नई दिल्ली: भारत ने अपने परमाणु हथियारों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि की है, जिससे वह अब इस क्षेत्र में पाकिस्तान से आगे निकल चुका है. प्रतिष्ठित स्वीडिश थिंक टैंक स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, भारत के पास अब कुल 180 परमाणु हथियार हैं, जबकि पाकिस्तान की गिनती तीन वर्षों से 170 पर स्थिर बनी हुई है.
तीन वर्षों में 16 नए परमाणु हथियार जोड़े
2023 में भारत के पास 164 परमाणु हथियार थे. यह संख्या 2024 में 172 हो गई और 2025 की शुरुआत तक 180 पर पहुंच गई. यह बढ़ोतरी भारत की रणनीतिक और तकनीकी क्षमताओं में लगातार सुधार को दर्शाती है.
भारत ने सिर्फ परमाणु बमों की संख्या ही नहीं बढ़ाई है, बल्कि हथियारों की मारकता और प्रतिक्रिया क्षमता भी उन्नत की है. नई तकनीकों जैसे MIRV (Multiple Independently Targetable Re-entry Vehicles) और कैनिस्टराइज्ड मिसाइल प्रणाली ने भारत की परमाणु क्षमता को अधिक लचीला और प्रतिक्रियाशील बनाया है.
भारत के कम परमाणु हथियार रखने की वजह
वर्षों तक भारत ने पाकिस्तान की तुलना में कम परमाणु हथियार रखे. इसके पीछे तीन प्रमुख कारण रहे:
'नो फर्स्ट यूज' नीति: भारत ने 1998 में परमाणु परीक्षण के बाद स्पष्ट किया था कि वह पहले परमाणु हमला नहीं करेगा. इस नीति के चलते भारत ने सिर्फ उतनी ही क्षमता बनाई, जिससे शत्रु को संभावित जवाबी हमला रोक सके.
भूगोल और रणनीतिक सोच: पाकिस्तान का क्षेत्रफल भारत की तुलना में काफी छोटा है. ऐसे में कम संख्या में शक्तिशाली हथियार पाकिस्तान को संतुलित करने के लिए पर्याप्त माने गए.
तकनीक पर फोकस, मात्रा पर नहीं: भारत ने हथियारों की संख्या से अधिक गुणवत्ता पर ध्यान दिया. MIRV जैसी तकनीकें और लंबी दूरी की मिसाइलें इसकी मिसाल हैं.
अब भारत हथियार क्यों बढ़ा रहा है?
अब सवाल यह उठता है कि भारत ने हथियारों की संख्या में तेजी से इजाफा क्यों किया? इसका सबसे बड़ा कारण चीन की सैन्य तैयारियां मानी जा रही हैं.
SIPRI की रिपोर्ट के अनुसार चीन के पास अब करीब 600 परमाणु हथियार हैं और वह हर साल लगभग 100 नए हथियार तैयार कर रहा है. चीन ने हाल ही में अपने कई हथियार ऑपरेशनल अलर्ट पर भी तैनात कर दिए हैं, जिससे वह किसी भी समय प्रतिक्रिया देने में सक्षम है.
भारत के रणनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि यह स्थिति भारत को एक दोहरे मोर्चे- पाकिस्तान और चीन से खतरे की संभावना के लिए तैयार रहने को मजबूर कर रही है.
चीन की चुनौती से निपटने की रणनीति
भारत अब अग्नि-6 जैसी लंबी दूरी की मिसाइलों पर काम कर रहा है, जिनकी रेंज 6,000 से 8,000 किलोमीटर तक हो सकती है – यानी चीन के लगभग हर कोने तक पहुंच संभव. चीन का बड़ा क्षेत्रफल और सैन्य ठिकानों की बिखरी स्थिति के कारण भारत को ज्यादा संख्या में मिसाइलों और हथियारों की जरूरत महसूस हो रही है.
ORF के डिफेंस एक्सपर्ट मनोज जोशी कहते हैं, “भारत की हथियार बढ़ाने की रणनीति चीन के परमाणु विस्तार की प्रतिक्रिया है, न कि पाकिस्तान के कारण.”
द्विमोर्चीय खतरे के लिए तैयारी
विशेषज्ञ सुशांत सरीन के अनुसार, भारत यह संदेश देना चाहता है कि यदि पाकिस्तान और चीन मिलकर हमला करते हैं, तो भारत दोहरी जवाबी कार्रवाई की पूरी क्षमता रखता है. भारत की “नो फर्स्ट यूज” नीति आज भी बरकरार है, लेकिन इसके बावजूद रणनीतिक संतुलन बनाए रखना समय की मांग बन गई है.
भारत के परमाणु हथियार कहां हैं?
भारत अपनी परमाणु क्षमता की सटीक जानकारी सार्वजनिक नहीं करता. सामान्यतः हथियार और उनके लॉन्च प्लेटफॉर्म अलग-अलग स्थानों पर रखे जाते हैं. हालांकि, अब माना जा रहा है कि कई हथियार अंडरग्राउंड बंकरों में तैनात हैं, जहाँ से जरूरत पड़ने पर तुरंत लॉन्च संभव है.
वैश्विक परिप्रेक्ष्य में भारत की स्थिति
दुनिया में नौ देश परमाणु हथियार रखते हैं. इनमें सबसे ज्यादा हथियार रूस (5,459) और अमेरिका (5,177) के पास हैं, ये दोनों देश वैश्विक परमाणु भंडार का 90% नियंत्रित करते हैं.
भारत की स्थिति इन महाशक्तियों से काफी अलग है. भारत का फोकस न्यूनतम लेकिन विश्वसनीय प्रतिरोध क्षमता (Minimum Credible Deterrence) बनाए रखने पर है. यह दृष्टिकोण रक्षा को आक्रामकता से अलग करता है.
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