चीन में इन दिनों कुछ बेहद दिलचस्प और असामान्य घटनाक्रम हो रहे हैं. चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग, जिन्होंने खुद को पार्टी का "कोर नेता" घोषित किया था और सत्ता में गहरी पकड़ बनाई थी, अब धीरे-धीरे सत्ता के बंटवारे की दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं. ऐसा क्या हुआ है कि जिनपिंग को अपने सशक्त नेतृत्व में बदलाव लाने की आवश्यकता महसूस हो रही है? जवाब ढूंढने के लिए हमें चीन की वर्तमान परिस्थितियों और शी जिनपिंग की राजनीति की परतों को खोलना होगा.
शी जिनपिंग का अचानक बदलाव क्यों?
हाल ही में शी जिनपिंग की अध्यक्षता में कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना (CPC) के पॉलिटब्यूरो की महत्वपूर्ण बैठक हुई. इस बैठक के दौरान एक बड़ा ऐलान किया गया कि पार्टी की यह सबसे ताकतवर इकाई अब और ज्यादा शक्तियों से लैस होगी. यह वही इकाई है, जिसकी शक्ति को पहले शी जिनपिंग ने खुद सीमित कर दिया था. इसके अलावा, सूत्रों के अनुसार, शी जिनपिंग अब धीरे-धीरे अपने पास केंद्रित किए गए अधिकारों को पार्टी के अन्य अंगों को वापस लौटाने का मन बना चुके हैं.
यह बदलाव ऐसे समय में हो रहा है जब चीन की अर्थव्यवस्था लगातार गिरावट की ओर बढ़ रही है. बेरोजगारी का स्तर रिकॉर्ड पर है, और रियल एस्टेट सेक्टर का बुरा हाल है. साथ ही, चीन में जनता की असंतोष की लहर भी तेज हो रही है. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि शी जिनपिंग अब अपने शासनकाल को असफलता के रूप में याद नहीं रखना चाहते. वे शायद सम्मानजनक तरीके से सत्ता से पीछे हटने का रास्ता तैयार कर रहे हैं, ताकि उनका "सुपरमैन" व्यक्तित्व बचा रहे और उनकी छवि एक सफल नेता के रूप में बनी रहे.
शी जिनपिंग का राजनीतिक सफर
शी जिनपिंग ने 2012 में कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना (CPC) के महासचिव के रूप में सत्ता संभाली थी. इसके बाद, उन्होंने केंद्रीय सैन्य आयोग की कमान अपने हाथों में ली और खुद को पार्टी का "कोर नेता" घोषित किया, जो माओ जेडोंग के बाद केवल उनकी ही उपाधि थी. उनका यह कदम पार्टी में अपनी पकड़ को मजबूत करने और देश के शासन में अकेले निर्णायक भूमिका निभाने की दिशा में था. लेकिन अब जब चीनी अर्थव्यवस्था संकट का सामना कर रही है और जनता में असंतोष बढ़ रहा है, तो शायद शी जिनपिंग खुद को एक नई दिशा देने का विचार कर रहे हैं.
चीन में राजनीति का बड़ा मोड़
यदि शी जिनपिंग सचमुच सत्ता से पीछे हटने का निर्णय लेते हैं, तो यह 21वीं सदी के सबसे बड़े राजनीतिक परिवर्तनों में से एक माना जाएगा. यह बदलाव न सिर्फ चीन के अंदर बल्कि दुनिया भर में चर्चा का विषय बनेगा, क्योंकि चीन के फैसले वैश्विक स्तर पर प्रभाव डालते हैं. शी जिनपिंग की सत्ता से हटने के बाद चीन की राजनीति किस दिशा में जाएगी, इसे लेकर तमाम अटकलें लगाई जा रही हैं. हालांकि, यह भी संभव है कि वे अपनी जगह नए नेतृत्व को तैयार करने की योजना बना रहे हों, ताकि पार्टी की ताकत और प्रभाव बनाए रखा जा सके.
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