ट्रंप ने किया F-35 का बेड़ा गर्क! सेल लगाकर बेचना पड़ेगा, भारत को फायदा ही फायदा

चीन और पाकिस्तान जैसे दुश्मन देशों से घिरे होने के कारण भारतीय वायुसेना को 42 स्क्वाड्रन विमानों की जरूरत है.

Trump has destroyed F-35 fleet sale India will only benefit
प्रतीकात्मक तस्वीर | Photo: Freepik

भारतीय वायुसेना (IAF) इस समय लड़ाकू विमानों की कमी से जूझ रही है. चीन और पाकिस्तान जैसे दुश्मन देशों से घिरे होने के कारण वायुसेना को 42 स्क्वाड्रन की जरूरत है, लेकिन वर्तमान में वायुसेना के पास केवल 31 स्क्वाड्रन ही ऑपरेशनल हैं. ऐसे में, भविष्य में वायुसेना को तेजी से फाइटर जेट्स की खरीदारी करनी होगी. यह एक जटिल प्रक्रिया है, जैसा कि हाल ही में वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने कहा था कि फाइटर जेट्स का चयन और उनकी खरीदारी एक बहुत ही पेचीदा काम है, जैसा कि "एसी-फ्रीज" खरीदने जैसा नहीं है, जिसे आप बाजार से उठा लाए.

भारत अब अपनी फाइटर जेट्स की जरूरत को पूरा करने के लिए कई विकल्पों पर काम कर रहा है. 2014 में नरेंद्र मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद, वायुसेना की तत्काल जरूरत को पूरा करने के लिए भारत ने फ्रांस से 36 राफेल फाइटर जेट्स की खरीद की. इन जेट्स को लेकर दो स्क्वाड्रन तैयार किए गए, जिनमें से एक स्क्वाड्रन को चीन और दूसरे को पाकिस्तान से सटे इलाकों में तैनात किया गया. राफेल 4.5 पीढ़ी के जेट्स हैं, और भारत को अब लगभग 200 फाइटर जेट्स की आवश्यकता है. इस जरूरत को पूरा करने के लिए भारत 4.5 और 5वीं पीढ़ी के दोनों प्रकार के विमानों पर विचार कर रहा है.

देसी फाइटर जेट्स की प्राथमिकता

भारत सरकार और सेना की प्राथमिकता देसी फाइटर जेट्स को खरीदने की है. हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने डीआरडीओ के साथ मिलकर तेजस MK1A फाइटर जेट्स का प्रोडक्शन शुरू कर दिया है, जो 4.5 पीढ़ी के विमान हैं. इसके साथ ही एचएएल पांचवीं पीढ़ी के अपने लड़ाकू विमान को भी डेवलप कर रहा है, जिसे 2030 तक तैयार किया जा सकता है. वायुसेना ने एचएएल से 83 तेजस MK1A जेट्स का ऑर्डर भी दिया है.

विदेशी विकल्प

भारत के पास दूसरा विकल्प रूस और अमेरिका से पांचवीं पीढ़ी के फाइटर जेट्स खरीदने का है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने खुद भारत को F-35 जेट्स बेचने का प्रस्ताव दिया है. रूस भी भारत को सुखोई-57 विमान बेचना चाहता है, जबकि भारत के पास पहले से ही सुखोई-30 का एक बड़ा बेड़ा है.

टैरिफ वार और एफ-35 की संभावना

हाल ही में, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दुनिया भर में टैरिफ युद्ध छेड़ रखा है, जिसके तहत वह अपने मित्र देशों से भी अधिक शुल्क ले रहे हैं. ट्रंप के इस कदम के कारण कई देशों ने अमेरिका से एफ-35 विमानों का सौदा रद्द करने की संभावना जताई है. अगर ऐसा होता है, तो यह अमेरिका के लिए बड़ा नुकसान हो सकता है. लॉकहीड मार्टिन, जो एफ-35 का निर्माण करता है, को इन विमानों को सस्ते दामों पर बेचने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है. इस स्थिति का भारत फायदा उठा सकता है, क्योंकि एफ-35 दुनिया के सबसे बेहतरीन लड़ाकू विमानों में शामिल है और लॉकहीड मार्टिन इन्हें बहुत किफायती रेट पर बेच सकता है.

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