जो काम शहबाज नहीं कर पाए, मुनीर ने कैसे कर दिखाया, किसने फिक्स करवाई ट्रंप के साथ लंच डील?

    वॉशिंगटन डीसी इस हफ्ते उस वक्त अंतरराष्ट्रीय सुर्खियों में आ गया जब एक असामान्य लेकिन रणनीतिक रूप से अहम बैठक ने सबका ध्यान खींचा. अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और पाकिस्तान के सेनाध्यक्ष जनरल आसिम मुनीर ने व्हाइट हाउस के कैबिनेट रूम में एक निजी लंच मीटिंग की.

    Who is Pakistani Bussiness man Sajid Tarar Fixed Trump Lunch Meet with munir
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    वॉशिंगटन डीसी इस हफ्ते उस वक्त अंतरराष्ट्रीय सुर्खियों में आ गया जब एक असामान्य लेकिन रणनीतिक रूप से अहम बैठक ने सबका ध्यान खींचा. अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और पाकिस्तान के सेनाध्यक्ष जनरल आसिम मुनीर ने व्हाइट हाउस के कैबिनेट रूम में एक निजी लंच मीटिंग की. यह सिर्फ एक शिष्टाचार मुलाकात नहीं थी, बल्कि 9/11 के बाद पहली बार किसी पाकिस्तानी जनरल को इस स्तर पर अमेरिका में इतना विशेष दर्जा दिया गया.

    लेकिन इस मुलाकात की खास बात यह थी कि इसके पीछे अमेरिकी प्रशासन या पाकिस्तानी सरकार नहीं, बल्कि एक प्रवासी पाकिस्तानी कारोबारी साजिद तरार थे. जिनकी राजनीतिक पकड़ और नेटवर्किंग क्षमता अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में है.

    एक कारोबारी जो पाकिस्तान-अमेरिका रिश्तों की नई इबारत लिख रहे हैं

    पाकिस्तान के मंडी बहाउद्दीन से निकलकर अमेरिका के बाल्टीमोर तक पहुंचे साजिद तरार आज सिर्फ एक सफल कारोबारी नहीं, बल्कि अमेरिकी रिपब्लिकन राजनीति में मुस्लिम चेहरे की अहम कड़ी बन चुके हैं. उन्होंने डोनाल्ड ट्रंप के 2016 चुनाव अभियान में मुस्लिम समुदाय से संवाद स्थापित करने की अहम भूमिका निभाई थी. तरार वर्तमान में मैक्सिमस इन्वेस्टमेंट ग्रुप के अध्यक्ष हैं और ‘सेंटर फॉर सोशल चेंज’ के सीईओ भी हैं. उनके बेटे ने भी ट्रंप प्रशासन में स्टेट डिपार्टमेंट में कार्य किया है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि यह परिवार अमेरिकी सत्ता गलियारों में अच्छी पकड़ रखता है.

    डिप्लोमेसी से अलग एक 'प्राइवेट नेटवर्किंग' मॉडल

    तरार की खासियत यही है कि वे पारंपरिक कूटनीति के रास्ते से अलग निजी नेटवर्क और संबंधों के बल पर दो देशों को जोड़ने की कोशिश करते हैं. यही वजह है कि उन्होंने न केवल पाकिस्तान बल्कि भारत को लेकर भी संयमित और संतुलित बयान दिए हैं. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कार्यशैली की सराहना भी की है.

    इस्लामाबाद की सरकार असहज क्यों हुई?

    इस मीटिंग के बाद पाकिस्तान की सिविल सरकार और विदेश मंत्रालय असहज स्थिति में आ गए. यह सवाल उठने लगा कि एक ऐसी हाई-प्रोफाइल मीटिंग जिसमें अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति और पाकिस्तानी सेना प्रमुख शामिल हों, उसमें पाकिस्तान की लोकतांत्रिक सरकार की कोई भूमिका क्यों नहीं थी पाकिस्तान में पहले से ही सेना के राजनीतिक हस्तक्षेप को लेकर बहस चलती रही है, और यह घटना उसी बहस को और हवा देती है. एक निजी व्यक्ति और सैन्य अधिकारी के ज़रिए कूटनीति को अंजाम देना एक संवेदनशील मामला बन गया है.

    बातचीत के एजेंडे में क्या था?

    अमेरिकी सूत्रों के मुताबिक, इस मीटिंग में डोनाल्ड ट्रंप ने पाकिस्तान के सामने कई प्रस्ताव और रणनीतिक मांगें रखीं. ट्रंप ने कहा कि अमेरिका को पाकिस्तान के सैन्य आधारों, लॉजिस्टिक नेटवर्क और समुद्री मार्गों तक बिना शर्त पहुंच मिलनी चाहिए. इसके बदले में ट्रंप ने पाकिस्तान को आधुनिक अमेरिकी रक्षा तकनीक देने का वादा किया, जिसमें 5वीं पीढ़ी के स्टील्थ फाइटर जेट्स, मिसाइल प्रणाली और आर्थिक सहायता पैकेज शामिल हैं. इसके अलावा ट्रंप ने सुझाव दिया कि पाकिस्तान को चीन और रूस के नेतृत्व वाले BRICS गठबंधन से दूरी बनाकर अमेरिका के सुरक्षा ढांचे का हिस्सा बनना चाहिए.

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