कौन हैं DGMO राजीव घई? जिन्होंने दुनिया के सामने खोलकर रख दी पाकिस्तान की पोल पट्टी

    भारत ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि जब आतंक की आग देश को झुलसाने की कोशिश की जाती है, तो जवाब सिर्फ शब्दों में नहीं, कार्रवाई में दिया जाएगा. रविवार को भारतीय सेना, वायुसेना और नौसेना की संयुक्त प्रेस ब्रीफिंग में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई, जिसने पाकिस्तान में फैले आतंकवादी ढांचे को हिलाकर रख दिया.

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    भारत ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि जब आतंक की आग देश को झुलसाने की कोशिश की जाती है, तो जवाब सिर्फ शब्दों में नहीं, कार्रवाई में दिया जाएगा. रविवार को भारतीय सेना, वायुसेना और नौसेना की संयुक्त प्रेस ब्रीफिंग में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई, जिसने पाकिस्तान में फैले आतंकवादी ढांचे को हिलाकर रख दिया. तीनों सेनाओं द्वारा साझा प्रेस ब्रीफिंग में पाकिस्तान के झूठ और प्रोपेगेंडा की परतें उधेड़ी गईं, वहीं DGMO राजीव घई ने साफ शब्दों में दुनिया को बता दिया कि भारत ने "ऑपरेशन सिंदूर" के तहत 100 से अधिक आतंकियों का सफाया कर दिया है.

    यही वह अधिकारी हैं, जिनसे पाकिस्तान ने खुद संपर्क साधते हुए सीजफायर की गुहार लगाई. सवाल अब सिर्फ कार्रवाई का नहीं है, बल्कि उस नेतृत्व का भी है जिसने यह निर्णायक कदम उठाया — और उस नेतृत्व के केंद्र में लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई  हैं.

    कौन हैं DGMO राजीव घई?

    लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई इंडियन मिलिट्री एकेडमी, देहरादून के छात्र रहे हैं. दिसंबर 1989 में उन्हें भारतीय सेना की गौरवशाली कुमाऊं रेजिमेंट में कमीशन प्राप्त हुआ. यह वही रेजिमेंट है, जिसने देश को अनगिनत युद्ध नायक दिए हैं. 25 अक्टूबर 2024 को उन्हें DGMO नियुक्त किया गया — यानी भारत की सैन्य संचालन रणनीति की बागडोर उनके हाथ में सौंपी गई.

    DGMO बनने से पहले वह श्रीनगर स्थित चिनार कॉर्प्स (15वीं कोर) के जनरल ऑफिसर कमांडिंग (GOC) रहे, जहां उन्होंने आतंक के खिलाफ निर्णायक अभियान चलाए और LOC पर सुरक्षा को मजबूत किया.

    ऑपरेशन सिंदूर: घई की रणनीति का कमाल

    पहलगाम हमले के बाद जब देश रोष में था, तभी घई और उनकी टीम ने "ऑपरेशन सिंदूर" की नींव रखी. इस अभियान के तहत भारत ने POK में 9 आतंकी अड्डों को नष्ट किया और आतंकवादियों के संरचनात्मक नेटवर्क को जड़ से हिला दिया. DGMO घई ने इस ऑपरेशन की न केवल योजना बनाई, बल्कि उसका सफल क्रियान्वयन भी सुनिश्चित किया.

    DGMO कैसे चुना जाता है?

    DGMO भारतीय सेना का एक थ्री-स्टार जनरल होता है, जिसे सेना प्रमुख और रक्षा मंत्रालय की संयुक्त प्रक्रिया से चुना जाता है. इस पद के लिए उम्मीदवार का सैन्य रिकॉर्ड, युद्ध क्षेत्र का अनुभव और रणनीतिक नेतृत्व क्षमताएं देखी जाती हैं. एक बार नियुक्ति के बाद, वह सीधे सेना प्रमुख को रिपोर्ट करता है और देश की सुरक्षा नीतियों के क्रियान्वयन में प्रमुख भूमिका निभाता है. DGMO का कार्य सिर्फ सैन्य रणनीति तक सीमित नहीं है — वह RAW, IB, NIA, NSA और पीएमओ के साथ भी नियमित तालमेल बनाए रखता है.

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