प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने संभल की जामा मस्जिद में रंगाई-पुताई की अनुमति दे दी है. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि मस्जिद की बाहरी दीवारों पर ही रंगाई-पुताई की जा सकती है और इस प्रक्रिया में मूल संरचना को कोई नुकसान नहीं पहुंचना चाहिए. साथ ही, रमजान के दौरान मस्जिद में लाइटिंग की भी अनुमति दी गई है.
याचिका और हाईकोर्ट का निर्णय
जामा मस्जिद कमेटी के वकील जाहिर असगर ने 25 फरवरी को हाईकोर्ट में याचिका दायर कर मस्जिद की रंगाई-पुताई की अनुमति मांगी थी. उन्होंने दलील दी कि हर साल रमजान से पहले मस्जिद की सफेदी की जाती है, लेकिन इस बार प्रशासन ने इसकी इजाजत नहीं दी. हिंदू पक्ष ने इसका विरोध किया, यह कहते हुए कि इससे ऐतिहासिक प्रमाणों को छुपाने का प्रयास किया जा सकता है.
कोर्ट का फैसला और निरीक्षण समिति
27 फरवरी को हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई की और तीन सदस्यीय समिति गठित की, जिसमें भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के प्रतिनिधि को भी शामिल किया गया. कोर्ट ने समिति को 24 घंटे के भीतर मस्जिद का निरीक्षण कर रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया.
28 फरवरी को समिति ने मस्जिद का निरीक्षण किया और अपनी रिपोर्ट में निम्नलिखित बातें सामने रखीं:
मस्जिद को 'विवादित ढांचा' करार देने की बहस
4 मार्च को सुनवाई के दौरान, हिंदू पक्ष के वकील हरिशंकर जैन ने कहा कि यदि मुस्लिम पक्ष इसे 'मस्जिद' कहेगा, तो वे इसे 'मंदिर' कहेंगे. उन्होंने बाबरी मस्जिद प्रकरण का हवाला देते हुए इसे 'विवादित ढांचा' कहा. कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई के लिए 10 मार्च की तारीख दी, लेकिन यह सुनवाई नहीं हो सकी.
संभल की जामा मस्जिद का ऐतिहासिक विवाद
हिंदू पक्ष का दावा है कि यह मस्जिद पहले हरिहर मंदिर था, जिसे 1529 में बाबर के शासनकाल में तोड़कर मस्जिद में तब्दील कर दिया गया. इसी दावे के आधार पर 19 नवंबर 2024 को संभल कोर्ट में याचिका दायर की गई थी.
24 नवंबर को जब कोर्ट द्वारा नियुक्त सर्वे टीम मस्जिद में निरीक्षण कर रही थी, तब इलाके में हिंसा भड़क गई. पत्थरबाजी और फायरिंग में चार लोगों की मौत हो गई. इसके बाद प्रशासन को इलाके में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था करनी पड़ी.
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