कौन हैं संजय यादव? तेजस्वी यादव के रणनीतिकार, अब RJD की हार के लिए ठहराए जा रहे जिम्मेदार

    बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन और राष्ट्रीय जनता दल (RJD) को जिस करारी हार का सामना करना पड़ा, उसमें संजय यादव, तेजस्वी यादव के रणनीतिकार और सलाहकार, पर गंभीर आरोप लग रहे हैं. तेजस्वी की पार्टी, जो 243 विधानसभा सीटों में से केवल 25 सीटों तक सिमट गई, और महागठबंधन का आंकड़ा भी 35 तक नहीं पहुंच सका, ने इस हार के लिए संजय यादव को जिम्मेदार ठहराया है.

    Who is Tejashwi Yadav s strategist Sanjay Yadav Lalu Family Controversy
    Image Source: Social Media

    बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन और राष्ट्रीय जनता दल (RJD) को जिस करारी हार का सामना करना पड़ा, उसमें संजय यादव, तेजस्वी यादव के रणनीतिकार और सलाहकार, पर गंभीर आरोप लग रहे हैं. तेजस्वी की पार्टी, जो 243 विधानसभा सीटों में से केवल 25 सीटों तक सिमट गई, और महागठबंधन का आंकड़ा भी 35 तक नहीं पहुंच सका, ने इस हार के लिए संजय यादव को जिम्मेदार ठहराया है. अब पार्टी के अंदर उठ रही नाराजगी और आरोप-प्रत्यारोप की चर्चाओं के बीच, सवाल उठ रहे हैं कि आखिर संजय यादव की राजनीतिक भूमिका पर विवाद क्यों बढ़ रहा है?

    संजय यादव के खिलाफ परिवार में बढ़ी नाराजगी

    आरजेडी के भीतर और परिवार में बढ़ते विवादों के बीच, तेजस्वी यादव के करीबी सलाहकार संजय यादव पर आरोप लगाए जा रहे हैं कि उन्होंने पार्टी और परिवार की राजनीति को गलत दिशा दी. लालू प्रसाद की बेटी, रोहिणी आचार्य ने तो साफ तौर पर कहा कि संजय यादव और उनके साथी रमीज ने उन्हें राजनीति छोड़ने और परिवार से नाता तोड़ने की सलाह दी. इस पर रोहिणी आचार्य ने सोशल मीडिया पर भी अपनी नाराजगी जताई और आरोप लगाया कि संजय यादव ने ही उन्हें इस फैसले के लिए उकसाया है.

    यह पहली बार नहीं है जब रोहिणी आचार्य ने संजय यादव के बारे में नकारात्मक टिप्पणी की हो. इससे पहले भी वह संजय की बढ़ती राजनीतिक ताकत और तेजस्वी यादव के लिए उनकी बढ़ती अहमियत को लेकर असहज महसूस कर चुकी थीं. इसके अलावा, तेजस्वी यादव के बड़े भाई तेज प्रताप यादव भी संजय यादव पर हमलावर रहते हैं, उन्हें "जयचंद" तक कह चुके हैं, जो लालू परिवार के लिए एक गंभीर आरोप माना जाता है.

    संजय यादव की बढ़ती राजनीतिक हैसियत और विवाद

    तेजस्वी यादव के करीबी सलाहकार संजय यादव का नाम अब बिहार की राजनीति में बड़े पैमाने पर लिया जाने लगा है. 2015 और 2020 के विधानसभा चुनावों में उनका योगदान काफी महत्वपूर्ण था, और वह तेजस्वी यादव की रणनीतिक टीम का अहम हिस्सा रहे. संजय ने राजद की राजनीतिक रणनीतियों को आकार देने में एक केंद्रीय भूमिका निभाई. हाल ही में वायरल हुआ एक वीडियो भी इस बात को उजागर करता है कि संजय यादव और तेजस्वी यादव के बीच खुलकर राजनीतिक चर्चाएं होती थीं, जिसमें बीजेपी नेताओं को अपने शपथ ग्रहण समारोह में बुलाने की बात की गई थी.

    हालांकि, संजय यादव के प्रभाव के बावजूद पार्टी के अंदर उनकी बढ़ती ताकत पर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. चुनावी रणनीतियों और गठबंधन के मामलों में उनकी अहम भूमिका ने पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेताओं और लालू परिवार के कुछ सदस्यों को असहज कर दिया है. रोहिणी आचार्य और तेज प्रताप यादव जैसे नेताओं ने खुलकर संजय यादव को लेकर अपनी नाराजगी व्यक्त की है और उन्हें पार्टी की हार का एक प्रमुख कारण मानते हैं.

    संजय यादव का बिहार राजनीति में प्रवेश

    संजय यादव की राजनीति में एंट्री साल 2013 में हुई थी, जब तेजस्वी यादव ने उन्हें अपनी टीम में शामिल किया. दोनों की मुलाकात समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव के माध्यम से हुई थी. संजय यादव, जो कि हरियाणा के महेन्द्रगढ़ के रहने वाले हैं और एक राजनीतिक परिवार से आते हैं, को पहले एक निजी कंपनी में काम करने का अनुभव था. उन्होंने कंप्यूटर साइंस में M.Sc और MBA की डिग्री हासिल की थी और डेटा एनालिसिस और मैनेजमेंट के क्षेत्र में अच्छा खासा अनुभव था.

    2013 के बाद संजय यादव ने तेजस्वी यादव को बिहार की राजनीति में पैर जमाने के लिए पूरी तरह से तैयार किया. उन्होंने राजद की राजनीति को नया दिशा देने के लिए अपनी रणनीतियों का निर्माण किया और तेजस्वी यादव को एक उपमुख्यमंत्री के रूप में स्थापित किया. इसके बाद, 2015 और 2020 के विधानसभा चुनावों में उन्होंने अपनी सलाह और योजनाओं से पार्टी को जीत दिलाई. संजय की राजनीतिक यात्रा ने उन्हें पार्टी के अंदर एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाया.

    चुनावी रणनीतियों से लेकर राज्यसभा तक का सफर

    संजय यादव का राजनीति में प्रभाव 2015 और 2020 के विधानसभा चुनावों में और भी स्पष्ट हुआ. तेजस्वी यादव की राज्यव्यापी यात्राओं की योजना से लेकर बिहार में गठबंधन की राजनीति को सुदृढ़ करने तक, संजय ने अपनी भूमिका का भरपूर लाभ उठाया. 2024 में, उन्हें राजद द्वारा राज्यसभा के लिए भेजा गया, जहां उनकी राजनीतिक साख और भी मजबूत हो गई. अब 2025 के विधानसभा चुनाव की तैयारी में भी उनकी भूमिका काफी अहम मानी जा रही थी, और वह हमेशा तेजस्वी के साथ चुनावी सभा और रणनीतिक बैठकें करते नजर आए.

    हालांकि, संजय यादव की ताकत बढ़ने के साथ-साथ पार्टी में उनका विरोध भी बढ़ा. परिवार के भीतर ही संजय यादव को लेकर विवादों की शुरुआत हुई, जिसमें तेज प्रताप यादव और रोहिणी आचार्य ने उन्हें खुले तौर पर निशाना बनाया. यही नहीं, लालू परिवार के भीतर भी यह कहा जाने लगा कि संजय यादव की भूमिका से पार्टी की छवि और चुनावी रणनीतियां प्रभावित हो रही हैं.

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