नई दिल्ली: संसद में बजट सत्र के पांचवे दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महाकुंभ 2025 को भारतीय एकता, सांस्कृतिक गौरव और राष्ट्रीय चेतना का प्रतीक बताया. उन्होंने कहा कि यह आयोजन न केवल आध्यात्मिक शक्ति का स्रोत बना, बल्कि देश की एकजुटता और भविष्य की दिशा को भी स्पष्ट किया.
महाकुंभ: भारत की शक्ति और संकल्प का प्रतिबिंब
अपने संबोधन में पीएम मोदी ने कहा कि महाकुंभ ने भारत की शक्ति और सामूहिक चेतना को एक नए आयाम तक पहुंचाया. उन्होंने महाकुंभ की तुलना 1857 के स्वतंत्रता संग्राम, भगत सिंह की शहादत, नेताजी सुभाष चंद्र बोस के 'दिल्ली चलो' नारे और गांधीजी के दांडी मार्च से करते हुए कहा कि यह आयोजन भी देश को एक सूत्र में बांधने वाला क्षण बना.
उन्होंने कहा, "जब विभिन्न प्रांतों, भाषाओं और संस्कृतियों के लोग प्रयागराज में संगम पर एक साथ उद्घोष करते हैं, तो 'एक भारत, श्रेष्ठ भारत' की भावना साकार होती है."
महाकुंभ से निकले 'अमृत' और राष्ट्र निर्माण
पीएम मोदी ने महाकुंभ को केवल एक धार्मिक आयोजन से आगे बढ़ाकर राष्ट्रीय पुनर्जागरण का प्रतीक बताया. उन्होंने कहा कि इस कुंभ से अनेक 'अमृत' निकले हैं, जो भारत के भविष्य को संवारने में अहम भूमिका निभाएंगे—
सांस्कृतिक एकता का अमृत: महाकुंभ ने यह सिद्ध किया कि भारत की विविधता में ही उसकी ताकत है.
पर्यावरण चेतना का अमृत: नदियों और जल स्रोतों को बचाने के लिए इसे एक राष्ट्रीय आंदोलन के रूप में देखने की जरूरत है.
आध्यात्मिकता और आधुनिकता का संगम: युवाओं को अपनी परंपराओं पर गर्व करने और उन्हें आधुनिक दृष्टिकोण के साथ आत्मसात करने का अवसर मिला.
युवाओं को परंपराओं से जोड़ने का संदेश
प्रधानमंत्री ने विशेष रूप से युवा पीढ़ी से अपील की कि वे ऐसे आयोजनों से जुड़ें और भारत की सांस्कृतिक विरासत को गर्व के साथ अपनाएं. उन्होंने कहा, "आज का युवा अपने इतिहास, परंपराओं और आध्यात्मिक धरोहर को केवल अतीत के अवशेष के रूप में नहीं, बल्कि भविष्य के प्रेरणास्रोत के रूप में देख रहा है."
महाकुंभ की गूंज मॉरिशस तक
पीएम मोदी ने बताया कि हाल ही में मॉरिशस दौरे पर वह त्रिवेणी संगम से पावन जल लेकर गए थे. जब इसे मॉरिशस के गंगा तालाब में अर्पित किया गया, तो वहां एक अद्भुत श्रद्धा और उत्साह का माहौल था. उन्होंने कहा कि यह हमारी संस्कृति और परंपराओं के वैश्विक प्रभाव को दर्शाता है.
राम मंदिर से महाकुंभ तक: भारत का पुनर्जागरण
प्रधानमंत्री मोदी ने अयोध्या में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा का भी उल्लेख किया और कहा कि भारत अगले 1000 वर्षों के लिए एक नई दिशा में आगे बढ़ रहा है. उन्होंने महाकुंभ को भारतीय संस्कृति, चेतना और शक्ति का विराट प्रदर्शन बताया.
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