इस्लामाबाद: बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA) ने एक बार फिर पाकिस्तान में हलचल मचा दी है. संगठन ने दावा किया है कि बलूचिस्तान के 8 जिलों में 10 अलग-अलग हमलों को अंजाम दिया गया, जिनमें पाकिस्तानी सेना के कई जवान हताहत हुए. इन हमलों के तहत सेना के वाहनों और सुरक्षा चौकियों को निशाना बनाया गया.
BLA ने एक प्रेस रिलीज जारी कर बताया कि उसके लड़ाकों ने क्वेटा, तुरबत, हरनई, मस्तुंग, पंजगुर, खुजदार, नसीराबाद और जाफराबाद में हमले किए. इसमें IED धमाकों के जरिए पाकिस्तानी सेना के काफिलों को निशाना बनाया गया, जिससे कई सुरक्षाकर्मी मारे गए और कई वाहन तबाह हो गए.
पाकिस्तानी सेना पर बढ़ते हमले
बलूच लिबरेशन आर्मी का दावा है कि इन हमलों में पांच पाकिस्तानी सैनिक मारे गए और 14 घायल हुए, जबकि तीन सैन्य वाहन पूरी तरह नष्ट हो गए. संगठन ने यह भी कहा कि हमलों के दौरान पुलिस और लेवी बलों के हथियार जब्त किए गए और उनके साथ काम कर रहे कुछ लोगों को भी निशाना बनाया गया.
पिछले कुछ हफ्तों में BLA की गतिविधियों में जबरदस्त इजाफा हुआ है. हाल ही में, संगठन ने जाफर एक्सप्रेस ट्रेन को हाईजैक कर लिया था और उसमें सवार 440 यात्रियों को बंधक बना लिया था. इस घटना ने पाकिस्तान सरकार की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं.
बलूचिस्तान में आजादी की लड़ाई तेज
BLA ने दावा किया कि जाफर एक्सप्रेस हमले में 200 से ज्यादा पाकिस्तानी सैनिकों को मार दिया गया, हालांकि पाकिस्तानी सेना ने इस दावे को खारिज करते हुए कहा कि हमले में 26 नागरिक और 5 सैनिक मारे गए.
इसके दो दिन बाद बलूच लड़ाकों ने पाकिस्तानी सैनिकों को ले जा रही एक बस पर बम से हमला किया, जिसमें बलूच संगठन के अनुसार 90 सैनिक मारे गए. हालांकि, पाकिस्तानी सेना ने 12 जवानों की मौत की पुष्टि की है. BLA ने इस हमले की जिम्मेदारी लेते हुए कहा कि उन्होंने नोशकी के पास हाईवे पर एक आत्मघाती हमला कर सेना के काफिले को निशाना बनाया.
बलूचिस्तान: एक विवादित क्षेत्र
बलूच लिबरेशन आर्मी बलूचिस्तान में सक्रिय एक स्वतंत्रता समर्थक संगठन है, जिसे पाकिस्तान आतंकी समूह मानता है. बलूच समुदाय लंबे समय से पाकिस्तानी सरकार पर दमन का आरोप लगाता रहा है.
बलूच संगठनों का कहना है कि पाकिस्तान सरकार ने बलूचिस्तान में जबरन गुमशुदगी और मानवाधिकार हनन की नीति अपनाई है. हजारों बलूच युवाओं के लापता होने की घटनाओं को लेकर लगातार प्रदर्शन हो रहे हैं, लेकिन पाकिस्तान सरकार इस मुद्दे को अनदेखा कर रही है.
इसके अलावा, चीन-पाकिस्तान इकनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) को लेकर भी बलूच संगठनों में नाराजगी है. बलूचों का मानना है कि चीन उनके प्राकृतिक संसाधनों का दोहन कर रहा है, और इस प्रोजेक्ट के चलते स्थानीय लोगों को उनके अधिकारों से वंचित किया जा रहा है.
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