दिल्ली विधानसभा में सीएम रेखा गुप्ता ने पेश की CAG रिपोर्ट, शराब नीति पर कई बड़े खुलासे

दिल्ली विधानसभा में मंगलवार को शराब नीति से जुड़ी सीएजी (कंट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल) रिपोर्ट प्रस्तुत की गई.

CM Rekha Gupta presented CAG report in Delhi Assembly
सीएम रेखा गुप्ता | Photo: ANI

नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा में मंगलवार को शराब नीति से जुड़ी सीएजी (कंट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल) रिपोर्ट प्रस्तुत की गई. मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने इस रिपोर्ट को सदन के समक्ष रखा. इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने इस रिपोर्ट को लेकर गंभीर चिंता व्यक्त की और कहा कि पिछली सरकार ने जानबूझकर इसे छिपाने का प्रयास किया. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि हाई कोर्ट के आदेश के बावजूद, सरकार ने संविधान और नियमों का उल्लंघन किया.

क्या बोले विधानसभा अध्यक्ष?

इस रिपोर्ट में दिल्ली की शराब नीति-2024 का उल्लेख था, जिसे सीएजी द्वारा जांचा गया था. विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने कहा, "यह देखकर काफी आश्चर्य हुआ कि 2017-18 के बाद से सीएजी रिपोर्ट विधानसभा में कभी पेश नहीं की गई. इस मुद्दे को लेकर हमने खुद राष्ट्रपति, विधानसभा अध्यक्ष, मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव से अनुरोध किया था, ताकि राज्य की वित्तीय स्थिति को समझा जा सके. लेकिन दुर्भाग्यवश, सीएजी रिपोर्ट को पेश नहीं किया गया, जिससे यह स्पष्ट होता है कि पिछली सरकार ने संविधान का उल्लंघन किया."

इस रिपोर्ट को लेकर राजनीतिक हलकों में चर्चा तेज

बीजेपी ने पहले ही वादा किया था कि चुनाव के बाद पहले सत्र में सीएजी रिपोर्ट पेश की जाएगी, और अब जाकर यह रिपोर्ट सदन में प्रस्तुत की गई है. इस रिपोर्ट को लेकर राजनीतिक हलकों में चर्चा तेज हो गई है, क्योंकि यह रिपोर्ट दिल्ली सरकार की वित्तीय स्थिति और शराब नीति को लेकर महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करती है.

रिपोर्ट में शराब नीति से संबंधित बड़े वित्तीय नुकसान का खुलासा

रिपोर्ट में बताया गया है कि दिल्ली सरकार को शराब नीति से संबंधित 941.53 करोड़ रुपये का राजस्व नुकसान हुआ है. यह नुकसान मुख्य रूप से उन "नॉन-कंफर्मिंग म्यूनिसिपल वार्ड्स" में शराब की दुकानों के संचालन में देरी और असमंजस के कारण हुआ है, जहां शराब की दुकानों को खोलने के लिए भूमि उपयोग मानदंडों का पालन नहीं किया गया था.

मुख्यमंत्री द्वारा विधानसभा में प्रस्तुत की गई इस रिपोर्ट के अनुसार, "नॉन-कंफर्मिंग क्षेत्र" वे स्थान हैं, जहां शराब की दुकानों के लिए निर्धारित भूमि उपयोग दिशानिर्देशों का पालन नहीं किया गया. रिपोर्ट में कहा गया है कि आबकारी विभाग को इन क्षेत्रों से लाइसेंस शुल्क के रूप में लगभग 890.15 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. इसका कारण यह था कि इन क्षेत्रों में लाइसेंस के लिए सही समय पर आवेदन नहीं किए गए और विभाग ने इन क्षेत्रों के लिए फिर से टेंडर जारी करने में भी विफलता का सामना किया.

इसके अलावा, रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि कोविड महामारी के कारण लागू किए गए बंद के दौरान लाइसेंसधारियों को दी गई अनियमित छूटों के कारण 144 करोड़ रुपये का अतिरिक्त राजस्व नुकसान हुआ.

ये भी पढ़ेंः 'हिंदुओं पर हो रहे हमले से भारत का कोई लेना-देना नहीं', जयशंकर के किस बयान पर बौखलाया बांग्लादेश?