नई दिल्ली: एक नई सैन्य संस्कृति, स्पष्ट राजनीतिक इच्छाशक्ति और तीनों सेनाओं के अभूतपूर्व समन्वय के साथ भारत ने एक बार फिर यह सिद्ध कर दिया है कि राष्ट्र की सुरक्षा अब न केवल प्राथमिकता है, बल्कि यह भारतीय सैन्य सिद्धांत की रीढ़ बन चुकी है. ऑपरेशन सिंदूर एक सधे हुए, सुनियोजित और बहुआयामी सैन्य प्रयास ने न सिर्फ पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद को करारा जवाब दिया, बल्कि आने वाले वर्षों के लिए नई सैन्य भाषा और रणनीति की नींव भी रख दी.
भय बिन होय ना प्रीत- एयर मार्शल भारती
भारतीय वायुसेना के वरिष्ठ अधिकारी एयर मार्शल अवधेश कुमार भारती ने प्रेस वार्ता के दौरान रामचरितमानस की प्रसिद्ध पंक्ति उद्धृत करते हुए कहा: "विनय ना माने जलधि जड़, गए तीन दिन बीत, बोले राम सकोप तक भय बिन होय ना प्रीत."
यह महज एक श्लोक नहीं, बल्कि एक चेतावनी थी और वह भी बेहद स्पष्ट. भारती ने कहा कि भारत की लड़ाई आतंकवाद से है, लेकिन जब किसी देश की सेना आतंकियों की ढाल बन जाए, तो उस देश की जवाबदेही भी तय हो जाती है. भारती ने दो टूक शब्दों में कहा, "हमने उन पर हमला नहीं किया, हमने उनके अपराध की रक्षा करने वाले कवच को तोड़ा है. और इसके लिए जिम्मेदार वही हैं."
अगली लड़ाइयाँ पहले जैसी नहीं होंगी
भारती ने यह भी संकेत दिया कि भारत अब पारंपरिक सैन्य प्रतिक्रियाओं की सीमाओं से आगे बढ़ चुका है. उन्होंने कहा, "हर युद्ध की प्रकृति भिन्न होती है. ऑपरेशन सिंदूर एक ऐसी लड़ाई थी, जिसे तकनीक, डेटा और त्वरित निर्णय क्षमता के बल पर लड़ा गया. अगली लड़ाइयाँ और भी जटिल होंगी. लेकिन हम हर मोर्चे पर उनसे आगे रहेंगे."
इस वक्तव्य ने यह स्पष्ट कर दिया कि भारत की रणनीति अब प्रतिक्रियाशील नहीं, बल्कि सक्रिय और बहुआयामी है.
तीनों सेनाओं का तालमेल एक मिसाल
भारत के सैन्य इतिहास में यह पहली बार नहीं है कि तीनों सेनाएँ एक साथ सक्रिय हुईं हों, लेकिन ऑपरेशन सिंदूर में उनका तालमेल एक मिसाल बनकर उभरा. नौसेना के वाइस एडमिरल एएन प्रमोद ने खुलासा किया कि ऑपरेशन की अवधि में समुद्री सीमाओं की निगरानी किसी भी आधुनिक समुद्री बल के मानकों से कम नहीं थी.
"हमारी निगरानी प्रणाली—रडार, सैटेलाइट लिंक और हाई-स्पीड डेटा ट्रैकिंग—हर एक संभावित खतरे को पल-पल मॉनिटर कर रही थी. तुर्की से आए ड्रोन हों या संदिग्ध समुद्री पोत—हमने उन्हें दूर से पहचाना और समय रहते निष्क्रिय किया," प्रमोद ने कहा.
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— Ministry of Defence, Government of India (@SpokespersonMoD) May 12, 2025
Media Briefing on #OpSINDOOR by DGMO & senior officers from the Indian Navy and Indian Air Force at National Media Centre. https://t.co/lxaq4XIr4t
उनके अनुसार मिग-29 लड़ाकू विमान तैनात थे, जो किसी भी स्थिति में जवाबी कार्रवाई के लिए तैयार थे. "हमने अपनी समुद्री सीमाओं के पास किसी भी खतरे को पिछले कुछ वर्षों में सौ किलोमीटर के दायरे में भी नहीं आने दिया है," उन्होंने गर्व से कहा.
प्रेस वार्ता से पहले दिनकर की कविता क्यों?
प्रेस कॉन्फ्रेंस की शुरुआत राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की प्रसिद्ध कविता “याचना नहीं अब रण होगा” से की गई. जब इस पर सवाल उठा, तो एयर मार्शल भारती मुस्कराते हुए बोले, "यह संदेश सिर्फ दुश्मन के लिए नहीं था, यह भारत की जनता के लिए भी था. यह हमारी मानसिकता की घोषणा थी—अब हम झुकते नहीं, जवाब देते हैं."
केवल हथियार नहीं, इच्छाशक्ति भी निर्णायक
लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई ने बताया कि भारत का एयर डिफेंस सिस्टम अब सिर्फ तकनीकी ढांचे तक सीमित नहीं रहा. यह एक बहुस्तरीय, लगातार सक्रिय और आधुनिक डेटा इंटेलिजेंस से लैस प्रणाली है. "कोई भी घुसपैठ अब सिर्फ रडार से नहीं, सैकड़ों निगरानी आंखों से टकराती है. और उनमें से कोई न कोई तुरंत सक्रिय होकर खतरे को समाप्त करता है," उन्होंने कहा.
उन्होंने बीएसएफ की भी तारीफ की और बताया कि सीमा पर तैनात जवानों ने इस ऑपरेशन को कामयाब बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. "यह सिर्फ सैन्य कार्रवाई नहीं थी, यह राष्ट्र का सामूहिक उत्तर था."
हम हर मोर्चे के लिए तैयार हैं- एयर मार्शल भारती
अंत में एयर मार्शल भारती ने पूरे आत्मविश्वास से कहा, "हमारे सभी बेस, सभी सिस्टम, और हर जवान किसी भी नई चुनौती के लिए तैयार है. यह सिर्फ हमारा कर्तव्य नहीं, अब हमारी प्रकृति बन चुकी है."
उन्होंने यह भी जोड़ा, "आतंकवादी संगठन या उनका समर्थन करने वाली शक्तियाँ चाहे किसी भी भूभाग से हों—तुर्किये, अफगानिस्तान, या किसी और देश से—हमारे पास उन्हें पहचानने और निष्क्रिय करने की पूरी क्षमता है. हमने यह साबित भी कर दिया है."
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