Nikki Murder Case: जिस लड़की ने बचपन से आत्मनिर्भर बनने का सपना देखा था, जिसने शादी के बाद अपने हुनर से नया रास्ता बनाया, वही लड़की अंततः पारिवारिक रूढ़िवाद और पति की बेवफाई के बोझ तले दम तोड़ गई.
यह कहानी किसी फिल्म की नहीं, बल्कि निक्की पायला की है, एक शिक्षित, हुनरमंद और सहनशील महिला की, जो अंत तक यह चाहती रही कि उसके पति का व्यवहार सुधरे, ससुरालवाले उसे बेटी की तरह अपनाएं. लेकिन दुखद रूप से, उसकी यह उम्मीद उसकी मौत तक अधूरी ही रह गई.
पढ़ाई से हुनर तक, निक्की ने हर मोर्चे पर दी मिसाल
निक्की और उसकी बहन कंचन, दोनों ने एनटीपीसी डीपीएस से बीए तक की शिक्षा ली थी. उनके पिता ने यह सोचकर उन्हें ब्यूटीशियन कोर्स भी कराया कि शादी के बाद भी बेटियां आत्मनिर्भर रह सकें. संयोग से, दोनों बहनों की शादी एक ही परिवार में हुई, लेकिन यह संयोग ही उनके जीवन की सबसे बड़ी त्रासदी बन गया.
पति विपिन और बहनोई रोहत, दोनों ही पारिवारिक परचून की दुकान से बमुश्किल अपना खर्च चला पाते थे. घर की माली हालत देखकर दोनों बहनों ने घर में ही ब्यूटी पार्लर खोल लिया. हुनर और मेहनत ने उन्हें इलाके की पसंदीदा ब्यूटीशियन बना दिया.
जब आत्मनिर्भरता बन गई गुनाह
कमाई अच्छी होने लगी तो निक्की अपने पति विपिन को भी आर्थिक मदद देने लगी. लेकिन यह पैसा नशे और अन्य महिलाओं पर खर्च होने लगा. तीन साल पहले जब निक्की को विपिन की चरित्रहीनता का पता चला, तो उसने विरोध करना शुरू किया. इसी मोड़ से उसकी ज़िंदगी और कठिन होने लगी.
पति के अत्याचार के साथ-साथ, सास दया ने भी दोनों के बीच दरार को गहराने का मौका पकड़ लिया. एक ओर से शारीरिक हिंसा, दूसरी ओर से मानसिक प्रताड़ना, निक्की हर दिन टूटती रही, बिखरती रही.
एक जिंदा लाश में बदलती निक्की, और समाज की चुप्पी
निक्की की मौत कोई एक पल में हुआ हादसा नहीं थी, यह एक सामाजिक हत्या थी, जिसे ससुराल की संकीर्ण मानसिकता, पति की गैरजिम्मेदाराना हरकतों और आसपास के समाज की खामोशी ने अंजाम दिया. एक पढ़ी-लिखी, कमाऊ, आत्मनिर्भर महिला जो सिर्फ यह चाहती थी कि उसे भी सम्मान और प्यार मिले, आखिरकार इंसानियत की कमी ने उसे निगल लिया.
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