उत्तराखंड के मेहनती किसानों के लिए खुशखबरी है. राज्य के किसानों को अब पारंपरिक खेती तक सीमित रहने की जरूरत नहीं है. राज्य सरकार किसानों को नकदी फसलों की ओर रुख करने के लिए प्रोत्साहित कर रही है. हाल ही में राज्य कैबिनेट ने बाजरा, कीवी और ड्रैगन फ्रूट की खेती से जुड़ी अहम नीतियों को मंज़ूरी दी है, जिससे करीब 3.17 लाख किसानों को सीधा लाभ मिलने की उम्मीद है. यह नीतियां सिर्फ खेती की उपज नहीं बढ़ाएंगी, बल्कि किसानों की आमदनी को भी नई ऊंचाइयों तक पहुंचाएंगी.
बाजरा नीति पर मिलेगी 80% सब्सिडी
बाजरा नीति से पर्वतीय जिलों में श्री अन्न का यश वापस लौटेगा. उत्तराखंड की बाजरा नीति के तहत राज्य सरकार ने 2030-31 तक 11 पहाड़ी जिलों में बाजरा उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए 134.89 करोड़ रुपये की योजना को हरी झंडी दे दी है. सरकार की इस योजना में मंडुआ, झंगोरा, रामदाना, कौणी और चेना जैसी पारंपरिक फसलों के लिए किसानों को बीज और जैविक उर्वरकों पर 80% सब्सिडी मिलेगी.
किसानों को किया जाएगा सम्मानित
बाजरा नीति के तहत धामी सराकर सीधी बुवाई के लिए किसानों को 2000 रुपये प्रति हेक्टेयर दिए जाएंगे। वहीं लाइन बुवाई के लिए 4000 रुपये प्रति हेक्टेयर मिलेंगे. इसके अलावा हर ब्लॉक में 2 किसानों या किसान समूहों को उत्कृष्ट कार्य के लिए पुरस्कार दिया जाएगा. हर ब्लॉक में एक बाजरा प्रोसेसिंग यूनिट और “श्री अन्न फूड पार्क” की भी स्थापना की जाएगी.
कीवी उत्पादन पर मिलेगी 70% सब्सिडी
कीवी नीति के तहत अब पहाड़ों में विदेशी फल उगाए जाएंगे. कीवी फल अब केवल बाजारों में देखने की चीज नहीं होगी, बल्कि उत्तराखंड के बागानों में इसकी खुशबू बिखरेगी. राज्य सरकार की कीवी पॉलिसी के तहत किसानों को बाग लगाने पर 70% सब्सिडी (अधिकतम ₹12 लाख प्रति एकड़) दी जाएगी. इसके लिए किसान को केवल 30% लागत वहन करनी होगी. इस योजना में हरिद्वार और उधम सिंह नगर को छोड़कर राज्य के 11 जिले शामिल हैं. इसके लिए 894 करोड़ रुपये का कुल बजट है. बता दें कि वर्तमान में 683 हेक्टेयर में 382 मीट्रिक टन कीवी का उत्पादन होता है. इस नीति का लक्ष्य कीवि उत्पादन को 3500 हेक्टेयर भूमि और 17,500 किसानों तक पहुंचाना है.
ड्रैगन फ्रूट नीति से इतने किसान होंगे लाभान्वित
उत्तराखंड अब ड्रैगन फ्रूट की खेती में भी पीछे नहीं रहेगा. राज्य सरकार इस फल को उगाने के लिए उधम सिंह नगर, हरिद्वार, नैनीताल, बागेश्वर, पौड़ी, देहरादून और टिहरी जिलों में आधुनिक कृषि तकनीकों का इस्तेमाल करेगी. इस पर 80% सब्सिडी मिलेगी यानी किसानों को केवल 20% लागत देनी होगी. ड्रैगन फ्रूट के उत्पादन के लिए वर्ष 2027-28 तक 15 करोड़ रुपये का निवेश का लक्ष्य रखा गया है. इससे 450 किसान लाभान्वित होंगे.
ये भी पढ़ें: 5 साल का इंतजार खत्म! इन दिन से शुरू होगी कैलाश मानसरोवर यात्रा; जानें सबकुछ