ICC के अरेस्ट वारंट से नहीं डरते पुतिन, भारत समेत दुनियाभर का कर रहे दौरा, क्यों नहीं करते परवाह?

    रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के हालिया अंतरराष्ट्रीय दौरे ने वैश्विक मीडिया और कूटनीतिक विशेषज्ञों का ध्यान खींचा है.

    Why is Putin not afraid of ICC arrest warrant India Visit
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    मॉस्को: रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के हालिया अंतरराष्ट्रीय दौरे ने वैश्विक मीडिया और कूटनीतिक विशेषज्ञों का ध्यान खींचा है. मार्च 2023 में इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट (ICC) ने पुतिन के खिलाफ अरेस्ट वारंट जारी किया था, लेकिन इसके बावजूद पुतिन लगातार दुनिया के कई देशों का दौरा कर रहे हैं. इसमें अमेरिका, चीन, बेलारूस, वियतनाम, उत्तर कोरिया, मंगोलिया और मध्य एशियाई देश शामिल हैं. 2025 में पुतिन भारत भी आ रहे हैं, जहां वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ 23वीं इंडिया-रूस एनुअल समिट में भाग लेंगे.

    इस पूरे घटनाक्रम से एक सवाल उठता है कि क्या पुतिन को ICC के अरेस्ट वारंट की चिंता नहीं है और क्या देशों जैसे भारत को ICC के आदेशों के अनुसार किसी राष्ट्राध्यक्ष को हिरासत में लेने की कानूनी बाध्यता है.

    ICC अरेस्ट वारंट क्यों जारी किया गया?

    ICC के प्री-ट्रायल चैंबर II ने 17 मार्च 2023 को पुतिन के खिलाफ अरेस्ट वारंट जारी किया. इसके साथ ही रूस की चिल्ड्रन्स राइट्स कमिश्नर, मारिया ल्वोवा-बेलोवा का भी नाम संदिग्ध के तौर पर शामिल किया गया.

    वारंट के अनुसार, पुतिन और ल्वोवा-बेलोवा पर आरोप हैं कि उन्होंने यूक्रेन के रूस द्वारा कब्जा किए गए इलाकों से बच्चों को गैर-कानूनी तरीके से निकालकर रूस भेजने का आदेश दिया. यह बच्चों को जबरन निकालने और उन्हें रूस में गोद लेने की प्रक्रिया को सरल बनाने के प्रयासों से जुड़ा है.

    ICC के प्रॉसिक्यूटर, करीम एए खान ने कहा कि इन कार्रवाइयों का समय 24 फरवरी 2022 से शुरू हुआ, जो कि रूस के बड़े पैमाने पर यूक्रेन पर हमले की तारीख है. आरोप के अनुसार हजारों यूक्रेनी बच्चे, जिनमें अनाथालय और केयर होम के बच्चे शामिल थे, को जबरदस्ती रूस ले जाया गया. ICC इसे युद्ध अपराध और चौथे जिनेवा कन्वेंशन का उल्लंघन मानता है.

    पुतिन के खिलाफ कानूनी आधार और प्रतिक्रिया

    ICC का तर्क है कि पुतिन की कार्रवाई रॉमन स्टैच्यूट के आर्टिकल 8 के तहत गंभीर युद्ध अपराध है. हालांकि, रूस ICC का सदस्य नहीं है और उसने कोर्ट के अधिकार को खारिज किया है. रूस का कहना है कि ICC का यह वारंट राजनीतिक प्रेरित और गैर-कानूनी है.

    यूक्रेन, जो ICC का सदस्य नहीं है, ने 2014 और उसके बाद दो बार ICC के अधिकार को मान्यता दी. यही आधार है कि ICC रूस जैसे गैर-सदस्य देश के राष्ट्रपति के खिलाफ वारंट जारी कर सका.

    भारत ICC वारंट लागू क्यों नहीं कर सकता?

    भारत ने ICC के रोम स्टैच्यूट को कभी स्वीकार नहीं किया है. इसका मतलब यह है कि भारत पर ICC के आदेश लागू नहीं होते और भारत किसी भी राष्ट्राध्यक्ष को ICC के आदेश के तहत हिरासत में लेने के लिए बाध्य नहीं है.

    1998 में ICC की ड्राफ्टिंग प्रक्रिया के दौरान भारत ने कई आपत्तियां दर्ज की थीं. इनमें मुख्य रूप से कोर्ट के राजनीतिकरण और स्थायी सदस्य देशों को विशेषाधिकार देने का मुद्दा था. भारत का तर्क है कि कोर्ट को पूरी तरह स्वतंत्र और न्यायिक अंग के रूप में काम करना चाहिए, न कि राजनीतिक दबाव या कूटनीतिक खेल का हिस्सा.

    इस कारण भारत जैसे देश ICC वारंट के बावजूद पुतिन के दौरे के दौरान उन्हें हिरासत में लेने के लिए बाध्य नहीं हैं.

    पुतिन की वैश्विक यात्रा और ICC का असर

    ICC वारंट के बावजूद पुतिन ने कई प्रमुख देशों का दौरा किया है. इनमें शामिल हैं:

    • अमेरिका और चीन
    • मध्य एशिया के कई देश
    • बेलारूस, वियतनाम, उत्तर कोरिया, मंगोलिया

    विशेषज्ञ मानते हैं कि पुतिन की यह सक्रिय कूटनीतिक यात्रा दर्शाती है कि ICC के वारंट का अंतरराष्ट्रीय यात्रा पर कोई विशेष प्रतिबंध नहीं है, खासकर तब जब वह देशों में जा रहे हैं जिन्होंने ICC को मान्यता नहीं दी है.

    पुतिन की यह रणनीति अपने घरेलू और अंतरराष्ट्रीय छवि को मजबूत करने के उद्देश्य से की जा रही है. ICC के बावजूद पुतिन का यह दिखाना है कि वे वैश्विक मंच पर प्रभावशाली बने हुए हैं.

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