रूस में फिर से डोली धरती, कामचटका में 600 साल बाद फटा ज्वालामुखी, यहां आया था दुनिया का छठा बड़ा भूकंप

    रूस के सुदूरवर्ती और ज्वालामुखीय गतिविधियों के लिए प्रसिद्ध कामचटका प्रायद्वीप में एक ऐतिहासिक भूगर्भीय घटना सामने आई है.

    Volcano erupted in Russia after 600 years
    Image Source: Social Media

    मॉस्को: रूस के सुदूरवर्ती और ज्वालामुखीय गतिविधियों के लिए प्रसिद्ध कामचटका प्रायद्वीप में एक ऐतिहासिक भूगर्भीय घटना सामने आई है. लगभग छह सदियों के लंबे अंतराल के बाद, क्रशेनिनिकोव ज्वालामुखी ने पुनः सक्रिय होकर विस्फोट किया है. यह विस्फोट 2 अगस्त को दर्ज किया गया और इससे 6 हजार मीटर यानी लगभग 20,000 फीट ऊंचाई तक राख का गुबार वातावरण में फैल गया.

    इस घटना ने न केवल वैज्ञानिक समुदाय को चौंकाया है, बल्कि क्षेत्रीय प्रशासन को भी आपातकालीन स्थिति में ला खड़ा किया. रूस के आपातकालीन मंत्रालय के अनुसार, राख के इस घने बादल के कारण प्रभावित क्षेत्र में वायु यातायात को पूरी तरह से रोकना पड़ा है, जिससे आस-पास के इलाकों में रहने वाले लोगों और उड़ानों पर प्रतिकूल असर पड़ा है.

    600 वर्षों की नींद से जागा ज्वालामुखी

    क्रशेनिनिकोव ज्वालामुखी, जो 1856 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है, पिछले 600 वर्षों से शांत था. इतिहासकारों और जियोलॉजिस्ट्स के अनुसार, इस ज्वालामुखी में पिछली बार लावा रिसाव सन् 1463 के आसपास हुआ था. हालांकि, 1963 में धुएं की गतिविधि दर्ज की गई थी, लेकिन तब कोई बड़ा विस्फोट नहीं हुआ था.

    इस ज्वालामुखी का नाम 18वीं सदी के खोजकर्ता स्टीफन क्रशेनिनिकोव के नाम पर रखा गया है, जिन्होंने इस क्षेत्र का विस्तार से अध्ययन किया था. यह ज्वालामुखी क्रोनोट्स्की नेचर रिजर्व में स्थित है और यह दो आपस में जुड़े हुए स्ट्रैटोज्वालामुखीय शिखरों से बना हुआ है. यह स्थान पेट्रोपावलोव्स्क-कामचत्स्की नामक क्षेत्रीय राजधानी से लगभग 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है.

    क्या भूकंप बना वजह?

    विज्ञानियों का मानना है कि इस ज्वालामुखी विस्फोट का संबंध चार दिन पहले कामचटका क्षेत्र में आए 8.8 तीव्रता के शक्तिशाली भूकंप से हो सकता है. यह भूकंप इतना ताकतवर था कि इसे दुनिया के छह सबसे बड़े भूकंपों में से एक माना गया है.

    जुलाई माह के दौरान ही कामचटका क्षेत्र के समुद्री इलाकों में 6 बड़े भूकंप रिकॉर्ड किए गए. इनमें एक की तीव्रता 7.4 थी और इसका केंद्र समुद्र तल से 20 किलोमीटर की गहराई में था. इस तरह की टेक्टोनिक हलचलें ज्वालामुखीय गतिविधियों को सक्रिय कर सकती हैं, जिससे ऐसा विस्फोट संभव हुआ.

    'रिंग ऑफ फायर' के दायरे में है कामचटका

    कामचटका प्रायद्वीप उस भूगर्भीय क्षेत्र का हिस्सा है जिसे 'रिंग ऑफ फायर' कहा जाता है. यह इलाका दुनिया के सबसे सक्रिय भूकंपीय और ज्वालामुखीय क्षेत्रों में गिना जाता है. यह रिंग लगभग 40,000 किलोमीटर लंबा है और इसमें कई कॉन्टिनेंटल और ओशियनिक टेक्टोनिक प्लेट्स शामिल हैं, जो लगातार आपस में टकराती रहती हैं.

    इस रिंग के भीतर दुनिया के लगभग 75% सक्रिय ज्वालामुखी स्थित हैं और लगभग 90% भूकंप इसी क्षेत्र में दर्ज किए जाते हैं.

    जिन देशों पर रिंग ऑफ फायर का प्रभाव है:

    • जापान
    • रूस
    • फिलीपींस
    • इंडोनेशिया
    • न्यूजीलैंड
    • अंटार्कटिका
    • कनाडा
    • अमेरिका
    • मैक्सिको
    • ग्वाटेमाला
    • कोस्टा रिका
    • पेरू
    • इक्वाडोर
    • चिली
    • बोलिविया

    क्ल्यूचेव्स्काया सोपका में भी हुआ विस्फोट

    क्रशेनिनिकोव ज्वालामुखी के सक्रिय होने से पहले ही, क्ल्यूचेव्स्काया सोपका नामक एक और ज्वालामुखी में भी विस्फोट हुआ था. यह ज्वालामुखी यूरोप और एशिया महाद्वीप का सबसे सक्रिय और ऊंचा ज्वालामुखी माना जाता है. दोनों ज्वालामुखी कामचटका के उसी भौगोलिक क्षेत्र में स्थित हैं, जो रिंग ऑफ फायर की सीमाओं के नजदीक आता है.

    वैश्विक प्रभाव और चेतावनियां

    इस ज्वालामुखी विस्फोट और भूकंप की श्रृंखला का असर सिर्फ रूस तक सीमित नहीं रहा. दुनिया भर के कई देशों, खासकर अमेरिका, जापान और चिली ने तटीय क्षेत्रों में सुनामी की चेतावनियां जारी की हैं.

    जापान ने तो स्थिति की गंभीरता को देखते हुए फुकुशिमा परमाणु संयंत्र को अस्थायी रूप से खाली करा दिया. साथ ही टोक्यो शहर में लगभग 20 लाख लोगों को घर खाली करने के निर्देश दिए गए. इससे स्पष्ट है कि कामचटका क्षेत्र की भूगर्भीय गतिविधियां कितनी दूरगामी और वैश्विक असर पैदा कर सकती हैं.

    ये भी पढ़ें- फ्रांस से राफेल के बाद अब स्पेन से C-295... भारत को मिले 16 नए विमान, वायुसेना की बढ़ेगी ताकत