क्या हो अगर आप आज सोकर उठें और पाएं कि आपके देश में अब भी साल 2017 चल रहा है? सुनकर हैरानी जरूर होगी, लेकिन अफ्रीकी देश इथियोपिया में यही हकीकत है. जब दुनिया 2025 में प्रवेश कर चुकी है, इथियोपिया अब भी 2017 में जीवन जी रहा है और इसके पीछे एक दिलचस्प इतिहास और संस्कृति छिपी है.
कैलेंडर में क्यों है 7 साल का अंतर?
इथियोपिया का अपना एक अलग कैलेंडर सिस्टम है जिसे इथियोपियन कैलेंडर कहते हैं. यह कैलेंडर दुनिया के सामान्य ग्रेगोरियन कैलेंडर से लगभग 7 साल और 3 महीने पीछे चलता है. इस फर्क की शुरुआत तब हुई जब 1582 में पोप ग्रेगरी XIII ने नया कैलेंडर लागू किया जिसे अधिकांश देशों ने अपनाया, लेकिन इथियोपिया ने नहीं.
धर्म और परंपरा का असर
इथियोपिया में अधिकतर लोग ऑर्थोडॉक्स क्रिश्चियन हैं और उनका मानना है कि ईसा मसीह का जन्म 7 ईसा पूर्व (BC) में हुआ था. यही गिनती उनकी कैलेंडर प्रणाली की नींव बनी, जबकि बाकी दुनिया में ईसा मसीह के जन्म का साल AD 1 माना गया. इस कारण समय की गिनती में अंतर आ गया और आज तक यह जारी है.
13 महीने का साल, सिर्फ इथियोपिया में
इथियोपियन कैलेंडर की एक और खास बात है कि यहां साल में 12 नहीं, बल्कि 13 महीने होते हैं. पहले 12 महीने होते हैं 30 दिन के और 13वां महीना, जिसे "पाग्युमे" कहा जाता है, उसमें 5 या 6 दिन होते हैं. यह अतिरिक्त महीना उस समय को समेटता है जो साल भर के गिनती में नहीं आता.
11 सितंबर को आता है नया साल
यहां का नया साल 11 सितंबर को मनाया जाता है, न कि 1 जनवरी को. इसे “एंकुटाताश” कहा जाता है, जो फसल, बारिश और नए सत्र की शुरुआत का प्रतीक है. यह दिन इथियोपिया में बड़े हर्ष और सांस्कृतिक उत्सवों के साथ मनाया जाता है.
इतिहास और प्रकृति का खजाना है इथियोपिया
इतना ही नहीं, यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साइट्स की सबसे ज्यादा संख्या इथियोपिया में है. यहाँ की ऐतिहासिक गुफाएं, चर्च, पहाड़ और संस्कृति दुनियाभर के यात्रियों को आकर्षित करती है.
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