वृंदावन के चर्चित कथावाचक और भजन प्रवक्ता इंद्रेश उपाध्याय इन दिनों अपनी निजी जिंदगी को लेकर सुर्खियों में हैं. जयपुर में हो रही उनकी भव्य शादी ने सोशल मीडिया पर खूब ध्यान खींचा है. पूर्व डीएसपी हरेंद्र शर्मा की बेटी शिप्रा के साथ विवाह को लेकर लोग न सिर्फ आयोजन की भव्यता की चर्चा कर रहे हैं, बल्कि यह सवाल भी पूछ रहे हैं कि आखिर इंद्रेश उपाध्याय कितने अमीर हैं और वे एक कथा के लिए कितनी फीस लेते हैं.
इंद्रेश उपाध्याय का जन्म 7 अगस्त 1997 को उत्तर प्रदेश के वृंदावन धाम में हुआ था. उनका परिवार वृंदावन के रमणरेती क्षेत्र में रहता है. बेहद कम उम्र में ही उन्होंने धार्मिक ग्रंथों और भक्ति मार्ग में अपनी अलग पहचान बना ली. कहा जाता है कि महज 13 साल की उम्र में उन्हें श्रीमद्भागवत महापुराण कंठस्थ थी.
धीरे-धीरे उनकी कथा शैली, भजन गायन और सरल भाषा में धर्म का संदेश देने की क्षमता ने उन्हें देशभर में लोकप्रिय बना दिया. आज वे बड़े धार्मिक आयोजनों और कथाओं के लिए जाने जाते हैं.
जयपुर में हाई-प्रोफाइल विवाह
इंद्रेश उपाध्याय की शादी हरियाणा के पूर्व डीएसपी हरेंद्र शर्मा की बेटी शिप्रा से हो रही है. विवाह समारोह जयपुर में आयोजित किया जा रहा है, जिसे लेकर लगातार तस्वीरें और वीडियो सामने आ रहे हैं. शादी की भव्यता देखकर लोग यह अनुमान लगाने लगे हैं कि कथावाचक की आर्थिक स्थिति काफी मजबूत है.
कितनी है इंद्रेश उपाध्याय की नेटवर्थ?
इंद्रेश उपाध्याय की कुल संपत्ति (नेटवर्थ) को लेकर कोई आधिकारिक या सार्वजनिक आंकड़ा उपलब्ध नहीं है. स्वयं या उनकी टीम की ओर से भी इस बारे में कोई स्पष्ट जानकारी साझा नहीं की गई है.
हालांकि, इतना जरूर माना जाता है कि उनकी आय का मुख्य स्रोत भागवत कथा वाचन, भजन गायन और धार्मिक आयोजनों से जुड़ी सेवाएं हैं. इसके अलावा उन्होंने ‘भक्तिपथ’ नाम से एक संगठन की स्थापना भी की है, जिसके जरिए वे धर्म, भक्ति और ज्ञान के प्रचार-प्रसार से जुड़े कार्य करते हैं.
एक कथा की कितनी फीस लेते हैं?
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, भागवत कथा या अन्य धार्मिक आयोजनों की फीस कई बातों पर निर्भर करती है.
स्थानीय या कम चर्चित कथावाचकों की फीस आमतौर पर 11 हजार से 51 हजार रुपये तक होती है.
वहीं, देशभर में पहचान बना चुके प्रमुख कथावाचकों के लिए यह राशि 51 हजार से लेकर 1.51 लाख रुपये या उससे अधिक प्रति आयोजन तक बताई जाती है.
हालांकि, इंद्रेश उपाध्याय की फीस को लेकर कोई पुख्ता और आधिकारिक जानकारी सामने नहीं आई है. यह भी बताया जाता है कि कथा किस शहर में हो रही है, आयोजन समिति का बजट क्या है, कार्यक्रम कितने दिनों का है और कितने सहयोगी कलाकार साथ आ रहे हैं- इन सभी बातों के आधार पर कुल राशि तय होती है.
बुकिंग और भुगतान का तरीका
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इंद्रेश उपाध्याय की कथाओं की बुकिंग उनके मैनेजर के माध्यम से होती है. आयोजकों को अक्सर पूरी टीम की फीस, यात्रा और अन्य व्यवस्थाओं को मिलाकर एक कुल राशि बताई जाती है. यानी केवल कथावाचक की अलग से फीस सार्वजनिक नहीं की जाती, बल्कि यह पूरी सेवा पैकेज का हिस्सा होती है.
शिक्षा और प्रारंभिक जीवन
इंद्रेश उपाध्याय ने अपनी स्कूली शिक्षा कान्हा माखन पब्लिक स्कूल से प्राप्त की. कहा जाता है कि उन्होंने औपचारिक रूप से केवल स्कूली शिक्षा ही ली, लेकिन धार्मिक ग्रंथों और भक्ति साहित्य का उनका ज्ञान बेहद गहरा है. कम उम्र से ही वे अपने पिता के साथ कथाओं और भजन कार्यक्रमों में जाने लगे थे, जिससे उन्हें मंच अनुभव मिला और पहचान बनी.
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