ईरान में एक अजीब संतुलन सा पैदा हुआ है—जहां 57.4% आबादी इजराइल के खिलाफ भविष्य में लड़ाई के लिए तैयार दिखती है, वहीं दहशत असल में हथियारों से नहीं, बल्कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से पैदा हो रही है. यह खुलासा जून 2025 में ईरानी सरकारी ब्रॉडकास्टिंग एजेंसी IRIB द्वारा कराए गए सर्वे में सामने आया, जिसमें 32 शहरों के करीब 4,943 लोगों ने भाग लिया.
सोशल मीडिया की भूमिका पर सवाल
सर्वे के परिणाम बताते हैं कि 77 फीसदी ईरानी अपने देश की मिसाइल और ड्रोन स्ट्राइक पर गर्व महसूस करते हैं. पानी की तरह बह रही यह गर्व की भावना 80 फीसदी ने ईरानी फौज की ताकत को मजबूत मानकर दोहराई. लेकिन इन आंकड़ों के बीच एक आश्चर्य की बात यह रही कि मात्र 13.7 फीसदी लोग ईरान और इजराइल के बीच युद्धविराम को लेकर आश्वस्त नजर आए.
गेहें आंकड़े इसके बाद आए जब लोगों से सोशल मीडिया की भूमिका पर सवाल किया गया. आशंका इस बात की बढ़कर सामने आई कि इंस्टाग्राम, व्हाट्सऐप और टेलीग्राम जैसी ऐप्लिकेशनें ईरानियों की गतिविधियों पर नजर रखने और जासूसी का एक माध्यम बन गई हैं. सर्वे के अनुसार 68.2 फीसदी लोगों को ये प्लेटफॉर्म असल में पश्चिमी ताकतों और इजराइल की खुफिया योजनाओं के लिए इस्तेमाल हो रहे हैं.
बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम और मजबूत बनाना चाहिए
इस सुरक्षा की कसौटी पर ईरान का एयर डिफेंस सिस्टम खरा उतरा. करीब 69.8 फीसदी जनता ने माना कि इजराइली मिसाइलों और ड्रोन को नष्ट करने में उनकी वायु रक्षा प्रणाली का प्रदर्शन बेहद प्रभावशाली रहा. इसी विश्वास के तहत 89.5 फीसदी ईरानियों ने समर्थन जताया कि देश को बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम और मजबूत बनाना चाहिए; 85 फीसदी ने स्पष्ट रूप से कहा कि इस क्षेत्र में प्रतिबंध न लगाए जाएं.
ये भी पढ़ेंः चीन चुपचाप तैयार कर रहा 'रोबोटिक फौज', UGV को लेकर भारत के अरुणाचल प्रदेश में क्यों बढ़ी चिंता?