प्रयागराज (उत्तर प्रदेश) : उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ में चाय बेचने वाले और तपस्वी बने "चाय वाले बाबा" पिछले 40 सालों से बिना कुछ खाए-पीए और बिना कुछ बोले सिविल सेवा उम्मीदवारों को फ्री कोचिंग दे रहे हैं.
दिनेश स्वरूप ब्रह्मचारी के नाम से मशहूर बाबा ने मौन रहने और भोजन से परहेज करने की कसम खाई है, वे हर दिन केवल 10 कप चाय पर जीवित रहते हैं और व्हाट्सएप के माध्यम से छात्रों का मार्गदर्शन करते हैं.
यह भी पढे़ं : Viral Video : पाकिस्तान में कार चलाती बुजुर्ग महिला के सम्मान में बरसे कमेंट्स, 2 करोड़ से ज्यादा व्यूज
सिविल सेवा अभ्यर्थी राकेश सिंह ने कही ये बात
सिविल सेवा उम्मीदवार राजेश सिंह ने कहा, "मैं लगभग 4-5 सालों से महाराज जी से जुड़ा हुआ हूं. हम उनके शिष्य हैं. समय-समय पर, जब भी हमें उनकी मदद की आवश्यकता होती है, वे हमारा मार्गदर्शन करते हैं."
उन्होंने आगे बताया, "भाषा को एक माध्यम की आवश्यकता होती है, जो लिखित या मौखिक हो सकती है, और कोई भी इसे गैर-मौखिक नहीं कहता है. गुरुजी मौन हैं, लेकिन हम उनके हाव-भाव और व्हाट्सएप संदेशों के माध्यम से समझ जाते हैं. हमारे प्रश्नों के संबंध में, हम उन्हें लिख सकते हैं, और वे लिखित रूप में उत्तर देते हैं. हम यह नहीं मानते कि लिखित माध्यम सबसे अच्छा है, लेकिन यह अपना उद्देश्य पूरा करता है."
सिंह ने बताया, "बाबा सिविल सेवा उम्मीदवारों के लिए फ्री कोचिंग प्रदान करते हैं और व्हाट्सएप के माध्यम से छात्रों को अध्ययन नोट्स प्रदान करते हैं. वे मैसेजिंग प्लेटफॉर्म के जरिए उनके प्रश्नों का उत्तर भी देते हैं. पूछे जाने पर, बाबा लिखते हैं कि उनका लक्ष्य छात्रों को शिक्षित करना और उन्हें अधिकारी बनने में मदद करना है. अपने मौन के विषय में वे बताते हैं कि इससे ऊर्जा संचित करने में मदद मिलती है, जिसका उपयोग वे विश्व के कल्याण के लिए करते हैं."
प्रयागराज पहुंचीं शिव भक्त फ्रांसीसी महिला पास्कल
पास्कल ने कहा कि वह कुंभ मेले के पीछे की कहानी जानती हैं और प्रयागराज आकर उन्हें बहुत खुशी हो रही है, उन्होंने कहा कि यह आत्मा को शुद्ध करने के लिए एक पवित्र स्थान है.
उन्होंने कहा कि उन्हें हिंदू धर्म और भगवान शिव से लगाव है और यहां आकर उन्होंने कई योगियों, साधुओं और हिंदू लोगों से मुलाकात की.
कुंभ में हिस्सा लेने आई फ्रांसीसी महिला पास्कल ने कहा, "...मैं यहां आकर बहुत खुश हूं, मैं कुंभ मेले की कहानी जानती हूं...यह आत्मा को शुद्ध करने का एक पवित्र स्थान है. मैं बहुत से योगियों, साधुओं और हिंदू लोगों से भी मिलती हूं. मैं हिंदू धर्म की प्रशंसक हूं और शिव में विश्वास रखती हूं..."
12 साल बाद होने वाले इस आयोजन की ये हैं तारीखें
महाकुंभ 12 साल बाद मनाया जा रहा है और इस आयोजन में 45 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद है.
महाकुंभ के दौरान श्रद्धालु गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों के संगम पर पवित्र स्नान करने के लिए एकत्रित होंगे, ऐसा माना जाता है कि इससे पापों का नाश होता है और मोक्ष (मुक्ति) मिलता है. महाकुंभ का समापन 26 फरवरी को होगा.
कुंभ के मुख्य स्नान अनुष्ठान (शाही स्नान) 14 जनवरी (मकर संक्रांति), 29 जनवरी (मौनी अमावस्या) और 3 फरवरी (बसंत पंचमी) को होंगे.
यह भी पढे़ं : फिल्म 'अनुजा' ऑस्कर के लिए शॉर्टलिस्ट, प्रियंका चोपड़ा ने क्यों बताया इसे बेहद गर्व की बात?