Mongolian Falcon Auction: सऊदी अरब की राजधानी रियाद में आयोजित 'अंतरराष्ट्रीय सऊदी फाल्कन और शिकार प्रदर्शनी 2025' इस बार इतिहास रच गई. इस प्रदर्शनी में मंगोलियाई प्रजाति के एक बाज की नीलामी 6,50,000 सऊदी रियाल (लगभग ₹1.53 करोड़) में हुई, जो अब तक की सबसे महंगी नीलामी मानी जा रही है. इस कार्यक्रम में कुल दो मंगोलियाई बाजों की बिक्री हुई, पहला एक युवा बाज था, जबकि दूसरा पूर्ण वयस्क.
एक युवा, एक अनुभवी: दोनों की शानदार बिक्री
प्रदर्शनी में पहले जिस युवा बाज की बोली लगी, वह 70,000 रियाल से शुरू होकर 1,28,000 रियाल पर खत्म हुई. वहीं दूसरा बाज, जो एक परिपक्व और प्रशिक्षित शिकारी था, उसकी शुरुआती बोली 1,00,000 रियाल से हुई, लेकिन उसकी उत्कृष्ट खूबियों ने बोली को 6.5 लाख रियाल तक पहुंचा दिया. यह नीलामी इस बात का प्रतीक है कि मंगोलियाई बाजों की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कितनी मांग है.
मंगोलियाई बाज: खास क्यों हैं?
मंगोलियाई बाजों की प्रतिष्ठा का मुख्य कारण उनकी शारीरिक बनावट और क्षमताएं हैं. ये बाज आकार में बड़े होते हैं, उनके पंख लंबे और शक्तिशाली होते हैं, जिससे ये ऊँचाई और दूरी दोनों में जबरदस्त उड़ान भर सकते हैं. उनकी सहनशक्ति कठोर मौसम में भी बनी रहती है, चाहे वह मंगोलिया की बर्फीली पहाड़ियाँ हों या अरब के रेगिस्तान. इसके अलावा, ये बाज बहुत ही समझदार होते हैं और प्रशिक्षण को जल्दी ग्रहण करते हैं. उनके पंखों का रंग सफेद से लेकर गहरे भूरे तक होता है, जो उन्हें एक अनोखी पहचान देता है.
कहां होता है इन बाजों का इस्तेमाल?
अरब दुनिया में बाज पालना और उनसे शिकार कराना केवल एक खेल नहीं, बल्कि शान और परंपरा का विषय है. पारंपरिक रूप से ये बाज छोटे जंगली जानवरों जैसे खरगोश, तीतर या उड़ते पक्षियों का शिकार करते हैं. यह कला सदियों पुरानी है और आज भी सामाजिक प्रतिष्ठा से जुड़ी हुई है. प्रदर्शनी जैसे आयोजनों में बाजों की उड़ान, रूप, अनुशासन और प्रशिक्षण का मूल्यांकन किया जाता है. इनमें प्रतिस्पर्धाएं होती हैं, जिन्हें देखने हजारों लोग आते हैं. बाजों की सुंदरता और दक्षता ही उन्हें इस विरासत का प्रतीक बनाती है.
मंगोलियाई बाजों के लिए बनाया गया विशेष जोन
इस वर्ष की प्रदर्शनी में खास बात यह रही कि पहली बार मंगोलियाई बाजों के लिए एक विशेष जोन तैयार किया गया था. यह ज़ोन पूर्वी एशिया की इस विशेष प्रजाति के संरक्षण और प्रदर्शन के लिए समर्पित था, जिससे इनकी उपयोगिता और महत्व को और अधिक पहचान मिली.
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