रात गहरी थी और दुनिया चैन की नींद सो रही थी, उस वक़्त भारतीय सेना ने आतंक के अड्डों पर कहर बनकर टूटने की तैयारी पूरी कर ली थी. 6-7 मई की रात, आधे घंटे में पाकिस्तान के नौ आतंकी ठिकानों को मिट्टी में मिला दिया गया. फिर 10:30 बजे एक प्रेस कॉन्फ्रेंस हुई, जिसने पूरी दुनिया का ध्यान भारत की तरफ खींच लिया. स्टेज पर एक शख़्स सामने आया — शांत, संयमित लेकिन अपनी बातों से गहराई तक चोट करने वाला. उनके साथ खड़ी थीं भारतीय सेना की दो महिला अधिकारी — कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह. यह शख़्स थे विक्रम मिसरी, जोकि वर्तमान में भारत के विदेश सचिव हैं.
कौन हैं विक्रम मिसरी?
कश्मीरी पंडित परिवार में जन्मे विक्रम मिसरी का जीवन एक ऐसे नागरिक का उदाहरण है जिसने शब्दों की ताकत को रणनीति की धार में बदल दिया. श्रीनगर में जन्मे, मिसरी की शिक्षा DAV स्कूल, सिंधिया स्कूल, और दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदू कॉलेज से हुई. इसके बाद उन्होंने XLRI जमशेदपुर से एमबीए किया — और कॉर्पोरेट करियर से निकलकर देशसेवा की राह पर चल पड़े.
1989 में IFS में चयनित होकर उन्होंने भारत के लिए एक राजनयिक योद्धा की भूमिका निभानी शुरू की. उन्होंने न केवल विश्व के बड़े देशों में भारत का प्रतिनिधित्व किया, बल्कि तीन प्रधानमंत्रियों गुजराल, मनमोहन सिंह और नरेंद्र मोदी के साथ निजी सचिव के रूप में भी कार्य किया.
मिसरी की रणनीतिक सोच उस वक्त सामने आई जब उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर की जानकारी देने के लिए प्रेस को संबोधित किया. उन्होंने न केवल भारत की कार्रवाई को वैश्विक मंच पर उचित ठहराया, बल्कि पाकिस्तान को उसके अतीत की याद भी दिलाई.
एक राजनयिक, जो युद्ध की भाषा भी जानता है
विदेश सचिव विक्रम मिसरी की मौजूदगी और शब्दों ने यह साफ कर दिया कि भारत अब केवल सैनिक स्तर पर नहीं, राजनयिक स्तर पर भी निर्णायक युद्ध लड़ रहा है. उन्होंने यह भी बताया कि भारत ने पाकिस्तान को आतंक से जुड़े पर्याप्त सबूत सौंपे हैं, लेकिन अब सहनशीलता की सीमा पार हो चुकी है.
भारत की नई कूटनीति का चेहरा
28 जून 2024 को जब विक्रम मिसरी को विदेश सचिव नियुक्त किया गया, तब शायद ही किसी को अंदाज़ा था कि कुछ ही महीनों बाद विक्रम मिसरी एक निर्णायक रणनीतिक भूमिका में होंगे, जहां शब्द, संकेत और साक्ष्य मिलकर आतंकवाद को वैश्विक मंच पर बेनकाब करेंगे.
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