नई दिल्ली : लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजों पर जीत का भरोसा जताते हुए कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने गुरुवार को कहा कि INDIA की 4 जून को केंद्र में सरकार बनने जा रही है. 30 लाख भर्तियां खाली हैं. हमारी गारंटी है कि 15 अगस्त तक इन खाली सरकारी पदों को भरना शुरू कर देंगे. 'INDIA की सुनो, नफ़रत नहीं, नौकरी चुनो.' उन्होंने सोशल मीडिया एक्स के अपने हैंडल पर एक पोस्ट में ये बात कही है.
राहुल गांधी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स के अपने हैंडल पर एक 55 सेकेंड का वीडियो साझा करते हुए लोगों से अपने मुद्दे पर डटे रहने, इंडिया गठबंधन (INDIA alliance) की सुनने, नौकरी चुनने और नफ़रत के खिलाफ वोट करने की अपील की है. वह इस दौरान एक कार में सफर करते हुए नजर आ रहे हैं. इस दौरान गांधी नोटबंदी, गलत जीएसटी के मुद्दों को उठाने समेत 4 जून को इंडिया गठबंधन की सरकार बनने पर युवाओं को 'भर्ती भरोसा स्कीम' के जरिए 15 अगस्त से 30 लाख युवाओं को रोजगार देने की बात कह रहे हैं.
देश के युवाओं!
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) May 9, 2024
4 जून को INDIA की सरकार बनने जा रही है और हमारी गारंटी है कि 15 अगस्त तक हम 30 लाख रिक्त सरकारी पदों पर भर्ती का काम शुरू कर देंगे।
नरेंद्र मोदी के झूठे प्रचार से भटकना मत, अपने मुद्दों पर डटे रहना।
INDIA की सुनो,
नफ़रत नहीं, नौकरी चुनो। pic.twitter.com/C84xxSJvnc
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'अपने मुद्दों पर डटे रहना- INDIA की सुनो, नफ़रत नहीं, नौकरी चुनो'
उन्होंने अपने एक्स हैंडल पर लिखा है, "देश के युवाओं! 4 जून को INDIA की सरकार बनने जा रही है और हमारी गारंटी है कि 15 अगस्त तक हम 30 लाख रिक्त सरकारी पदों पर भर्ती का काम शुरू कर देंगे. प्रधानमंत्री के झूठे प्रचार से भटकना मत, अपने मुद्दों पर डटे रहना. INDIA की सुनो, नफ़रत नहीं, नौकरी चुनो."
राहुल गांधी ने कहा कि प्रधानमंत्री असल मुद्दों से लोगों का ध्यान भटकाना चाहते हैं.
वह पोस्ट किए गए वीडियो में कहते हैं, "देश की शक्ति, देश के युवाओं, प्रधानमंत्री के हाथ से चुनाव निकल रहा है. वह स्लिप कर रहे हैं और वह हिंदुस्तान के प्रधानमंत्री नहीं बनेंगे. उन्होंने निर्णय ले लिया है कि अगले चार-पांच दिन में आपके ध्यान को भटकाना है. कुछ न कुछ ड्रॉमा करना है. आपका ध्यान भटकना नहीं चाहिए. बेरोजगारी सबसे बड़ा मुद्दा है. प्रधानमंत्री जी ने आपसे कहा था कि 2 करोड़ युवाओं को रोजगार देंगे. झूठ बोला. नोटबंदी की. गलत जीएसटी लागू की और सारा काम अडानी जैसे लोगों के लिए किया है. हम भर्ती भरोसा स्कीम ला रहे हैं. 4 जून को इंडिया गठबंधन की सरकार आ रही है. 15 अगस्त तक भर्ती भरोसा स्कीम में 30 लाख युवाओं को रोजगार देने का काम शुरू हो जाएगा. जय हिंद, नमस्कार."
गौरतलब है कि कांग्रेस ने अपने मैनिफेस्टो 'न्याय पत्र' में युवाओं को 'युवा न्याय' के तहत 5 गारंटी दी है, जिसमें 30 लाख भर्ती करने का भी वादा किया है.
देश के युवाओं!
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) March 7, 2024
कांग्रेस आपको 5 ऐतिहासिक गारंटियां दे रही है जो आपकी तकदीर बदल देगी।
1. भर्ती भरोसा : 30 लाख सरकारी पदों पर तत्काल स्थायी नियुक्ति की गारंटी।
2. पहली नौकरी पक्की : हर ग्रेजुएट और डिप्लोमाधारी को एक लाख रू प्रतिवर्ष स्टाइपेंड के अप्रेंटिसशिप की गारंटी।
3. पेपर… pic.twitter.com/jC62VgPKzM
'युवा न्याय गारंटी' के तहत युवाओं के लिए किए हैं 5 बड़े वादे
कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र, जिसे उसने 'न्याय पत्र' नाम से जारी किया है. इसमें उसने 5 बड़ी गारंटी की बात की है. हर गारंटी के तहत 5-5 वादे किए गए हैं. जो टोटल 25 गारंटी बनकर निकले हैं. इन 5 बड़ी गारंटीज में युवाओं के लिए भी 'युवा न्याय' की गारंटी है, जिसके तहत 5 वादे किए गए हैं.
न्याय पत्र के मुताबिक, इस गारंटी का पहला वादा 'भर्ती भरोसा' है. इसके तहत 30 लाख सरकारी नौकरियों की भर्ती का वादा किया गया है.
दूसरा वादा 'पहली नौकरी पक्की' का किया गया है. इस वादे के तहत हर डिग्री और डिप्लोमा धारक को 1 लाख प्रति वर्ष स्टाइपेंड के साथ अप्रेंटसशिप की गारंटी दी गई है. इसके तहत युवाओं को हर महीने 8,500 रुपये उन्हें दिए जाएंगे.
तीसरा वादा 'गिग इकोनॉमी में सामाजिक सुरक्षा' का है. इस वादे के तहत गिग वर्कर्स को, जो कि ऑनलाइन डिलीवरी के जरिए सामानों को लोगों के घरों तक पहुंचाते हैं. इसमें ज्यादातर युवा होते हैं. इस गारंटी के तहत उन्हें पेंशन, सामाजिक सुरक्षा और बेहतर कार्य स्थितियों के लिए नए कानून लाने की बात कही गई है.
युवाओं के लिए चौथा वादा 'युवा रोशनी' नाम से किया गया है. इसके तहत 5000 करोड़ के राष्ट्रीय कोष से जिला स्तर पर युवाओं को स्टार्ट-अप फंड देकर उन्हें उद्यमी बनाने की गारंटी दी गई है. इसके जरिए कोई भी युवा अपना उद्योग खड़ा कर सकेगा.
युवा गारंटी के तहत पांचवा और आखिरी वादा 'पेपर लीक से मुक्ति' का है. पेपर लीक की रोकथाम गारंटी का नया कानून लाएगा, जो परीक्षाओं का विश्वसनीय आयोजन सुनिश्चित करेगा.
गौरतलब है कि पिछले 10 सालों में अलग-अलग राज्यों में पेपर लीक के कई मामले सामने आए हैं. इसको लेकर युवा सड़कों पर भी उतरे हैं. दिल्ली तक आकर प्रदर्शन किया है. पीपर लीक से युवाओं की सालों की मेहनत खराब होती है और उनका पैसा व मेहनत दोनों बर्बाद होती है, जिससे यह मुद्दा काफी अहम बना गया है. इसे ध्यान में रखते हुए पार्टी ने पेपर लीक मुक्ति की गारंटी दिलाने के लिए कानून लाने की बात कही है.
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3 चरणों के लिए अब तक हुए मतदान में आधी से ज्यादा सीटों पर वोटिंग
वहीं बता दें कि 2019 की तरह ही इस बार भी लोकसभा चुनाव 7 चरणों में हो रहा है. अभी तक 19 अप्रैल, 26 अप्रैल और 7 मई को तीन चरणों का मतदान हो चुका है. जिसमें क्रमश: 102, 88 और 93 सीटें शामिल थीं. लिहाजा कुल 543 सीटों में से 283 सीटें, यानि लगभग आधी से ज्यादा सीटों पर मतदान हो चुका है. अभी चार और चरणों का मतदान बाकी है. जो कि 13 मई, 20 मई, 25 मई और 1 जून होगा. नतीजे 4 जून को आएंगे.
इस बार घटे मतदान प्रतिशत को विशेषज्ञों ने सत्ताधारी दल के खिलाफ बताया
ध्यान देने वाली बात है कि पिछली बार की तुलना में इस बार लगभग सभी राज्यों में मतदान का प्रतिशत घटा है. जहां भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए (NDA) की सीटों पर यह मतदान प्रतिशत ज्यादा घटा है तो वहीं विपक्षी गठबंधन INDIA की सीटों पर कम घटा है. इसको लेकर विशेषज्ञों का मानना है कि इस बार वोटरों में उत्साह कम है. एनडीए की सीटों पर यह वोटिंग ज्यादा कम होने से विशेषज्ञों ने इसे सत्ताधारी दल के लिए खतरे की घंटी बताया है, वहीं विपक्ष के लिए भी उसे अपने पक्ष में लहर न पैदा कर पाने की बात कही है.
पहले फेज में 19 अप्रैल को हुए मतदान में एनडीए की सीटों पर लगभग दोगुना कम मतदान हुआ है.
योगेंद्र यादव ने कम मतदान को सत्ताधारी पार्टी के लिए बताया है बड़ा धक्का
राजनीतिक विश्लेषक और स्वराज इंडिया पार्टी के अध्यक्ष योगेंद्र यादव ने इस वोट प्रतिशत की कमी को भाजपा के खिलाफ बताया है.
उन्होंने एक यूट्यूब चैनल से बात करते हुए कहा था, "यह 2024 लोकसभा चुनाव की पहली झलकी है. कुल 16 करोड़ लोगों का नाम पहले चरण के लिए वोटर लिस्ट में था. वोट प्रतिशत में 4.6 फीसदी कमी का मतलब लगभग 76 लाख लोगों ने पहले फेज में वोट नहीं डाला. यह चुनाव के लिहाज से बड़ा आंकड़ा है. अगर इतना शेयर बाजार के सेंसेक्स में गिरावट आ जाती तो भचूाल मच जाता."
योगेंद्र यादव ने इस पर अपना विश्लेषण पेश करेत हुए कहा था, "यह कपड़ा छान निचोड़ है. जिन सीटों को पिछली बार एनडीए ने जीता था. इस चरण में चुनाव में वे सीटें संयोगवश पिछली बार बीजेपी के खाते में आधी गई थीं और आधी विपक्षी दलों के खाते में. एनडीए वाली सीटों पर जहां लगभग 6 फीसदी की गिरावट है, वहीं नॉन एनडीए दलों वाली सीटों पर यह गिरावट 3 फीसदी है. लगभग दोगुने का फर्क है. इसका मोटा निष्कर्ष यही है. यानि जिन सीटों पर बीजेपी का दबदबा है, वहां टर्नआउट (मतदान) ज्यादा गिरा है, जबकि जहां पिछली बार एनडीए नहीं जीती थी, वहां कम गिरावट है. जिन इलाकों में मोदी की आंधी थी उन पर वोट ज्यादा गिरा है."
उन्होंने कहा, "इसे साधारण भाषा में कहूं तो वोटरों की एक बड़ी संख्या, जिसने पहले उत्साह में आकर मोदी को वोट किया था, उनमें से कुछ मोदी के साथ अब भी हैं, लेकिन कुछ इस बार इंडिया गठबंधन की तरफ पलट कर चले गए हैं, लेकिन कुछ ऐसे भी हैं जो विपक्ष को तो वोट नहीं दिए, बल्कि घर बैठ गए. 76 लाख में से 40-50 लाख ऐसे लोग हैं, जिन्होंने पिछली बार बीजेपी को तो वोट दिया था लेकिन इस बार घर बैठ गए. यानि कि अगर ऐसा है तो बीजेपी के लिए बहुत बड़ा धक्का है."
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