नई दिल्लीः 1 फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक नए आयकर कानून को पेश करने की योजना का ऐलान किया, जो पिछले 60 वर्षों से लागू आयकर कानून को बदल देगा. यह खबर कई लोगों के लिए जिज्ञासा और चिंता का कारण बनी है, खासकर मध्य वर्ग के बीच, जो यह जानना चाहते हैं कि नए कानून में क्या बदलाव आएंगे.
वित्त सचिव ने क्या बताया?
इस बारे में किसी भी चिंता को दूर करने के लिए वित्त सचिव तुहिन कांता पांडे ने सरकार की मंशा स्पष्ट की. उन्होंने आश्वासन दिया कि नया आयकर कानून मौजूदा प्रणाली को प्रभावित नहीं करेगा, बल्कि इसे सरल बनाने का प्रयास किया जाएगा. पांडे ने कहा, "कानून केवल कानूनी विशेषज्ञों के लिए नहीं होते, बल्कि हर नागरिक के लिए होते हैं, ताकि वह उन्हें समझ सके." यह नया कानून सीधे और समझने में आसान होगा. सरकार ने पिछले 6 महीनों में एक ऐसा बिल तैयार किया है, जो पुराने कानून के मुकाबले सरल भाषा में और कम जटिल होगा.
जल्द ही कैबिनेट बैठक में चर्चा के लिए लाया जाएगा बिल
इसके अलावा, यह नया कानून 2025-26 के केंद्रीय बजट में आयकर दरों, स्लैब और टीडीएस (टैक्स डिडक्टेड एट सोर्स) प्रावधानों में किए गए बदलावों को भी शामिल करेगा. वित्त मंत्री सीतारमण ने यह पुष्टि की कि प्रस्तावित बिल, जो 1961 के आयकर अधिनियम को बदल देगा, जल्द ही कैबिनेट बैठक में चर्चा के लिए लाया जाएगा. महत्वपूर्ण बात यह है कि इस नए बिल में करदाताओं पर कोई नया कर या अतिरिक्त बोझ नहीं डाला जाएगा. इसका उद्देश्य कर प्रणाली को और अधिक प्रभावी और करदाता-अनुकूल बनाना है.
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