बहावलपुर में सिर्फ आतंकी नहीं जनरल भी होते हैं पैदा, ऑपरेशन सिंदूर से क्‍यों भड़की है पाक‍िस्‍तानी सेना?

    भारत द्वारा हाल में अंजाम दिए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ ने केवल आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई भर नहीं की, बल्कि एक रणनीतिक संकेत भी दिया है — पाकिस्तान की सैन्य और आतंकी संरचना के गहरे गठजोड़ को अब नजरअंदाज नहीं किया जाएगा.

    why is the Pakistani army enraged by Operation Sindoor
    प्रतीकात्मक तस्वीर/Photo- Internet

    नई दिल्ली: भारत द्वारा हाल में अंजाम दिए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ ने केवल आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई भर नहीं की, बल्कि एक रणनीतिक संकेत भी दिया है — पाकिस्तान की सैन्य और आतंकी संरचना के गहरे गठजोड़ को अब नजरअंदाज नहीं किया जाएगा.

    विशेष रूप से पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में स्थित बहावलपुर पर केंद्रित इस कार्रवाई ने पाकिस्तान की सेना की उस परिधि को प्रभावित किया है जिसे अब तक "अस्पृश्य" माना जाता रहा है.

    सिर्फ एक आतंकी गढ़ नहीं, सैन्य केंद्र

    बहावलपुर को अक्सर मौलाना मसूद अजहर और उसकी आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के ठिकाने के तौर पर देखा जाता रहा है. लेकिन यह क्षेत्र पाकिस्तान की सेना, विशेष रूप से उसकी XXXI कोर का मुख्यालय भी है, जो रावलपिंडी स्थित जनरल हेडक्वार्टर (GHQ) को सीधे रिपोर्ट करती है.

    यह कोर भारत के राजस्थान सेक्टर के सामने तैनात मानी जाती है और रणनीतिक दृष्टि से पाकिस्तान के दक्षिणी मोर्चे की निगरानी करती है. बहावलपुर को निशाना बनाना एक सिर्फ प्रतीकात्मक या सामरिक नहीं, बल्कि रणनीतिक बयान था.

    आतंक और सेना के गठबंधन पर सीधा प्रहार

    इस ऑपरेशन की प्रकृति पर प्रकाश डालते हुए रक्षा विश्लेषक अजय शुक्ला कहते हैं, “यह हमला केवल आतंकवादियों पर नहीं, बल्कि पाकिस्तानी सेना की उस रणनीति पर था जिसमें सैन्य और आतंकी तत्व एक-दूसरे के पूरक बनकर काम करते हैं.”

    सी. क्रिस्टीन फेयर, अमेरिका की राजनीतिक विश्लेषक, ने भी इस स्ट्राइक को ऐतिहासिक करार देते हुए कहा कि, “यह पहली बार है कि भारत ने पाकिस्तान के उस भू-भाग को निशाना बनाया है जिसे वह सेना का गर्व और नियंत्रण केंद्र मानता है.”

    भारत की नई नीति में कोई अस्पृश्य नहीं

    ऑपरेशन सिंदूर यह स्पष्ट करता है कि भारत अब उन सीमाओं से बंधा नहीं रहना चाहता जो केवल डिप्लोमैटिक शिष्टाचार या सैन्य संयम के नाम पर आतंकी ढांचों को संरक्षण देती थीं. भारत ने यह दर्शाया है कि यदि आतंकवाद को जड़ से खत्म करना है, तो उन संरचनाओं पर चोट करनी होगी जो उन्हें पनाह और समर्थन देती हैं — चाहे वे कहीं भी हों.

    पाकिस्तानी सेना की प्रतिक्रिया

    पाकिस्तान की सेना के लिए यह स्ट्राइक न केवल सुरक्षा में सेंध है, बल्कि उसकी मनोवैज्ञानिक ताकत पर भी प्रहार है. बहावलपुर जैसे क्षेत्रों पर हमला करना पाकिस्तान की सेना के लिए ‘रेड ज़ोन’ में घुसपैठ’ जैसा है — और यही वजह है कि प्रतिक्रियाएं तीखी होने की आशंका है.

    यह हमला उस आत्मविश्वास को भी चुनौती देता है जो पाकिस्तान सेना अपने नियंत्रण क्षेत्रों को लेकर रखती थी. अब भारत की रणनीति स्पष्ट है — जहां से आतंक फैलेगा, वहीं जवाब मिलेगा.

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