यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की एक बड़ी मुश्किल में फंस गए हैं. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक ऐसी रणनीति बनाई है, जिससे जेलेंस्की के पास अब सिर्फ दो ही रास्ते बचे हैं – या तो ट्रंप की शर्तें मानकर युद्धविराम को स्वीकार करें, या फिर यूक्रेन की तबाही के लिए तैयार रहें.
ट्रंप और पुतिन की संयुक्त रणनीति
जेलेंस्की ने रूस के साथ युद्धविराम की शर्तों को मानने से इनकार कर दिया है. इसके उलट, उन्होंने वार्ता के दौरान ही रूस के ऊर्जा क्षेत्रों पर हमले भी किए. इससे ट्रंप को ये साफ हो गया कि जेलेंस्की युद्ध खत्म नहीं करना चाहते. इसके बाद ट्रंप ने अपने तेवर सख्त कर लिए.
अब अमेरिका ने यूक्रेन के सामने खनिजों (rare minerals) को लेकर एक नया प्रस्ताव रखा है. अमेरिका चाहता है कि यूक्रेन की कीमती खनिज खदानों पर सीधा अधिकार उसे दे दिया जाए. साथ ही, रूस से यूक्रेन आने वाली गैस पाइपलाइन पर भी अमेरिका का नियंत्रण हो. बताया जा रहा है कि इस पर रूस से पहले ही बात हो चुकी है.
ट्रंप की नई शर्तें
पहले अमेरिका इन खदानों में साझेदारी चाहता था, लेकिन अब ट्रंप ने यूक्रेन से कहा है कि उन्हें पूरी खदानों का नियंत्रण चाहिए. इसके अलावा, उन्होंने गैजप्रॉम गैस पाइपलाइन का भी नियंत्रण मांगा है. कहा जा रहा है कि ट्रंप इस पाइपलाइन का नियंत्रण रूस को सौंप देंगे ताकि यूक्रेन दोबारा इस पर हमला न कर सके.
रोमानिया का खुलासा और तीसरे विश्व युद्ध की आशंका
इस पूरे मामले का खुलासा रोमानिया ने किया है. अगर ये डील नहीं होती, तो माना जा रहा है कि हालात तीसरे विश्व युद्ध तक पहुंच सकते हैं. रूस पहले यूक्रेन को पूरी तरह तबाह करेगा, फिर अन्य देशों पर भी हमला कर सकता है. ऐसे में ट्रंप ही अकेले नेता हैं जो रूस को रोक सकते हैं — लेकिन इसके लिए जेलेंस्की को नए युद्धविराम की शर्तें माननी होंगी.
नाटो और अमेरिका के बीच खिंचाव
इस बीच, नाटो रोमानिया पर दबाव बना रहा है कि वह रूस पर हमला करे, ताकि नाटो को रूस से भिड़ने का बहाना मिल सके. लेकिन सवाल है – क्या अमेरिका के बिना नाटो रूस का सामना कर पाएगा? ट्रंप यही दिखाना चाहते हैं कि अमेरिका के बिना नाटो की कोई ताकत नहीं है और रूस अकेले ही नाटो को मात दे सकता है.
जेलेंस्की के सामने कठिन फैसला
अब जेलेंस्की के पास वक्त बहुत कम है. अगर उन्होंने ट्रंप की शर्तें नहीं मानीं, तो उनका अंत तय माना जा रहा है. इसके बाद, अमेरिका और रूस मिलकर यूक्रेन के खनिजों और संसाधनों का बंटवारा कर सकते हैं.
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