ढाका: बांग्लादेश की मौजूदा स्थिति चिंताजनक मोड़ पर आ गई है. शेख हसीना की सत्ता से विदाई और मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में गठित अंतरिम सरकार के उदय के बाद देश में इस्लामी कट्टरपंथियों का प्रभाव तेजी से बढ़ रहा है. नई सरकार की नरमी का फायदा उठाकर कई उग्रवादी गुटों ने न सिर्फ अपनी गतिविधियां तेज कर दी हैं, बल्कि अब खुलेआम अल्पसंख्यकों और सेक्युलर कार्यकर्ताओं को निशाना बनाया जा रहा है.
कट्टरपंथियों को खुली छूट, अल्पसंख्यकों पर हमले
माना जा रहा है कि मोहम्मद यूनुस की सरकार ने इस्लामिक कट्टरपंथियों को राजनीतिक संरक्षण दे रखा है. इसका सीधा असर जमीन पर दिख रहा है—हिंदू समुदाय समेत कई अल्पसंख्यकों पर योजनाबद्ध तरीके से हमले हो रहे हैं. अगस्त 2024 से शुरू हुए ये हमले अब तक रुके नहीं हैं.
ISIS-बांग्लादेश: एक उभरता हुआ खतरा
बांग्लादेश में सक्रिय ISIS-बांग्लादेश नामक आतंकी संगठन को लेकर सुरक्षा एजेंसियों की चिंता बढ़ गई है. यह समूह इस्लामिक स्टेट (ISIS) से वैचारिक रूप से जुड़ा है, हालांकि इसे आधिकारिक रूप से ISIS का प्रांत नहीं माना गया है. यह गुट बांग्लादेश में एक चरमपंथी इस्लामी राज्य की स्थापना की वकालत करता है, जहां शरिया कानून को सर्वोच्च माना जाएगा.
2015 से सक्रियता में आया उबाल
ISIS-बांग्लादेश ने पहली बार 2015 में ढाका में विदेशी नागरिकों पर हमले के जरिए अपनी मौजूदगी दर्ज कराई थी. इसके बाद इसने धर्मनिरपेक्ष ब्लॉगर्स, शिया समुदाय और हिंदू नागरिकों को निशाना बनाकर कई कुख्यात घटनाओं को अंजाम दिया. 2016 में हुआ ढाका होली आर्टिसन कैफे हमला इसका सबसे बड़ा आतंकी हमला माना जाता है, जिसमें 22 लोग मारे गए थे.
भारत विरोधी एजेंडा साफ
इस गुट का घोषित उद्देश्य भारत और पश्चिमी देशों के खिलाफ जिहाद छेड़ना है. यह विशेष रूप से भारत को "इस्लाम का दुश्मन" मानता है और भारत से बांग्लादेश के रिश्तों का विरोध करता है. कट्टरपंथी प्रचार सामग्री में भारत को बार-बार निशाना बनाया गया है और युवाओं को जिहाद के नाम पर उकसाया जाता है.
शेख हसीना के कार्यकाल में दबाव में था
शेख हसीना सरकार ने 2019 में इस संगठन के खिलाफ व्यापक अभियान चलाया था. इस दौरान संगठन के कई शीर्ष कमांडर मारे गए और दर्जनों आतंकी गिरफ्तार हुए. लेकिन यूनुस सरकार के सत्ता में आने के बाद से स्थिति बदल गई है. मौजूदा समय में संगठन फिर से सोशल मीडिया और एन्क्रिप्टेड चैनलों के जरिए युवाओं की भर्ती और कट्टरपंथी प्रचार में जुट गया है.
भारत को सतर्क रहने की ज़रूरत
ISIS-बांग्लादेश की दोबारा सक्रियता केवल बांग्लादेश ही नहीं, बल्कि भारत की सुरक्षा के लिए भी गंभीर चुनौती बन रही है. पश्चिम बंगाल, असम और पूर्वोत्तर के सीमावर्ती इलाकों में इसकी गतिविधियों के संकेत मिलने लगे हैं. खुफिया एजेंसियां इस पर कड़ी नजर बनाए हुए हैं.