वॉशिंगटन: अमेरिका के व्हाइट हाउस ने मंगलवार को मीडिया को लेकर एक नई नीति लागू की है, जिससे अंतरराष्ट्रीय मीडिया संगठनों, खासकर एसोसिएटेड प्रेस (AP) जैसे संस्थानों को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप तक पहुंचना अब पहले से ज्यादा मुश्किल हो जाएगा.
क्या है नई नीति?
नई नीति के तहत, अब यह तय करने का अधिकार व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट के पास होगा कि राष्ट्रपति ट्रंप से कौन सवाल पूछ सकता है और कौन नहीं. यह नियम सिर्फ प्रेस कांफ्रेंस तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि यह ओवल ऑफिस, प्रेस ब्रीफिंग रूम, और राष्ट्रपति के विमान 'एयर फोर्स वन' तक में लागू होगा. प्रशासन का कहना है कि यह कदम इसलिए उठाया गया है ताकि केवल जिम्मेदार पत्रकारों को ही सवाल पूछने का मौका मिले और सरकारी दृष्टिकोण को गलत तरीके से पेश न किया जाए.
मीडिया की नाराजगी
इस फैसले के बाद मीडिया जगत में नाराजगी की लहर दौड़ गई है. एसोसिएटेड प्रेस और अन्य प्रमुख मीडिया संस्थान इस नीति को पत्रकारिता की स्वतंत्रता पर हमला मान रहे हैं. यह पहला मौका नहीं है जब ट्रंप प्रशासन पर मीडिया की आजादी पर रोक लगाने का आरोप लगा हो. पहले भी एक मामले में अदालत ने माना था कि व्हाइट हाउस ने एपी की आजादी का उल्लंघन किया था, जब सिर्फ नाम न बदलने पर उसे बैन कर दिया गया था.
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क्या असर पड़ेगा?
विशेषज्ञों का मानना है कि इस नीति का असर दुनियाभर की खबरों की कवरेज पर पड़ेगा, क्योंकि अंतरराष्ट्रीय समाचार एजेंसियां करोड़ों लोगों तक खबरें पहुंचाती हैं. अगर उनकी पहुंच राष्ट्रपति तक सीमित कर दी जाएगी, तो इससे सही और निष्पक्ष जानकारी जनता तक नहीं पहुंच पाएगी. यह अमेरिका ही नहीं, बल्कि दुनिया भर में प्रेस की आजादी पर सवाल खड़े करता है.
आगे क्या होगा?
अब देखने वाली बात यह है कि व्हाइट हाउस इस फैसले पर टिका रहता है या फिर बढ़ते विरोध और कानूनी दबाव के चलते इसमें कुछ बदलाव करता है. यह मामला आने वाले समय में अमेरिका की लोकतांत्रिक छवि और प्रेस की स्वतंत्रता को लेकर अहम साबित हो सकता है.