Defence Acquisition Council: भारत के रक्षा मंत्रालय की डिफेंस एक्विजिशन काउंसिल (DAC) ने हाल ही में करीब 80 हजार करोड़ रुपये के रक्षा उपकरणों और अपग्रेड योजनाओं को मंजूरी दे दी है. यह कदम भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना की ताकत और युद्ध क्षमता को बढ़ाने के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है.
मंजूर किए गए प्रस्तावों में पुराने हथियारों और उपकरणों का अपग्रेड, नए आधुनिक हथियारों की खरीद, साथ ही स्वदेशी विकास और उत्पादन के प्रोजेक्ट शामिल हैं.
मुख्य मंजूरी और योजनाएं
टी-90 भीष्म टैंकों का अपग्रेड और ओवरहॉल: करीब 200 टी-90 टैंकों का मिड-लाइफ अपग्रेड और ओवरहॉल स्वदेशी रूप से किया जाएगा. यह काम डिफेंस पब्लिक सेक्टर यूनिट (DPSU) करेगी. इसके पूरा होने के बाद टैंकों की उम्र बढ़ेगी और युद्ध में उनकी ताकत और स्थायित्व में सुधार होगा.
एमआई-17 हेलीकॉप्टरों का मिड-लाइफ अपग्रेड: मीडियम लिफ्ट हेलीकॉप्टर एमआई-17 का मिड-लाइफ अपग्रेड किया जाएगा. इससे इन हेलीकॉप्टरों की ऑपरेशनल तत्परता, भरोसेमंदी और प्रदर्शन क्षमता में वृद्धि होगी.
लोइटरिंग मुनिशन (सुसाइड ड्रोन) की खरीद: आधुनिक युद्ध आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए लोइटरिंग मुनिशन या सुसाइड ड्रोन खरीदने की मंजूरी दी गई. ये ड्रोन दुश्मन के ठिकानों पर घूमते हुए सटीक हमला करने में सक्षम होंगे, जिससे रणनीतिक हमले और निगरानी क्षमता में सुधार होगा.
एमआरएसएएम मिसाइलें: भारतीय नौसेना और वायुसेना के लिए मीडियम रेंज सरफेस-टू-एयर मिसाइलें (MRSAM) खरीदी जाएंगी. यह हवाई और समुद्री रक्षा को मजबूती प्रदान करेगी.
Astra मार्क-2 और मीटियोर मिसाइलें: वायुसेना के लिए Astra मार्क-2 एयर-टू-एयर मिसाइलें, जिनकी रेंज 200 किलोमीटर से अधिक है, विकसित और खरीदी जाएंगी. इसके साथ ही कुछ मीटियोर मिसाइलें भी शामिल हैं, जिससे वायु युद्ध की क्षमता और लंबी दूरी पर हवाई श्रेष्ठता में बढ़ोतरी होगी.
स्पाइस-1000 गाइडेड बम: इजरायल से स्पाइस-1000 एयर-टू-ग्राउंड गाइडेड बम खरीदने पर भी चर्चा हुई. ये बम अत्यंत सटीक हमले करने में सक्षम हैं और वायुसेना की स्ट्राइक क्षमता को बढ़ाएंगे.
पिनाका रॉकेट का विकास: 120 किलोमीटर रेंज वाली नई पिनाका रॉकेट का विकास मंजूर हुआ है. खास बात यह है कि इसे मौजूदा 45 किलोमीटर और 80 किलोमीटर रेंज वाले पिनाका लॉन्चर से ही दागा जा सकेगा, जिससे लॉजिस्टिक और संचालन में आसानी रहेगी.
एयर-टू-एयर रिफ्यूलर और AWACS: हवाई रिफ्यूलिंग टैंकर और एयरबोर्न वॉर्निंग एंड कंट्रोल सिस्टम (AWACS) की खरीद के लिए रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल (RFP) में बदलाव मंजूर हुआ. ये लंबी दूरी के हवाई ऑपरेशन और निगरानी के लिए बेहद जरूरी उपकरण हैं.
सी गार्जियन ड्रोन का लीज: अमेरिका से दो MQ-9B हाई एल्टीट्यूड लॉन्ग एंड्योरेंस (HALE) सी गार्जियन ड्रोन को तीन साल के लिए लीज पर लेने का निर्णय लिया गया. भारत पहले ही 31 ऐसे ड्रोन खरीद चुका है, जिनकी डिलीवरी 2028 से शुरू होगी.
इन फैसलों का महत्व
DAC की इस बैठक में रक्षा मंत्रालय के बड़े अधिकारी और तीनों सेनाओं के प्रमुख शामिल थे. ये फैसले भारतीय सशस्त्र बलों की युद्ध तैयारी को नई ऊंचाई देंगे और सीमाओं पर एक मजबूत संदेश भी देंगे. अब इन प्रस्तावों को कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) की मंजूरी के बाद ठेके और खरीद प्रक्रिया को अंतिम रूप दिया जाएगा.
इन निवेशों से भारतीय रक्षा बलों की आधुनिक और स्वदेशी क्षमता को मजबूती मिलेगी, जिससे न केवल राष्ट्रीय सुरक्षा बेहतर होगी बल्कि भविष्य में तकनीकी आत्मनिर्भरता और रणनीतिक ताकत में भी वृद्धि होगी.
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