BIHAR ELECTION: बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारियों ने जोर पकड़ लिया है. राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज है, नारों और रैलियों की गूंज सुनाई देने लगी है, लेकिन इन सबसे अलग एक वोट बैंक है जिसकी चुप्पी सबसे ज्यादा मायने रखती है, मुस्लिम मतदाता.
राज्य की लगभग 17.7% आबादी वाले मुस्लिम समुदाय के वोट 87 से ज्यादा सीटों पर निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं, और यही कारण है कि हर दल की नजर इस 'मौन लेकिन असरदार' वर्ग पर टिकी है.
कहां हैं मुस्लिम वोटर सबसे ज्यादा असरदार?
बिहार की कुल 243 विधानसभा सीटों में से 87 सीटों पर मुस्लिम आबादी 20% से अधिक है, जबकि 47 सीटों पर इनकी आबादी 15% से 20% के बीच है. विशेष रूप से सीमांचल क्षेत्र (किशनगंज, कटिहार, अररिया और पूर्णिया) में मुस्लिम वोटर चुनाव परिणाम को पलटने की ताकत रखते हैं.
उदाहरण के लिए:
किशनगंज: 68% मुस्लिम आबादी
कटिहार: 44%
अररिया: 43%
पूर्णिया: 38%
इन चार जिलों में कुल 24 विधानसभा सीटें आती हैं, यानी एक चौथाई से भी ज्यादा मुस्लिम वोट सिर्फ चार जिलों में केंद्रित हैं.
राजनीतिक दलों की नज़र किस पर?
RJD: पारंपरिक भरोसा, स्थायी समर्थन
लालू प्रसाद यादव की आरजेडी को मुस्लिम-यादव (MY) समीकरण का सबसे बड़ा फायदा मिलता रहा है. 2020 विधानसभा चुनाव में RJD को महागठबंधन के तहत 76% मुस्लिम वोट मिले थे. 2024 लोकसभा चुनाव में यह आंकड़ा बढ़कर 87% तक पहुंच गया, यह दर्शाता है कि मुस्लिम समुदाय का भरोसा अब भी आरजेडी में कायम है.
JDU: गठबंधनों के साथ बदलता रुख
नीतीश कुमार की जेडीयू को मुस्लिम वोटों का समर्थन उसके गठबंधन पर निर्भर करता है. 2014 में वाम दलों के साथ मिलकर चुनाव लड़ा, तो 23.5% मुस्लिम वोट मिले 2019 और 2024 में भाजपा के साथ रहकर क्रमशः 6% और 12% मुस्लिम वोट मिले. 2020 विधानसभा में सिर्फ 5% मुस्लिम वोट पार्टी को मिल पाया.
BJP और NDA: सीमित प्रभाव, लेकिन कोशिश जारी
भाजपा की मुस्लिम वोटों पर पकड़ सीमित रही है, लेकिन सहयोगी दलों जैसे LJP, HAM के जरिए अल्पसंख्यक वोटों में सेंध लगाने की रणनीति चलती रही है.
क्या फिर होगा महागठबंधन को फायदा?
2015 में जब नीतीश कुमार और लालू यादव एक साथ थे, तब उन्हें मुस्लिम समुदाय के 80% वोट मिले थे. 2024 में नीतीश के एक बार फिर से महागठबंधन में लौटने की अटकलों के बीच, सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या मुस्लिम वोट बैंक एक बार फिर एकतरफा समर्थन देगा, या इस बार समीकरण कुछ अलग होंगे?
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