पाकिस्तान के अशांत बलूचिस्तान प्रांत में स्थित ग्वादर के जिवानी इलाके में एक बार फिर हिंसा की लहर दौड़ गई है. बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA) ने एक बड़ा हमला करते हुए मुल्ला शरीफ नामक व्यक्ति को मौत के घाट उतार दिया है. BLA ने इस हमले की जिम्मेदारी लेते हुए एक आधिकारिक बयान जारी किया है, जिसमें दावा किया गया है कि शरीफ पिछले कई वर्षों से पाकिस्तानी सुरक्षा एजेंसियों का "मुखबिर" था.
बीएलए का आरोप: शरीफ था सैन्य एजेंसियों का नजदीकी
BLA के मुताबिक, मुल्ला शरीफ लंबे समय से पाकिस्तान की मिलिट्री इंटेलिजेंस (MI), कोस्ट गार्ड और अन्य सुरक्षा बलों के लिए जासूसी कर रहा था. संगठन ने उस पर बलूच युवाओं की जबरन गुमशुदगी, सैन्य अभियानों के लिए सूचनाएं एकत्र करना, और स्थानीय लोगों पर आर्थिक दबाव बनाने जैसे संगीन आरोप लगाए हैं. BLA का कहना है कि शरीफ की गतिविधियां बलूच समुदाय के हितों के खिलाफ थीं, और इसलिए उसे निशाना बनाया गया. संगठन ने बताया कि मुल्ला शरीफ पहले बुलेदा का निवासी था, लेकिन हाल के वर्षों में जिवानी क्षेत्र में पाकिस्तानी सेना की ओर से सक्रिय भूमिका निभा रहा था.
सहयोगियों को बख्शा नहीं जाएगा": BLA की चेतावनी
BLA ने अपने बयान में कड़ा संदेश देते हुए कहा है कि जो कोई भी बलूच व्यक्ति पाकिस्तानी सेना या उससे जुड़े संगठनों को सहयोग करता पाया जाएगा, चाहे वह उन्हें वाहन प्रदान करे या उनके साथ यात्रा करे उसे भी यही अंजाम भुगतना पड़ेगा. संगठन ने चेतावनी दी कि बार-बार सतर्क करने के बावजूद जो लोग कब्जे वाली ताकतों का साथ दे रहे हैं, उन्हें अब कोई माफी नहीं मिलेगी.
पाकिस्तान के सुरक्षा तंत्र के लिए गंभीर चेतावनी
यह हमला सिर्फ एक व्यक्ति की हत्या तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पाकिस्तान की खुफिया और सुरक्षा एजेंसियों की एक बड़ी विफलता को उजागर करता है. मुल्ला शरीफ जैसे व्यक्ति, जो वर्षों से पाकिस्तानी सुरक्षा नेटवर्क का हिस्सा थे और जिनकी पहुंच भीतर तक थी, उनके खिलाफ BLA की कार्रवाई दर्शाती है कि संगठन की संगठनात्मक पकड़ और खुफिया नेटवर्क अब कहीं ज्यादा मजबूत हो चुका है.
सेना के लिए मुश्किलें बढ़ीं
इस घटना से पाकिस्तानी सेना की चुनौतियां और बढ़ सकती हैं. जिवानी और आसपास के इलाकों में स्थानीय समर्थन जुटाना अब और कठिन हो जाएगा, क्योंकि BLA ने मददगारों को भी लक्ष्य बनाने का ऐलान कर दिया है. पहले ही बलूच विद्रोहियों के लगातार हमलों से जूझ रही सेना के लिए यह एक नई और गंभीर चुनौती के रूप में उभरा है.
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