इस्लामाबाद: पाकिस्तान और चीन के बीच गहराते रक्षा संबंधों ने दक्षिण एशिया में सैन्य संतुलन को नया आयाम दे दिया है. पाकिस्तान लगातार चीन से आधुनिक हथियार खरीद रहा है, जिससे उसकी सेना, नौसेना और वायुसेना की ताकत तेजी से बढ़ रही है. इसमें अत्याधुनिक पनडुब्बियां, युद्धपोत, टैंक, मिसाइल और लड़ाकू विमान शामिल हैं, जो भारत के लिए एक नई चुनौती पेश कर रहे हैं.
पाकिस्तान का सबसे बड़ा हथियार आपूर्तिकर्ता
स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, 2020 से 2024 के बीच पाकिस्तान ने अपने कुल हथियार आयात का 81% चीन से प्राप्त किया. यह आंकड़ा पिछले पांच वर्षों में 74% था, जो चीन-पाकिस्तान रक्षा सहयोग के मजबूत होने का संकेत देता है. पाकिस्तान के लिए यह साझेदारी न केवल सैन्य सहयोग बल्कि राजनीतिक रणनीति का भी हिस्सा है, क्योंकि वह अमेरिकी, रूसी और यूरोपीय हथियारों से दूर रहना चाहता है.
नौसेना को मिला चीन का सहयोग
पाकिस्तान ने हाल ही में चीन से अपनी दूसरी "हैंगोर क्लास" पनडुब्बी प्राप्त की है. यह अत्याधुनिक सेंसर और हथियारों से लैस है और इसे पाकिस्तान की नौसैनिक शक्ति को मजबूत करने के मकसद से खरीदा गया है. यह केवल एक सैन्य सौदा नहीं बल्कि हिंद महासागर में चीनी रणनीतिक विस्तार का हिस्सा है.
भारत के लिए यह चिंता का विषय इसलिए भी है क्योंकि पाकिस्तान की यह नौसेना अरब सागर में भारत की समुद्री गतिविधियों पर नजर रख सकती है और जरूरत पड़ने पर उसे चुनौती भी दे सकती है.
भारत की रणनीतिक स्थिति पर असर
भारत और चीन के बीच 2020 के लद्दाख सीमा विवाद के बाद से संबंध पहले ही तनावपूर्ण हैं. हालांकि, दोनों देश इसे कूटनीतिक रूप से सुधारने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन पाकिस्तान को चीनी हथियारों की आपूर्ति भारतीय सुरक्षा रणनीतिकारों के लिए खतरे की घंटी बनी हुई है.
इसके अलावा, बांग्लादेश के अंदर अस्थिरता फैलाने की कथित पाकिस्तानी कोशिशों ने भारत के लिए पूर्वी मोर्चे पर भी नई चुनौतियां पैदा कर दी हैं. इस प्रकार, भारत को अब एक साथ दो मोर्चों (चीन और पाकिस्तान) पर संभावित संघर्ष के लिए तैयार रहना होगा.
चीन से मिले ये घातक हथियार
SIPRI की रिपोर्ट के अनुसार, चीन ने पाकिस्तान को नई और उन्नत सैन्य तकनीक प्रदान की है, जिसमें शामिल हैं—
J-10CE फाइटर जेट– चीन का यह लड़ाकू विमान भारतीय राफेल के मुकाबले खड़ा किया जा रहा है.
HQ-9 मिसाइल डिफेंस सिस्टम– यह पाकिस्तान को एयर डिफेंस में बढ़त देता है.
VT-4 युद्धक टैंक– यह पाकिस्तान की जमीनी सेना को मजबूत करता है.
टाइप 054A गाइडेड-मिसाइल फ्रिगेट– पाकिस्तान की नौसेना को नई ताकत देता है.
लंबी दूरी के टोही ड्रोन– पाकिस्तान की निगरानी क्षमताओं में इज़ाफा करता है.
हैंगोर क्लास पनडुब्बी– हिंद महासागर में पाकिस्तान की पनडुब्बी शक्ति को बढ़ावा देती है.
SIPRI के सैन्य विश्लेषक सिमोन वेज़मैन ने पाकिस्तान को चीन का “सबसे करीबी रक्षा सहयोगी” बताया है और कहा कि यह साझेदारी इस्लामाबाद को रणनीतिक लाभ दे रही है.
भारत की प्रतिक्रिया और बदलता सैन्य संतुलन
चीन और पाकिस्तान के इस सैन्य गठजोड़ के जवाब में भारत ने अमेरिका, फ्रांस और इजरायल जैसे देशों से अपने रक्षा संबंधों को और मजबूत किया है. भारत ने—
जैसे आधुनिक सैन्य उपकरण खरीदे हैं. इससे साफ है कि भारत भी अपनी सैन्य तैयारियों को नए स्तर पर ले जा रहा है.
भविष्य की चुनौतियां और भारत की रणनीति
चीन-पाकिस्तान रक्षा साझेदारी से पैदा हो रहे सैन्य असंतुलन को देखते हुए भारत को अपनी सुरक्षा नीतियों में बदलाव करना होगा.
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