पाकिस्तान के खिलाफ सरकार द्वारा तैयार किए गए बहुदलीय डेलिगेशन पर तृणमूल कांग्रेस (TMC) की आपत्ति ने तूल पकड़ लिया है. केंद्र सरकार द्वारा विभिन्न देशों में पाकिस्तान की कुत्सित करतूतों का पर्दाफाश करने के लिए भेजे जाने वाले इस प्रतिनिधिमंडल में पूर्व क्रिकेटर और तृणमूल कांग्रेस के सांसद यूसुफ पठान का नाम भी था. लेकिन, अब यह साफ हो गया है कि टीएमसी पठान को इस दल में भेजने के लिए तैयार नहीं है, और इसके कारण पठान ने भी डेलिगेशन के साथ यात्रा करने से इनकार कर दिया है.
ममता बनर्जी का बयान
इस मामले में तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी ने खुलासा किया है कि उनकी पार्टी इस मुद्दे पर पूरी तरह से केंद्र सरकार के साथ खड़ी है, लेकिन यह तय करने का अधिकार केवल उनकी पार्टी का है कि प्रतिनिधिमंडल में कौन जाएगा, न कि भारतीय जनता पार्टी (BJP) का. ममता ने कहा, "हमारी पार्टी केंद्र सरकार के साथ है, लेकिन किसी भी डेलीगेशन में हमारा प्रतिनिधित्व कौन करेगा, यह फैसला बीजेपी नहीं कर सकती, यह हमारी पार्टी का अधिकार है."
अभिषेक बनर्जी का भी स्पष्टीकरण
टीएमसी महासचिव और ममता बनर्जी के भतीजे, अभिषेक बनर्जी ने भी इस मामले पर अपनी बात रखी और कहा कि पार्टी ने इस बहुदलीय डेलिगेशन का कोई बॉयकॉट नहीं किया है. उन्होंने कहा, "हमने इस मुद्दे को राजनीति से दूर रखा है. जब बात देश की होती है, तो हम राजनीति का विरोध करते हैं. हम हमेशा राष्ट्रहित को प्राथमिकता देते हैं और केंद्र सरकार का समर्थन करते हैं."
डेलिगेशन और टीएमसी की स्थिति
केंद्र सरकार ने पाकिस्तान की करतूतों को उजागर करने के लिए सात देशों में बहुदलीय प्रतिनिधिमंडल भेजने की योजना बनाई थी. इसमें कांग्रेस के शशि थरूर, बीजेपी के रविशंकर प्रसाद और बैजयंत पांडा, जेडीयू के संजय कुमार झा, डीएमके की कनिमोझी, एनसीपी-एसपी की सुप्रिया सुले, और शिवसेना के श्रीकांत शिंदे जैसे नेता शामिल थे. हालांकि, टीएमसी ने इस डेलिगेशन का समर्थन किया है, लेकिन यह स्पष्ट कर दिया है कि उनके प्रतिनिधि कौन होंगे, यह निर्णय पार्टी ही लेगी.
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