डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन के कार्यकाल में रूस और अमेरिका के संबंधों में एक नया मोड़ देखने को मिला है. हाल ही में अमेरिकी रक्षा मंत्री पीट हेग्सेथ ने पेंटागन को निर्देश दिया है कि रूस के खिलाफ किए जा रहे आक्रामक साइबर हमलों को फिलहाल रोक दिया जाए. न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, यह निर्णय दो पूर्व और एक वर्तमान अधिकारी की जानकारी पर आधारित है. माना जा रहा है कि इस कदम का उद्देश्य यूक्रेन को लेकर चल रही शांति वार्ता को सफल बनाना है.
कूटनीतिक संतुलन या रणनीतिक बदलाव?
रक्षा मंत्री हेग्सेथ का यह आदेश अमेरिका की व्यापक साइबर रणनीति के पुनर्मूल्यांकन का हिस्सा है. हालांकि, यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि इस आदेश की अवधि कितनी होगी और इसे किस स्तर तक लागू किया जाएगा. साइबर हमलों की प्रकृति को देखते हुए यह तय कर पाना मुश्किल है कि कौन-सा ऑपरेशन आक्रामक है और कौन-सा रक्षात्मक. फिर भी, यह निर्णय पुतिन की रणनीतियों और रूस के आंतरिक राजनीतिक परिदृश्य को समझने की अमेरिकी कोशिशों का हिस्सा माना जा रहा है.
पूर्व अधिकारियों के अनुसार, जब भी कोई महत्वपूर्ण कूटनीतिक वार्ता होती है, तो सैन्य और साइबर ऑपरेशनों को अस्थायी रूप से रोक देना आम बात है, ताकि किसी भी अप्रत्याशित घटना से वार्ता प्रभावित न हो. हालांकि, इस रणनीति के चलते ट्रंप प्रशासन को रूस के साइबर हमलों का जवाब देने में कठिनाई का सामना करना पड़ सकता है.
क्या रूस की नीति में कोई बदलाव आएगा?
यूरोपीय देशों का दावा है कि वे अब भी यूक्रेन का पूरा समर्थन कर रहे हैं, जबकि ट्रंप प्रशासन ने कई मौकों पर खुद को इस संघर्ष में एक निष्पक्ष मध्यस्थ के रूप में प्रस्तुत किया है. कई बार ऐसा भी देखा गया है कि ट्रंप ने खुलकर पुतिन के पक्ष में बयान दिए हैं. विशेषज्ञों के अनुसार, इस फैसले का मुख्य उद्देश्य रूस को अमेरिका और यूरोपीय देशों के खिलाफ अपनी आक्रामकता कम करने के लिए प्रेरित करना है. हालांकि, अब तक रूस की ओर से कोई स्पष्ट संकेत नहीं मिला है कि वह इस नीति में कोई बदलाव करेगा.
रिपोर्ट्स के मुताबिक, ट्रंप प्रशासन के पहले सप्ताह में ही अमेरिकी नेटवर्क पर रूस की साइबर घुसपैठ की कोशिशें देखी गई थीं. बीते एक साल में अमेरिकी अस्पतालों, बुनियादी ढांचे और शहरी केंद्रों पर हुए रैंसमवेयर हमलों में भारी बढ़ोतरी हुई है, जिनमें से कई रूस से संचालित किए गए थे. अमेरिकी खुफिया एजेंसियों का मानना है कि ये साइबर हमले या तो रूस की सरकारी एजेंसियों की सहमति से हुए हैं या फिर जानबूझकर अनदेखे किए गए हैं.
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