नई दिल्ली: भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अपने पद से तत्काल प्रभाव से इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने इस निर्णय के पीछे स्वास्थ्य संबंधी कारणों और चिकित्सा सलाह का हवाला देते हुए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को एक पत्र लिखा. यह इस्तीफा संविधान के अनुच्छेद 67(a) के तहत स्वीकार दिया गया. राष्ट्रपति मुर्मू को संबोधित अपने इस्तीफे में जगदीप धनखड़ ने लिखा, 'स्वास्थ्य की प्राथमिकता और चिकित्सकीय सलाह का पालन करते हुए, मैं भारत के उपराष्ट्रपति पद से तत्काल प्रभाव से त्यागपत्र दे रहा हूं.' उन्होंने राष्ट्रपति को उनके सहयोग और सौहार्दपूर्ण संबंधों के लिए धन्यवाद दिया. साथ ही प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद को भी उनके सहयोग और मार्गदर्शन के लिए आभार व्यक्त किया.
— Vice-President of India (@VPIndia) July 21, 2025
जगदीप धनखड़ ने अपने त्यागपत्र में लिखा, 'मुझे संसद के सभी माननीय सदस्यों से जो स्नेह, विश्वास और सम्मान मिला, वह जीवनभर उनके हृदय में संचित रहेगा.' उपराष्ट्रपति के रूप में अपने कार्यकाल को याद करते हुए उन्होंने कहा, 'इस महान लोकतंत्र में उपराष्ट्रपति के रूप में मिले अनुभव और दृष्टिकोणों के लिए मैं गहराई से आभारी हूं. भारत के आर्थिक विकास और अभूतपूर्व परिवर्तनकारी दौर का साक्षी बनना मेरे लिए सौभाग्य और संतोष का विषय रहा है.' उन्होंने भारत के वैश्विक उदय और उज्ज्वल भविष्य पर अटूट विश्वास जताते हुए अपना त्यागपत्र समाप्त किया.
भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का जीवन संघर्ष और सफलता की एक प्रेरक कहानी है. उनका जन्म 18 मई, 1951 को राजस्थान के झुंझुनू जिले में हुआ, जहाँ एक साधारण किसान परिवार में पले-बढ़े. उनकी शिक्षा की शुरुआत गांव के स्कूल से हुई, लेकिन जल्द ही उन्होंने अपनी मेहनत और लगन से बड़े मंचों तक पहुँचने का सफर तय किया. राजनीति में उनके कदम चौधरी देवीलाल के साथ जुड़े, जिन्होंने उन्हें राष्ट्रीय राजनीति में कदम रखने के लिए प्रेरित किया. जगदीप धनखड़ की राजनीति में एंट्री 1989 में हुई, जब उन्होंने राजस्थान के झुंझुनू से लोकसभा चुनाव में जीत हासिल की. उनके संघर्षों और उपलब्धियों की यह कहानी इस बात का प्रमाण है कि मेहनत और समर्पण से किसी भी लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है.
संघर्ष से सफलता तक का सफर
हर एक सफलता के पीछे एक कठिन यात्रा होती है, और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ की कहानी भी कुछ ऐसी ही है. राजस्थान के एक छोटे से गाँव के एक साधारण किसान परिवार में जन्मे धनखड़ ने अपनी मेहनत और संघर्ष से अपनी एक अलग पहचान बनाई. बीएससी की डिग्री के बाद वकालत में अपने करियर की शुरुआत करने वाले जगदीप धनखड़ की राजनीतिक यात्रा भी बहुत दिलचस्प रही. चौधरी देवीलाल के मार्गदर्शन में उन्होंने राजनीति में कदम रखा और जल्दी ही राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई. आज, वह भारत के 14वें उपराष्ट्रपति के रूप में पदस्थ हैं, और उनका यह सफर देशवासियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन चुका है.
वकील से उपराष्ट्रपति तक
भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का जीवन एक बेहतरीन उदाहरण है कि अगर इरादे मजबूत हों तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं होता. उनका जन्म 18 मई 1951 को राजस्थान के झुंझुनू जिले में हुआ था. एक साधारण किसान परिवार में जन्म लेने के बावजूद धनखड़ ने अपनी शिक्षा और वकालत की पढ़ाई में जबरदस्त मेहनत की. इसके बाद उन्होंने राजनीति में कदम रखा और कई अहम पदों पर कार्य किया. 2022 में उपराष्ट्रपति के रूप में शपथ लेने वाले जगदीप धनखड़ की यह यात्रा न केवल उनके व्यक्तिगत संघर्ष का प्रतीक है, बल्कि यह भारत के लोकतंत्र की मजबूती और विविधता को भी दर्शाती है.
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