दक्षिणी जापान के टोकारा द्वीप समूह में पिछले कुछ दिनों से ज़मीन लगातार कांप रही है, जिससे स्थानीय लोग ही नहीं, पूरे देश में बेचैनी फैल गई है. कभी शांत माने जाने वाले इन द्वीपों में 21 जून के बाद से अब तक एक हज़ार से अधिक भूकंप आ चुके हैं. भले ही इन भूकंपों की तीव्रता ज़्यादातर मामूली रही हो, लेकिन इनकी लगातार बढ़ती संख्या ने खतरे की घंटी बजा दी है.
टोकारा द्वीपों में हो रही इस असामान्य भूकंपीय गतिविधि ने जापान की मशहूर भविष्यवक्ता रियो तात्सुकी की उस भविष्यवाणी को फिर से चर्चा में ला दिया है जिसमें उन्होंने 5 जुलाई 2025 को एक विशाल प्राकृतिक आपदा की चेतावनी दी थी. लोगों का डर और बढ़ गया है, क्योंकि अब उस तारीख़ में कुछ ही घंटे बचे हैं.
23 जून को दिनभर में 183 झटके
प्रशांत महासागर के 'रिंग ऑफ फायर' पर स्थित टोकारा द्वीप समूह पहले भी भूगर्भीय गतिविधियों के लिए जाना जाता रहा है, लेकिन वैज्ञानिकों का कहना है कि इस बार की घटनाएं सामान्य नहीं हैं. जापान मौसम विज्ञान एजेंसी के मुताबिक, 21 जून के बाद से गतिविधियां तेज़ हुईं और 23 जून को दिनभर में 183 झटकों के साथ चरम पर पहुंच गईं.
क्यूशू के दक्षिण में स्थित इन द्वीपों की ज़मीन कई टेक्टोनिक प्लेटों के मिलन बिंदु पर है. विशेषज्ञों का मानना है कि समुद्र के भीतर लगातार बन रहे दबाव और फॉल्ट लाइनों में तनाव के कारण यह स्थिति उत्पन्न हो रही है. कुछ भूवैज्ञानिकों ने तो यह भी आशंका जताई है कि यह किसी बड़े भूगर्भीय बदलाव का संकेत हो सकता है, जो निकट भविष्य में विनाशकारी साबित हो सकता है.
1995 के कोबे भूकंप के बाद सबसे गंभीर घटनाक्रम
यह खतरा महज़ आंकड़ों तक सीमित नहीं है, क्योंकि टोकारा के सात द्वीपों पर रहने वाले लगभग 700 निवासियों के लिए यह भय एक हकीकत बन चुका है. हर घंटे महसूस हो रहे झटकों ने उनकी दिनचर्या को अस्त-व्यस्त कर दिया है. कई स्कूलों और घरों में कंपन से खिड़कियां और दीवारें थरथरा उठती हैं. अकुसेकी द्वीप पर जब भूकंप की तीव्रता जापान के शिंदो पैमाने पर स्तर 6 तक पहुंची—जहां खड़े रहना भी मुश्किल हो जाता है—तो अधिकारियों को लोगों की अस्थायी निकासी के आदेश देने पड़े, हालांकि बाद में स्थिति सामान्य होते ही इन्हें वापस ले लिया गया.
हालांकि ज्वालामुखीय इलाकों में हल्की-फुल्की भूकंपीय गतिविधियां आम हैं, लेकिन टोकारा में इस साल का घटनाक्रम 1995 के कोबे भूकंप के बाद सबसे गंभीर माना जा रहा है. सरकारी एजेंसियों और भूकंप विशेषज्ञों ने आगाह किया है कि अगले 30 वर्षों में जापान को एक बार फिर बड़े भूकंप का सामना करना पड़ सकता है, जिसकी संभावना 75 से 82 प्रतिशत के बीच आंकी गई है. ऐसे में टोकारा में जारी कंपन को हल्के में नहीं लिया जा सकता.
रियो तात्सुकी की भविष्यवाणी चाहे मान्य हो या न हो, लेकिन भूकंप की तीव्रता, उनकी संख्या और लगातार बढ़ते डर ने जापान में एक अनकही बेचैनी को जन्म दे दिया है. अब सबकी निगाहें 5 जुलाई की तारीख पर टिकी हैं—एक तारीख जो उम्मीद है केवल एक और दिन बनकर गुज़र जाए, न कि इतिहास में किसी त्रासदी के रूप में दर्ज हो.
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