बित्रा द्वीप पर कब्जा क्यों करना चाहती है भारत सरकार? चीन, तुर्की, मालदीव को घेरने की हो रही तैयारी!

    लक्षद्वीप के शांत और आबादी में सबसे छोटे द्वीप बित्रा पर केंद्र सरकार की निगाह एक बार फिर टिक गई है.

    Why does the Indian government want to capture Bitra Island?
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    नई दिल्ली: लक्षद्वीप के शांत और आबादी में सबसे छोटे द्वीप बित्रा पर केंद्र सरकार की निगाह एक बार फिर टिक गई है. लेकिन इस बार मामला केवल प्रशासनिक या विकास से जुड़ा नहीं, बल्कि भारत की समुद्री सुरक्षा और रणनीतिक बढ़त से जुड़ा है.

    हाल ही में सामने आई एक अधिसूचना के बाद बित्रा द्वीप का अधिग्रहण चर्चा में है. स्थानीय लोगों और सांसद हमदुल्ला सईद ने इसका खुलकर विरोध किया है, लेकिन इस घटनाक्रम के पीछे जो बड़ी तस्वीर है, वह सिर्फ एक द्वीप नहीं, बल्कि हिंद महासागर में भारत की सैन्य और कूटनीतिक स्थिति को लेकर है.

    बित्रा द्वीप: छोटा लेकिन रणनीतिक तौर पर अहम

    लंबाई सिर्फ 0.57 किमी और चौड़ाई महज़ 0.28 किमी, लेकिन सामरिक दृष्टि से यह छोटा द्वीप अरब सागर में एक बेहद संवेदनशील जगह पर स्थित है. यह कोच्चि से करीब 483 किमी दूर है और 2011 की जनगणना के अनुसार यहां सिर्फ 271 लोग रहते हैं.

    केंद्र सरकार का मकसद यहां रक्षा अधिष्ठान स्थापित करना है, जिससे यह लक्षद्वीप का तीसरा सैन्य द्वीप बन जाएगा — INS द्वीपरक्षक (कवडत्ती) और INS जटायु (मिनिकॉय) के बाद.

    आखिर सरकार क्यों चाहती है बित्रा का अधिग्रहण?

    11 जुलाई को जारी एक अधिसूचना में स्पष्ट किया गया है कि बित्रा द्वीप को अधिग्रहित कर उसे राष्ट्रीय सुरक्षा और रणनीतिक एजेंसियों के लिए तैयार किया जाएगा.

    सरकार का तर्क है कि द्वीप की भौगोलिक स्थिति, आसपास के अंतरराष्ट्रीय समुद्री मार्गों की नजदीकी, और इससे जुड़ी लॉजिस्टिक चुनौतियों के चलते यहां स्थायी सैन्य निगरानी प्रणाली की ज़रूरत है.

    हिंद महासागर में भारत की रणनीतिक मौजूदगी

    सीएसआर जर्नल के अनुसार, बित्रा का अधिग्रहण भारत के समुद्री सुरक्षा नेटवर्क को मजबूत करने की राष्ट्रीय योजना का हिस्सा है. यह द्वीप न केवल भारत की निगरानी क्षमता को बढ़ाएगा, बल्कि मालदीव, पाकिस्तान, तुर्की और चीन जैसे देशों की गतिविधियों पर भी सीधी नजर रख पाएगा.

    मिनिकॉय और एंड्रोथ जैसे द्वीपों में नौसेना के हालिया अपग्रेड्स के बाद, बित्रा का जुड़ना एक तीन बिंदुओं वाला समुद्री सुरक्षा त्रिकोण बना देगा, जो भारत को अरब सागर की प्रमुख समुद्री लाइनें सुरक्षित करने में मदद करेगा.

    सामरिक सतर्कता: चीन और तुर्की की बढ़ती मौजूदगी

    मालदीव में मोहम्मद मुइज्जू के राष्ट्रपति बनने के बाद हालात बदले हैं. चीन ने मालदीव में कई गुप्त सैन्य समझौते किए हैं, जिनके तहत चीनी जासूसी जहाज मालदीव में नियमित रूप से लंगर डालते हैं. तुर्की भी मालदीव को सैन्य ड्रोन और नौसैनिक समर्थन दे रहा है.

    इस पृष्ठभूमि में, भारत के लिए लक्षद्वीप जैसे द्वीपों का सामरिक इस्तेमाल बेहद ज़रूरी हो जाता है, ताकि हिंद महासागर में बाहरी ताकतों के प्रभाव को संतुलित किया जा सके.

    स्थानीय विरोध और राष्ट्रीय जरूरत के बीच संतुलन जरूरी

    जहां रणनीतिक जरूरतें बित्रा को राष्ट्रीय सुरक्षा का हिस्सा बनाने की ओर इशारा करती हैं, वहीं स्थानीय आबादी इसे अपनी विरासत और अस्तित्व से जोड़कर देखती है. सांसद हमदुल्ला सईद ने इस अधिग्रहण के खिलाफ खुलकर बयान दिया और इसे "पीढ़ियों से चली आ रही ज़मीन पर कब्ज़ा" बताया.

    इस स्थिति में, सरकार के लिए जरूरी होगा कि वह स्थानीय समुदायों को विश्वास में ले, उनकी संस्कृति, भूमि और अधिकारों की रक्षा करते हुए राष्ट्रीय सुरक्षा की दिशा में कदम बढ़ाए.

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