'आतंक और हिंसा की साजिश', NIA ने नक्सल भर्ती मामले में दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, UP में मारे छापे

    छापेमारी RC-01/2023/NIA-LKW मामले का हिस्सा है और नक्सल कैडर और ओवर ग्राउंड वर्कर्स (OGW) के परिसरों को निशाना बनाया गया.

    'आतंक और हिंसा की साजिश', NIA ने नक्सल भर्ती मामले में दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, UP में मारे छापे
    एनआईए अधिकारियों की प्रतीकात्मक तस्वीर, फाइल फोटो.

    नई दिल्ली : राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने शुक्रवार को प्रतिबंधित संगठन के नेताओं से जुड़े नक्सल भर्ती मामले के सिलसिले में चार राज्यों में छापेमारी की, एजेंसी ने इसकी जानकारी दी है.

    जिन चार राज्यों में छापेमारी की गई, वे पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और दिल्ली हैं.

    नक्सल कैडर और ओवर ग्राउंड वर्कर्स को निशाना बनाया

    ये छापेमारी अभी भी जारी है, जो RC-01/2023/NIA-LKW मामले का हिस्सा है और नक्सल कैडर और ओवर ग्राउंड वर्कर्स (OGW) के परिसरों को निशाना बनाया गया.

    एनआईए की जांच से पता चला है कि कई फ्रंटल संगठनों और छात्र विंग को भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने के उद्देश्य से नक्सल विचारधारा का प्रचार करने के साथ-साथ कैडरों को प्रेरित करने और भर्ती करने का काम सौंपा गया है.

    एनआईए के अनुसार, आरोपियों ने इस एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए आतंक और हिंसा की वारदातों को अंजाम देने की साजिश रची.

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    पिछले साल यूपी में छापेमारी कर सीपीआईएम पर कसी थी नकेल

    पिछले साल 6 सितंबर को, एनआईए ने उत्तर प्रदेश में छापेमारी करके प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन सीपीआई (माओवादी) को पुनर्जीवित करने के नक्सली नेताओं और कार्यकर्ताओं के प्रयासों पर भी नकेल कसी थी. ये छापे उत्तर प्रदेश के प्रयागराज, चंदौली, वाराणसी, देवरिया और आजमगढ़ जिलों में आठ स्थानों पर आरोपियों और संदिग्धों के ठिकानों पर मारे गए थे.

    मोबाइल फोन, लैपटॉप, पेन ड्राइव, कॉम्पैक्ट डिस्क और मेमोरी कार्ड सहित कई डिजिटल डिवाइस जब्त किए गए, साथ ही सिम कार्ड, नक्सल साहित्य, किताबें, पर्चे, पॉकेट डायरी, मनी रसीद बुक और अन्य आपत्तिजनक दस्तावेज भी जब्त किए गए. उस समय एनआईए की जांच से संकेत मिला कि कई फ्रंटल संगठनों और छात्र विंग को भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने के इरादे से सीपीआई (माओवादी) की विचारधारा का प्रचार करने के साथ-साथ कैडरों को प्रेरित करने और भर्ती करने का काम सौंपा गया था.

    आरोपी इस एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए आतंक और हिंसा की वारदातों को अंजाम देने की साजिश रच रहे थे. जांच से यह भी पता चला है कि प्रमोद मिश्रा आतंकी संगठन को पुनर्जीवित करने के प्रयासों में सीपीआई (माओवादी) के कैडरों, समर्थकों और ओजीडब्ल्यू का नेतृत्व कर रहा था.

    2023 में बिहार पुलिस ने की थीं गिरफ्तारियां

    इससे पहले, अगस्त 2023 में, बिहार पुलिस ने रितेश विद्यार्थी के भाई रोहित विद्यार्थी को गिरफ्तार किया था, जिनकी पत्नी का नाम मामले से संबंधित एफआईआर में है. रोहित से पूछताछ के बाद राज्य पुलिस ने सीपीआई (माओवादी) के उत्तरी क्षेत्रीय ब्यूरो (एनआरबी) के प्रभारी और सीसी सदस्य प्रमोद मिश्रा को गिरफ्तार किया.

    इन गिरफ्तारियों के बाद, राज्य पुलिस ने हथियार, गोला-बारूद और एक बंदूक कारखाने को जब्त किए, जहां हथियारों के पुर्जे बनाने और बिहार और उत्तर प्रदेश में देशी आग्नेयास्त्रों को इकट्ठा करने का एक खराद बनाया गया था.

    एनआईए की दर्ज एफआईआर में इन लोगों का नाम है शामिल

    इस मामले के संबंध में एनआईए द्वारा पहले दर्ज की गई प्राथमिकी में आरोपी मनीष आजाद और रितेश विद्यार्थी के साथ-साथ उनके सहयोगियों विश्वविजय, विश्वविजय की पत्नी सीमा आजाद, मनीष आजाद की पत्नी अमिता शिरीन, कृपा शंकर, रितेश विद्यार्थी की पत्नी सोनी आजाद का नाम शामिल है. आकांक्षा आज़ाद और राजेश आज़ाद को सीपीआई (माओवादी) के पुनरुद्धार प्रयासों को आगे बढ़ाने के लिए काम करने वाले प्रमुख व्यक्ति बताया गया है.

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