर्व में इज़रायल और ईरान के बीच छिड़ी जंग अब किसी स्थानीय संघर्ष से कहीं ज्यादा बन चुकी है. इस टकराव की गूंज अब अमेरिका के दरवाज़े तक पहुंच गई है. एक ओर अमेरिका ने लड़ाई में कूदने के संकेत दिए हैं, वहीं दूसरी ओर ईरान ने भी यह साफ कर दिया है कि अगर अमेरिका युद्ध में शामिल होता है, तो वह खाड़ी क्षेत्र में अमेरिकी सैन्य ठिकानों को निशाना बनाने से पीछे नहीं हटेगा.
ईरान की तरफ से हाल ही में इज़रायल के कई बड़े शहरों पर मिसाइल हमले कर यह संदेश देने की कोशिश की गई है कि उसकी सैन्य क्षमता को हल्के में नहीं आंका जा सकता. इन हमलों में ईरान को एक हद तक कामयाबी भी मिली, जिससे उसका मनोबल और बढ़ा है.
अमेरिका की तैयारी और पेंटागन की रणनीति
ब्रिटिश अख़बार The Guardian की एक रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान के खिलाफ सैन्य कार्रवाई की योजनाओं को नीति स्तर पर मंजूरी तो दे दी है, लेकिन वास्तविक सैन्य आदेश अब तक नहीं जारी किया गया है. इसके बावजूद, पेंटागन पूरी सतर्कता के साथ यह आकलन कर रहा है कि अगर अमेरिका युद्ध में कूदता है, तो ईरान किस तरह से जवाबी हमला कर सकता है.
ऐसे हालात में अमेरिका ने खाड़ी क्षेत्र के अपने करीब 40,000 सैनिकों को हाई अलर्ट पर रखा है. ये सैनिक यूएई, सऊदी अरब, जॉर्डन जैसे रणनीतिक देशों में तैनात हैं, जो युद्ध की संभावित लकीर के काफी करीब हैं.
ईरान के जवाबी हमलों के संभावित विकल्प
ईरान के पास जवाब देने के कई तरीके हैं, लेकिन सबसे प्रभावशाली और खतरनाक विकल्प उसकी बैलिस्टिक मिसाइल ताकत है. हाल ही में इज़रायल पर सैकड़ों मिसाइलें दागकर ईरान यह दिखा चुका है कि वह न केवल हमले करने में सक्षम है, बल्कि सटीकता के साथ गहरी चोट पहुंचा सकता है.
वर्तमान में पश्चिम एशिया और उसके आस-पास अमेरिका के लगभग 20 प्रमुख सैन्य ठिकाने हैं. इनमें से अधिकतर ठिकाने ईरान की 'सेज्जिल-2' बैलिस्टिक मिसाइल की 2,000 किलोमीटर की सीमा के भीतर आते हैं. यह मिसाइल अमेरिका के इराक, सीरिया, और अन्य खाड़ी देशों में स्थित ठिकानों को आसानी से निशाना बना सकती है.
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि युद्ध की स्थिति बनी, तो ईरान सबसे पहले इराक और सीरिया के अमेरिकी बेस पर हमला कर सकता है. इसके बाद अरब प्रायद्वीप के अन्य क्षेत्रों में मौजूद अमेरिकी उपस्थिति पर उसकी नजर होगी.
अमेरिकी नौसेना और होर्मुज जलडमरूमध्य की अहम भूमिका
फिलहाल अमेरिका के दो विशाल विमानवाहक पोत पश्चिम एशिया में तैनात हैं और एक तीसरा पोत रास्ते में है. यह युद्धपोत, अपने भारी सैन्य बल और तकनीकी क्षमताओं के बावजूद, ईरानी मिसाइलों का प्रमुख लक्ष्य बन सकते हैं.
इसके अलावा, होर्मुज जलडमरूमध्य, जो फारस की खाड़ी को अरब सागर से जोड़ता है, ईरान के लिए एक रणनीतिक trump card है. अगर ईरान इस मार्ग को बंद या बाधित करता है, तो यह पूरी दुनिया की ऊर्जा आपूर्ति पर भारी असर डाल सकता है.
अमेरिकी मिसाइल डिफेंस की तैयारियां
ईरान की बैलिस्टिक मिसाइलों को रोकना आसान नहीं है—इसका अनुभव खुद इज़रायल हाल ही में कर चुका है. यही कारण है कि अमेरिका ने पैट्रियट मिसाइल डिफेंस सिस्टम और THAAD (Terminal High Altitude Area Defense) को खाड़ी क्षेत्र में तेजी से तैनात करना शुरू कर दिया है. इराक में एरबिल और ऐन अल-असद जैसे अहम अमेरिकी एयरबेस पर पैट्रियट बैटरियों को तैनात कर दिया गया है. साफ है कि अमेरिका युद्ध के मैदान में उतरने से पहले अपने सैनिकों और ठिकानों की सुरक्षा को पूरी तरह सुनिश्चित करना चाहता है.
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