भारत के पहले बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर पार कर लिया गया है. मुंबई-अहमदाबाद हाई-स्पीड रेल कॉरिडोर के तहत समुद्र के नीचे बनाई जा रही 21 किलोमीटर लंबी टनल का निर्माण पूरा हो चुका है. यह टनल बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स (BKC) से लेकर ठाणे के शिलफाटा तक फैली है.
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस प्रगति की तस्वीरें सार्वजनिक करते हुए निर्माण कार्य की गुणवत्ता और गति की सराहना की.
टेक्नोलॉजी और इन्फ्रास्ट्रक्चर
इस मेगाप्रोजेक्ट के तहत अभी तक लगभग 310 किलोमीटर वायाडक्ट (एलिवेटेड स्ट्रक्चर) का निर्माण भी पूरा किया जा चुका है. साथ ही, ट्रैक बिछाने, स्टेशन बनाने, ओवरहेड इलेक्ट्रिफिकेशन और ब्रिज निर्माण जैसे कार्यों में तेजी देखी जा रही है.
ट्रेन संचालन और नियंत्रण के लिए आवश्यक तकनीकी उपकरणों की खरीद प्रक्रिया भी समानांतर रूप से तेज़ी से चल रही है. महाराष्ट्र खंड में निर्माण कार्य सबसे तेज़ गति से प्रगति कर रहा है.
नेक्स्ट जनरेशन बुलेट ट्रेन: E10 शिंकानसेन
मुंबई-अहमदाबाद रूट पर जापान की नई पीढ़ी की E10 शिंकानसेन बुलेट ट्रेन का संचालन प्रस्तावित है. यह ट्रेन जापान में विकसित किए जा रहे E3 और E5 मॉडल्स का उन्नत संस्करण होगी, जो न केवल अधिक गति, बल्कि बेहतर ऊर्जा दक्षता और उन्नत सुरक्षा फीचर्स से लैस होगी.
E10 ट्रेन को भारत और जापान में एकसाथ पेश करने की सहमति बनी है, जिससे भारत को विश्व स्तरीय परिवहन तकनीक का सीधा लाभ मिलेगा.
2017 में रखी गई थी नींव
इस ऐतिहासिक प्रोजेक्ट की नींव 14 सितंबर 2017 को रखी गई थी, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जापान के तत्कालीन प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने अहमदाबाद में इसका उद्घाटन किया था.
508 किलोमीटर लंबा यह कॉरिडोर भारत में परिवहन की दिशा को बदलने वाला साबित हो सकता है. बुलेट ट्रेन की अधिकतम रफ्तार 350 किमी/घंटा होगी, जिससे मुंबई से अहमदाबाद तक का सफर महज तीन घंटे में तय किया जा सकेगा. अभी यह यात्रा दुरंतो ट्रेन से साढ़े पांच घंटे और अन्य ट्रेनों से सात से आठ घंटे में पूरी होती है.
प्रोजेक्ट की लागत और स्टेशन
इस महत्वाकांक्षी परियोजना की अनुमानित लागत ₹1.08 लाख करोड़ है. रूट पर 12 स्टेशन प्रस्तावित हैं:
मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना भारत के इंफ्रास्ट्रक्चर विजन में मील का पत्थर साबित हो सकती है. न केवल यह यातायात को अधिक तेज़, सुरक्षित और आरामदायक बनाएगी, बल्कि यह भारत-जापान के बीच तकनीकी सहयोग को भी नई ऊंचाई पर ले जाएगी.
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