कौन है खोकन चंद्र बर्मन, जिसकी गवाही से शेख हसीना को हो सकती है सजा-ए-मौत? जानें पूरा मामला

    ढाका: कभी बांग्लादेश की सबसे ताक़तवर नेताओं में गिनी जाने वाली शेख हसीना अब एक बेहद गंभीर मुकदमे का सामना कर रही हैं. उन पर आरोप है कि प्रधानमंत्री रहते हुए उन्होंने पिछले वर्ष विरोध-आंदोलन के दौरान हजारों नागरिकों की हत्या करवाई.

    Who is Khokan Barman whose testimony can lead to death sentence for Sheikh Hasina
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    ढाका: कभी बांग्लादेश की सबसे ताक़तवर नेताओं में गिनी जाने वाली शेख हसीना अब एक बेहद गंभीर मुकदमे का सामना कर रही हैं. उन पर आरोप है कि प्रधानमंत्री रहते हुए उन्होंने पिछले वर्ष विरोध-आंदोलन के दौरान हजारों नागरिकों की हत्या करवाई. मामले की सुनवाई अब कोर्ट में शुरू हो चुकी है और इसकी पहली कड़ी के रूप में अहम गवाही दर्ज की गई है.

    खोकन चंद्र बर्मन की मार्मिक कहानी

    इस केस में पहला गवाह खोकन चंद्र बर्मन को बनाया गया है. खोकन, हिंदू आदिवासी समुदाय से ताल्लुक रखते हैं और 2024 के जुलाई आंदोलन के सक्रिय कार्यकर्ता रहे हैं. आंदोलन के दौरान उन्हें जतराबारी पुलिस स्टेशन के पास गोली मारी गई थी, जो उनके चेहरे पर लगी. हालांकि वे इस हमले में जीवित बच गए, लेकिन उनका चेहरा बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया. खोकन की जान उस समय बचाई गई जब अंतरिम सरकार ने उन्हें इलाज के लिए रूस भेजा. अब वही खोकन, अदालत में सबसे अहम गवाह बनकर सामने आए हैं. उनकी गवाही अगर प्रभावशाली मानी जाती है, तो शेख हसीना को मौत की सज़ा तक सुनाई जा सकती है.

    कोर्ट में खौफनाक बयान

    कोर्ट में खोकन ने बताया कि कैसे पुलिस ने जतराबारी में उनके सामने ही आम नागरिकों को गोली मार दी. उन्होंने मरने वालों के दृश्य का सजीव वर्णन करते हुए अदालत को बताया कि यह केवल "दमन नहीं, नरसंहार" था. खोकन की यह गवाही पूरे मामले को नया मोड़ दे सकती है.

    संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट

    संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि हसीना सरकार के दौरान करीब 1,400 लोगों की मौत हुई थी, जिनमें 108 बच्चे भी शामिल थे. रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि 15,000 से अधिक लोग घायल हुए. हालांकि, अंतरिम सरकार ने अभी तक इन आंकड़ों की आधिकारिक पुष्टि नहीं की है.

    कैसे टूटी सत्ता: आंदोलन से पलटी सरकार

    लगातार होते विरोध प्रदर्शन और मानवाधिकार उल्लंघनों के आरोपों के चलते अंततः 5 अगस्त 2024 को शेख हसीना को सत्ता से हटना पड़ा. अब वही आंदोलन और उसकी पीड़ा, अदालत के भीतर न्याय की उम्मीद बनकर गूंज रही है. 

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