Hariyali Teej 2025: जब प्रकृति हरी चादर ओढ़े, धरती पर हरियाली मुस्कुराए और हवाओं में एक सुखद नमी घुल जाए — तब आता है सावन. और इसी सावन का एक बेहद खास पर्व है हरियाली तीज. यह सिर्फ एक पर्व नहीं, बल्कि स्त्रियों के सौंदर्य, प्रेम, समर्पण और आस्था का प्रतीक है. विवाहित महिलाओं के लिए यह दिन उनके वैवाहिक जीवन की सुख-शांति और पति की लंबी उम्र के लिए विशेष होता है, वहीं अविवाहित युवतियों के लिए यह मनचाहे वर की प्राप्ति की कामना का दिन बन जाता है.
2025 में हरियाली तीज कब है?
हरियाली तीज हर साल सावन मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है. यह तिथि देवी पार्वती की कठोर तपस्या और शिवजी से उनके विवाह की स्मृति में मनाई जाती है.
इस वर्ष हरियाली तीज की तिथि
तृतीया तिथि प्रारंभ: 26 जुलाई 2025, रात 10:41 बजे
तृतीया तिथि समाप्त: 27 जुलाई 2025, रात 10:41 बजे
व्रत और पूजन की तारीख: 27 जुलाई 2025 (उदया तिथि अनुसार)
हरियाली तीज व्रत एवं पूजा विधि
हरियाली तीज के दिन महिलाएं पारंपरिक परिधान पहनती हैं, हाथों में मेहंदी सजाती हैं और सोलह श्रृंगार कर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं. व्रत से एक दिन पहले सात्विक भोजन करें और रात से ही व्रत का संकल्प लें. हाथों में मेहंदी लगाना शुभ माना जाता है.
पूजा की शुरुआत
प्रातःकाल स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें (हरा रंग शुभ माना जाता है). श्रृंगार करें और पूजास्थल पर दीप जलाएं. मिट्टी या खरीदी गई शिव-पार्वती की मूर्तियों को लाल कपड़े पर चौकी पर स्थापित करें.
पूजन सामग्री
माता पार्वती को सिंदूर, चूड़ियां, बिंदी, कंघी आदि अर्पित करें.
भगवान शिव को बेलपत्र, दूध, फल और फूल चढ़ाएं.
तीज व्रत की कथा सुनें और आरती करें.
व्रत नियम
यह व्रत निर्जल रखा जाता है.
पूजा के बाद अगली सुबह व्रत का पारण करें.
हरियाली तीज का महत्व और पौराणिक कथा
हरियाली तीज केवल रीति-रिवाज नहीं, बल्कि एक भावनात्मक जुड़ाव है उस कथा से जिसमें देवी पार्वती ने तपस्या करके शिवजी को पति रूप में प्राप्त किया था. पौराणिक मान्यता के अनुसार— देवी पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए वर्षों तक कठोर तप किया. उनकी दृढ़ आस्था से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया. यह शुभ दिन सावन शुक्ल तृतीया की तिथि ही थी, जिसे हरियाली तीज के रूप में मनाया जाता है. इस दिन महिलाएं न केवल अपने पति के लिए प्रार्थना करती हैं, बल्कि अपने रिश्ते को और अधिक मधुर बनाने के लिए यह व्रत रखती हैं. कुंवारी कन्याएं भी इस दिन शिव-पार्वती से अच्छे जीवनसाथी की कामना करती हैं.
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