क्या गाय को घोषित किया जाएगा राष्ट्रीय पशु? सरकार ने संसद में दिया जवाब, जानें क्या कहा

    भारत जैसे सांस्कृतिक और आध्यात्मिक दृष्टि से समृद्ध देश में गाय को हमेशा से एक विशेष स्थान प्राप्त रहा है. हजारों वर्षों से गाय न केवल भारतीय जीवनशैली का अभिन्न अंग रही है, बल्कि धार्मिक, सामाजिक और आर्थिक रूप से भी इसका महत्व अटूट रहा है.

    Will cow be declared national animal
    प्रतिकात्मक तस्वीर/ FreePik

    भारत जैसे सांस्कृतिक और आध्यात्मिक दृष्टि से समृद्ध देश में गाय को हमेशा से एक विशेष स्थान प्राप्त रहा है. हजारों वर्षों से गाय न केवल भारतीय जीवनशैली का अभिन्न अंग रही है, बल्कि धार्मिक, सामाजिक और आर्थिक रूप से भी इसका महत्व अटूट रहा है. ऐसे में समय-समय पर यह मांग उठती रही है कि गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित किया जाए. इस मुद्दे पर देशभर में बहस होती रही है लेकिन अब इस पर केंद्र सरकार ने संसद में अपना स्पष्ट और ठोस रुख सामने रखा है.

    मंगलवार को लोकसभा में एक महत्वपूर्ण प्रश्न के उत्तर में मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय में केंद्रीय राज्य मंत्री एसपी सिंह बघेल ने इस विषय पर सरकार की स्थिति साफ कर दी. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने के लिए किसी प्रकार का कानून नहीं बनाएगी. यह जवाब तब आया जब बीजेपी सांसद और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सरकार से इस विषय पर स्थिति स्पष्ट करने की मांग की.

    एसपी सिंह बघेल ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 246(3) के अनुसार "जानवरों के संरक्षण और कल्याण से जुड़े विषय राज्य सूची में आते हैं." यानी, इस विषय में कानून बनाने का अधिकार केवल राज्य सरकारों के पास है, न कि केंद्र के पास. उन्होंने यह भी कहा कि केंद्र सरकार किसी राज्य को इस विषय में बाध्य नहीं कर सकती और न ही स्वयं इस दिशा में कोई कदम उठा सकती है.

    जानवरों के संरक्षण में राज्यों की भूमिका अहम

    मंत्री के बयान ने यह स्पष्ट कर दिया कि जानवरों के संरक्षण, विशेष रूप से गायों से संबंधित कोई भी कानून या नीति बनाना पूरी तरह से राज्य सरकारों की जिम्मेदारी है. यदि कोई राज्य चाहे तो वह अपने क्षेत्र में गाय को विशिष्ट दर्जा दे सकता है, लेकिन पूरे देश के स्तर पर इसे लागू करने की कोई संवैधानिक व्यवस्था फिलहाल नहीं है.

    यह बयान ऐसे समय में आया है जब देश के विभिन्न हिस्सों में गाय की रक्षा, उसके अधिकार, और उसे राष्ट्रीय प्रतीक का दर्जा देने की मांगें लगातार उठती रही हैं. हालांकि, यह संवेदनशील मुद्दा सिर्फ भावनाओं से नहीं, संवैधानिक और विधायी ढांचे के अंतर्गत ही हल हो सकता है.

    केंद्र सरकार चला रही है 'राष्ट्रीय गोकुल मिशन'

    हालांकि केंद्र सरकार गायों के कल्याण के लिए कई कदम उठा रही है. संसद में जानकारी दी गई कि दिसंबर 2014 से केंद्र सरकार राष्ट्रीय गोकुल मिशन चला रही है. इस मिशन का उद्देश्य देसी गायों की नस्लों का संरक्षण, सुधार और संवर्धन करना है. इसके तहत राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को गायों के पालन-पोषण के लिए आर्थिक और तकनीकी सहायता प्रदान की जाती है.

    गोकुल मिशन के माध्यम से देश में दुग्ध उत्पादन को भी बढ़ावा मिला है. इस योजना का बड़ा उद्देश्य भारतीय नस्लों की गायों को वैज्ञानिक तरीके से प्रजनन, पोषण और स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराना है, जिससे उनका उत्पादक जीवन बढ़ सके और किसानों की आय में वृद्धि हो.

    दूध उत्पादन में गाय का अहम योगदान

    इस विषय पर मंत्री ने संसद में यह भी जानकारी दी कि भारत में वर्ष 2024 के दौरान कुल 239.30 मिलियन टन दूध का उत्पादन हुआ है. इसमें से 53.12% हिस्सा गाय के दूध का रहा. यह आंकड़ा इस बात का प्रमाण है कि भारतीय दुग्ध उद्योग में गाय का कितना महत्वपूर्ण योगदान है.

    यह भी बताया गया कि देश में दूध का अधिकांश उत्पादन छोटे और सीमांत किसानों के माध्यम से होता है, जिनके पास सीमित संसाधन होते हैं, और वे मुख्य रूप से गाय पर निर्भर रहते हैं. गाय के दूध की गुणवत्ता और पोषण मूल्य को देखते हुए यह देश की पोषण सुरक्षा में भी अहम भूमिका निभाता है.

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