और इन्हें कश्मीर चाहिए... पाकिस्‍तान के 11 मिलियन लोगों में भुखमरी, UN ने खोली 'भिखारी मुल्क' की पोल

    एक ओर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ दुनिया भर में भारत को लेकर बयानबाज़ी कर रहे हैं, दूसरी ओर संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट ने पाकिस्तान की आंतरिक स्थिति की भयावह तस्वीर दुनिया के सामने रख दी है.

    11 million people in Pakistan are starving UN exposes
    प्रतीकात्मक तस्वीर/Photo- FreePik

    इस्लामाबाद: एक ओर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ दुनिया भर में भारत को लेकर बयानबाज़ी कर रहे हैं, दूसरी ओर संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट ने पाकिस्तान की आंतरिक स्थिति की भयावह तस्वीर दुनिया के सामने रख दी है. इस रिपोर्ट से साफ हो गया है कि पाकिस्तान में करोड़ों लोग भूख से जूझ रहे हैं, और वहां की सरकार अपनी जनता को दो वक्त की रोटी तक नहीं दे पा रही, बावजूद इसके वह भारत जैसे पड़ोसी देश से युद्ध की बात करता है.

    11 मिलियन से ज्यादा पाकिस्तानी भूखे

    संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (FAO) द्वारा हाल ही में जारी की गई "ग्लोबल रिपोर्ट ऑन फूड क्राइसेस 2025" में पाकिस्तान की स्थिति बेहद चिंताजनक बताई गई है. रिपोर्ट के मुताबिक, बलूचिस्तान, सिंध और खैबर पख्तूनख्वा के बाढ़ प्रभावित इलाकों में 1.1 करोड़ से अधिक लोग गंभीर खाद्य असुरक्षा से जूझ रहे हैं.

    इनमें से लगभग 17 लाख लोग ऐसे हैं जिनकी हालत आपातकाल जैसी हो चुकी है, यानी इन लोगों को हर दिन भोजन की उपलब्धता को लेकर जीवन-मृत्यु का संघर्ष करना पड़ रहा है. रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि 2024 की तुलना में 2025 में भूख की स्थिति में 38% की बढ़ोतरी हुई है — ये आंकड़े पाकिस्तान की नीतियों की असफलता को उजागर करते हैं.

    भारत से युद्ध, लेकिन घर में अनाज नहीं

    ऐसे समय में जब पाकिस्तान की एक तिहाई ग्रामीण आबादी भुखमरी की कगार पर है, वहां की सरकार की ओर से भारत के खिलाफ युद्ध जैसी बयानबाज़ी केवल एक राजनीतिक नाटक से अधिक कुछ नहीं लगती.

    जहां भारत आज दुनिया में खाद्य सुरक्षा का विश्वसनीय स्तंभ बनकर उभरा है और संकट में घिरे देशों की मदद कर रहा है, वहीं पाकिस्तान अंदरूनी अव्यवस्था और गरीबी में बुरी तरह उलझा हुआ है.

    भूख के पीछे असली वजहें

    पाकिस्तान में बढ़ती भुखमरी की जड़ में सिर्फ आर्थिक तंगी नहीं, बल्कि जलवायु परिवर्तन, गंभीर प्रशासनिक लापरवाही और नीतिगत अस्थिरता भी प्रमुख कारक हैं. रिपोर्ट बताती है कि ग्रामीण समुदाय सबसे ज्यादा प्रभावित हैं, जहां खाद्य और पोषण संकट महामारी का रूप ले चुका है.

    पाकिस्तान में Global Acute Malnutrition (GAM) का स्तर 30% से ऊपर पहुंच चुका है, जो वैश्विक स्तर पर "जानलेवा कुपोषण" की श्रेणी में आता है. अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार, 10% से अधिक GAM स्तर को "सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल" माना जाता है, लेकिन पाकिस्तान में यह आंकड़ा उससे तीन गुना है.

    भूख से त्रस्त, सरकार से निराश

    FAO की रिपोर्ट में बलूचिस्तान और सिंध के हालात सबसे गंभीर बताए गए हैं. 2023 के अंत और 2024 की शुरुआत के बीच, इन इलाकों में लगभग 11.8 मिलियन लोग (32% ग्रामीण जनसंख्या) तीव्र खाद्य संकट का सामना कर रहे थे. इनमें से 22 लाख लोग ऐसे स्तर पर पहुंच चुके हैं जिसे IPC Phase 4 कहा जाता है – यानी वह स्थिति जहां इंसान की बुनियादी जरूरतें भी पूरी नहीं हो पा रही हों.

    जलवायु आपदाएं जैसे बाढ़, सूखा और तापमान में असमानता यहां की आजीविका को लगातार नष्ट कर रही हैं. खेती बर्बाद हो चुकी है, और मवेशी मरते जा रहे हैं. इन इलाकों में खाद्य सामग्री तक पहुंच भी संभव नहीं हो पा रही.

    दुनियाभर में शर्मिंदगी का कारण

    इस रिपोर्ट ने न केवल पाकिस्तान के भुखमरी की हकीकत उजागर की है, बल्कि यह भी दिखाया है कि दुनिया आज पाकिस्तान को एक कमजोर, अस्थिर और असहाय राष्ट्र के रूप में देख रही है. ऐसे में वैश्विक मंचों पर भारत के खिलाफ आवाज उठाना, और युद्ध का वातावरण बनाना, पाकिस्तान के लिए केवल एक "ध्यान भटकाने की रणनीति" साबित हो रहा है.

    भारत की तुलना में कहां खड़ा है पाकिस्तान?

    भारत ने COVID-19 संकट के दौरान और रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच कई देशों को चावल, गेहूं, दाल और वैक्सीन जैसी आवश्यक वस्तुएं भेजीं.

    वहीं, पाकिस्तान खुद अपने नागरिकों को राशन कार्ड के माध्यम से भी पर्याप्त भोजन देने में नाकाम साबित हुआ है.

    भारत जहां भविष्य के लिए खाद्य आपूर्ति श्रृंखला को मज़बूत करने की दिशा में काम कर रहा है, वहीं पाकिस्तान अपने नागरिकों को भूखा रखकर सैन्य प्रदर्शन पर धन बर्बाद कर रहा है.

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