नई दिल्ली: भारत सरकार ने सशस्त्र बलों को आधुनिक बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक की 10 रक्षा परियोजनाओं को प्रारंभिक मंजूरी (AoN – Acceptance of Necessity) दी है. रक्षा मंत्रालय की इस घोषणा का उद्देश्य थल, वायु और नौसेना—तीनों सेनाओं की क्षमताओं को समग्र रूप से उन्नत करना है.
इन परियोजनाओं के केंद्र में अत्याधुनिक मिसाइल प्रणाली, युद्धपोत, निगरानी विमान और समुद्री सुरक्षा से जुड़े कई प्रमुख उपकरण शामिल हैं. यह फैसला ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत की सामरिक प्राथमिकताओं में हुए स्पष्ट बदलाव को भी दर्शाता है.
नौसेना को मिलेगा माइन काउंटर मीज़र वेसल्स
सबसे बड़ी परियोजना नौसेना से जुड़ी है, जिसमें पानी के भीतर सुरंगों और बारूदी खतरों की पहचान करने वाले 12 माइन काउंटर मीज़र वेसल्स (MCMVs) के निर्माण को मंजूरी दी गई है.
लागत: लगभग ₹44,000 करोड़
निर्माण अवधि: लगभग 10 वर्ष
महत्व: भारतीय नौसेना के पास वर्तमान में समर्पित माइनस्वीपिंग जहाज नहीं हैं. हिंद महासागर क्षेत्र में चीन और पाकिस्तान की नौसैनिक सक्रियता के मद्देनज़र यह कदम रणनीतिक दृष्टिकोण से अहम है.
एयर डिफेंस को मजबूती देंगे QRSAM सिस्टम
सेना और वायुसेना दोनों के लिए क्विक रिएक्शन सरफेस-टू-एयर मिसाइल (QRSAM) सिस्टम की खरीद को भी हरी झंडी दी गई है.
लागत: ₹36,000 करोड़
दायरा: 30 किमी तक दुश्मन के ड्रोन, विमान और हेलीकॉप्टर को मार गिराने की क्षमता
उपयोग: सेना की 3 रेजीमेंट और वायुसेना के 3 स्क्वाड्रन में तैनाती प्रस्तावित
निर्माता: DRDO द्वारा डिजाइन किया गया
यह प्रणाली हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर में प्रभावी रूप से उपयोग की गई थी.
वायुसेना को मिलेंगे उन्नत निगरानी विमान
ISTAR (Intelligence, Surveillance, Target Acquisition and Reconnaissance) विमान की खरीद की भी योजना है, जो दुश्मन की हरकतों पर सटीक निगरानी रखने में सक्षम हैं.
लागत: ₹10,000 करोड़
संख्या: 3 विमान
विशेषताएं: DRDO द्वारा विकसित सेंसर, सिंथेटिक एपर्चर रडार, ऑप्टिकल इमेजिंग सिस्टम
ये विमानों की निगरानी क्षमताओं को नई ऊंचाई देंगे, खासकर उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में.
नौसेना के लिए स्वायत्त निगरानी प्लेटफॉर्म
नौसेना के लिए सेमी-सबमर्सिबल ऑटोनॉमस वेसल्स और अन्य ISR उपकरणों की खरीद भी प्रस्तावित है, जिन्हें निजी कंपनियों द्वारा "मेक-II" श्रेणी में विकसित किया जाएगा. इसके साथ-साथ:
इन परियोजनाओं से तीनों सेनाओं के बीच समन्वय और रसद व्यवस्था में उल्लेखनीय सुधार होने की उम्मीद है.
अगले चरण क्या होंगे?
इन परियोजनाओं को अभी केवल AoN (स्वीकृति की आवश्यकता) स्तर पर मंजूरी दी गई है. अब इन्हें रक्षा खरीद प्रक्रिया (Defence Acquisition Procedure – DAP) के तहत तकनीकी मूल्यांकन, वित्तीय मंजूरी और ठेकेदारों के चयन जैसे चरणों से गुजरना होगा.
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