प्रयागराज : महाकुंभ में पेशवाई रथ पर बैठने के बाद चर्चा में आई हर्षा रिछारिया ने जान देने की धमकी दी है. उन्होंने कहा कि उनकी फोटो एआई से एडिट कर कुछ लोग बदनाम करने में लगे हैं, मैं उनका नाम लिखकर जान दूंगी. ऐसे लोगों को उन्होंने धर्म विरोधी कहा है.
"जिस दिन मैं टूट गई, सबके नाम लिखकर जाऊंगी"
मंगलवार शाम हर्षा ने इंस्टाग्राम पर 2 मिनट 13 सेकंड का वीडियो शेयर किया. इसमें वे भावुक होकर कहती हैं, "महादेव ने मुझे जितनी हिम्मत दी है, मैं उतना संघर्ष करूंगी. लेकिन अगर किसी दिन मैं टूट गई, तो सबके नाम लिखकर जाऊंगी कि किसने मेरे साथ क्या किया."
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उन्होंने कहा, "मैंने महाकुंभ में प्रतिज्ञा ली थी कि हिंदुत्व के लिए काम करूंगी, युवाओं को जागरूक करूंगी, लेकिन कुछ लोग मुझे आगे बढ़ने से रोक रहे हैं. रोज़ मुझे सैकड़ों धमकी भरे मेल और मैसेज मिल रहे हैं."
"मैंने कभी नहीं कहा कि मैं साध्वी हूं"
हर्षा ने वीडियो में सफाई देते हुए कहा, "मेरे पुराने वीडियो वायरल कराए गए. मेरी ही पहचान के कुछ लोगों ने ये सब किया. कहा गया कि ये पहले क्या थी और अब कैसे साध्वी बन गई? लेकिन मैं साफ कर दूं, मैंने कभी नहीं कहा कि मैं साध्वी हूं. मेरा पहले एक प्रोफेशन था, जिसमें मैं काम करती थी."
"अब तो ये लोग इस हद तक गिर चुके हैं कि AI से मेरे फेक वीडियो एडिट कर वायरल कर रहे हैं. पिछले 10-15 दिनों से यह सिलसिला जारी है. रोज़ मुझे 25-30 मैसेज आते हैं कि आपके फेक वीडियो सर्कुलेट किए जा रहे हैं, आपकी बदनामी की जा रही है."
पेशवाई के रथ पर बैठने के बाद ट्रोलिंग शुरू हुई
4 जनवरी को महाकुंभ के लिए निरंजनी अखाड़े की पेशवाई निकली थी, जिसमें हर्षा संतों के साथ रथ पर बैठी नजर आईं. जब पत्रकारों ने उनसे साध्वी बनने पर सवाल किया, तो उन्होंने कहा था, "मैंने सुकून की तलाश में यह जीवन चुना है. मैंने वह सब छोड़ दिया, जो मुझे आकर्षित करता था."
इसके बाद मीडिया और सोशल मीडिया पर उनकी जमकर चर्चा हुई. कुछ मीडिया चैनलों ने उन्हें 'सुंदर साध्वी' का नाम भी दिया, जिससे ट्रोलर्स ने उन्हें निशाना बनाना शुरू कर दिया.
धर्मगुरु भी नाराज, आनंद स्वरूप महाराज बोले- "पेशवाई में मॉडल को रथ पर बैठाना गलत"
जब मामला तूल पकड़ने लगा, तो आनंद स्वरूप महाराज ने वीडियो जारी कर कहा, "पेशवाई के दौरान एक मॉडल को रथ पर बैठाना उचित नहीं था. इससे समाज में गलत संदेश जाता है. धर्म को प्रदर्शन का हिस्सा बनाना खतरनाक है. साधु-संतों को इससे बचना चाहिए, वरना गंभीर परिणाम भुगतने होंगे."
इसके बाद धर्मगुरुओं में भी इस मुद्दे पर बहस छिड़ गई और वार-पलटवार का सिलसिला चल पड़ा.
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अखाड़े का पंडाल छोड़ा, अब अखाड़ा परिषद अध्यक्ष के संरक्षण में
20 जनवरी को हर्षा ने कैलाशानंद महाराज का पंडाल छोड़ दिया और अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रविंद्र पुरी के संरक्षण में आ गईं. उन्होंने रविंद्र पुरी को 'पिता समान' बताया, जबकि रविंद्र पुरी ने चुनरी ओढ़ाकर उनका स्वागत किया.
इंस्टाग्राम पर 10 लाख फॉलोअर्स, धार्मिक कंटेंट शेयर करती हैं
मूल रूप से भोपाल, मध्य प्रदेश की रहने वाली हर्षा फिलहाल उत्तराखंड में रहती हैं. वे पीले वस्त्र, रुद्राक्ष माला और माथे पर तिलक लगाकर धार्मिक और आध्यात्मिक विषयों पर वीडियो बनाती हैं. इंस्टाग्राम पर उनके 10 लाख से ज्यादा फॉलोअर्स हैं.
अब क्या होगा?
हर्षा का यह बयान सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है. देखना होगा कि प्रशासन इस मामले में कोई एक्शन लेता है या नहीं और क्या ट्रोलिंग का यह सिलसिला थमेगा?
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