Year Ender 2025: 2025 नरेंद्र मोदी के लिए बेहद सक्रिय और रणनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण साल रहा. इस साल उन्होंने अफ्रीका, पश्चिम एशिया और यूरोप के कुल 23 देशों की यात्रा की, जहां उन्होंने भारत के कूटनीतिक, आर्थिक और रणनीतिक संबंधों को और मजबूत किया. इन यात्राओं में उन्होंने मालदीव और अन्य वैश्विक साझेदारों के साथ द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाया और ब्रिटेन, यूरोपीय संघ जैसी बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के साथ विविधीकृत रणनीतिक साझेदारियों को आगे बढ़ाया. इसके साथ ही भारत और चीन के बीच संबंध स्थिर बने रहे, जो क्षेत्रीय शांति और सुरक्षा के लिए अहम है.
वैश्विक व्यापार में अडिग रुख
2025 में वैश्विक व्यापार अस्थिरता और टैरिफ युद्धों के बीच प्रधानमंत्री मोदी ने भारतीय हितों की सुरक्षा सुनिश्चित की. अमेरिकी टैरिफ युद्ध जैसी चुनौतियों के बावजूद भारत ने अपने किसानों और छोटे कारोबारियों के हितों को प्राथमिकता दी. मोदी की यह नीति बताती है कि भारत असमान व्यापार नियमों को स्वीकार करने के लिए मजबूर नहीं है और राष्ट्रीय हितों को सर्वोपरि रखने के लिए अडिग है.
अर्थव्यवस्था की तेज वृद्धि
वित्तीय वर्ष 2025-26 में भारत की जीडीपी वृद्धि दर लगभग 7.3% रहने का अनुमान है. दूसरी तिमाही में 8.2% की वास्तविक वृद्धि दर्ज की गई, जिससे भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक बन गया. इस साल जीएसटी दरों में कटौती, उपभोक्ता मांग में वृद्धि और विनिर्माण क्षेत्र में प्रोत्साहन ने अर्थव्यवस्था को नई गति दी. डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर, सेमीकंडक्टर, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे क्षेत्रों में भी भारत ने तेजी से प्रगति की. इसके अलावा, शांति विधेयक 2025 ने ऐतिहासिक सुधार और निवेश वातावरण को बेहतर बनाने में मदद की.
आतंकवाद और सुरक्षा
अप्रैल 2025 में पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया और पाकिस्तान के साथ सिंधु जल संधि को निलंबित किया. प्रधानमंत्री मोदी ने स्पष्ट किया कि आतंकवाद के खिलाफ शून्य सहिष्णुता नीति अपनाई जाएगी. जुलाई में ब्रिक्स सम्मेलन में पहली बार जम्मू-कश्मीर में हुए आतंकवादी हमलों की निंदा की गई और SCO शिखर सम्मेलन में भी कड़ा संदेश दिया गया.
अंतरराष्ट्रीय सम्मान
2025 में प्रधानमंत्री मोदी की वैश्विक प्रतिष्ठा में वृद्धि हुई. उन्हें 29 देशों से सर्वोच्च नागरिक सम्मान मिला, जिनमें बारबाडोस, मॉरीशस, श्रीलंका, साइप्रस, घाना, त्रिनिदाद और टोबैगो, ब्राजील, नामीबिया, इथियोपिया और ओमान शामिल हैं. इन सम्मानों ने न केवल भारत की अंतरराष्ट्रीय साख बढ़ाई बल्कि व्यापार और आर्थिक सहयोग को भी मजबूती दी.
व्यापार और मुक्त बाजार समझौते
इस साल भारत ने ब्रिटेन और ओमान के साथ व्यापार समझौते (CETA और CEPA) को आगे बढ़ाया, जिससे पश्चिम और खाड़ी देशों के बाजार तक भारत की पहुंच मजबूत हुई. इसके अलावा, न्यूजीलैंड के साथ मुक्त व्यापार समझौता, और यूरोपीय संघ, कनाडा, इज़राइल, मेक्सिको और GCC देशों के साथ व्यापार वार्ता ने भारत की वैश्विक अर्थव्यवस्था में भूमिका को और सशक्त किया.
संसद और वैश्विक मंचों पर भारत का प्रतिनिधित्व
प्रधानमंत्री मोदी ने 18 देशों की संसदों में भाषण दिया, जिसमें उन्होंने बेहतर दुनिया के लिए भारत के दृष्टिकोण, SDG लक्ष्यों और जलवायु कार्रवाई पर जोर दिया. उन्होंने वैश्विक विकास और तकनीकी नवाचार में दक्षिण देशों की आकांक्षाओं की वकालत की. इस साल मोदी 18 संसदों में भाषण देने वाले एकमात्र भारतीय नेता बने.
व्यक्तिगत और कूटनीतिक प्रभाव
प्रधानमंत्री मोदी को दुनिया भर के नेताओं से भी सराहना मिली. कैरेबियाई नेताओं ने उन्हें स्थिर और दूरदर्शी राजनेता बताया. रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पूतिन ने भारत के साथ उनके संबंधों की प्रशंसा की. इसके अलावा, जॉर्डन के क्राउन प्रिंस हुसैन, इथियोपिया के पीएम अबी अहमद अली और भूटान के राजा ने भी मोदी का गर्मजोशी से स्वागत किया. यह दर्शाता है कि मोदी न केवल भारत के राष्ट्रीय हितों के प्रति प्रतिबद्ध हैं बल्कि व्यक्तिगत कूटनीति के माध्यम से वैश्विक नेताओं के साथ मजबूत संबंध भी बनाए हैं.
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