उत्तर प्रदेश की धरती पर एक नई हरियाली ने किसानों के जीवन में खुशहाली ला दी है. गन्ने के खेतों में अब सिर्फ मिठास नहीं, बल्कि समृद्धि की नई फसल भी लहलहा रही है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में राज्य सरकार ने गन्ना किसानों की दशा और दिशा बदलने के लिए बीते कुछ वर्षों में कई ठोस कदम उठाए हैं. इन प्रयासों का असर अब ज़मीनी स्तर पर साफ नजर आने लगा है — न सिर्फ गन्ने की खेती का दायरा बढ़ा है, बल्कि किसानों की आमदनी और जीवनस्तर में भी उल्लेखनीय सुधार हुआ है.
सीएम योगी ने दिए ये निर्देश
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ स्वयं इस अभियान की निगरानी कर रहे हैं और अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि अगले कुछ वर्षों में गन्ना उत्पादन और किसानों की आय को दोगुना किया जाए. सरकार की यह रणनीति न केवल प्रदेश को ‘गन्ना उत्पादन की राजधानी’ बनाए रखने में सफल रही है, बल्कि इसे आने वाले वर्षों में और मजबूत आधार देने जा रही है.
गन्ना उत्पादन और किसानों की आय में बढ़त
प्रदेश में लगभग 50 लाख किसान परिवार गन्ने की खेती से जुड़े हैं. सरकार ने न केवल उन्हें समय पर भुगतान सुनिश्चित किया है, बल्कि गन्ना उत्पादन की तकनीकों को आधुनिक बनाकर उनकी उपज में भी वृद्धि की है. पिछले कुछ वर्षों में प्रदेश में चीनी मिलों का आधुनिकीकरण किया गया, सल्फर-मुक्त चीनी का उत्पादन शुरू हुआ, और कई नई डिस्टिलरी तथा को-जेनरेशन प्लांट्स की स्थापना हुई.
रिकॉर्ड भुगतान से मिला किसानों को भरोसा
2017 से पहले तक गन्ना किसानों को समय पर भुगतान की सबसे बड़ी समस्या का सामना करना पड़ता था. लेकिन योगी सरकार ने इसे प्राथमिकता दी और अब तक 2.85 लाख करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान किसानों को किया जा चुका है. यह आंकड़ा 1995 से 2017 तक के कुल भुगतान से करीब 72,000 करोड़ रुपये ज्यादा है. इतना ही नहीं, साल 2024-25 के भुगतान का 83.8% हिस्सा पहले ही किसानों को मिल चुका है.
खेती का क्षेत्रफल और उत्पादन दोनों में उछाल
सरकार की पारदर्शी नीतियों और समयबद्ध भुगतान से किसानों का भरोसा गन्ना खेती में और मजबूत हुआ है. 2016-17 में जहां गन्ना खेती का क्षेत्रफल 20.54 लाख हेक्टेयर था, वहीं अब यह बढ़कर 29.51 लाख हेक्टेयर हो गया है — यानी 44% की वृद्धि. साथ ही प्रति हेक्टेयर उत्पादन 72.38 टन से बढ़कर 84.10 टन तक पहुंच गया है.
एथेनॉल उत्पादन में उत्तर प्रदेश सबसे आगे
गन्ने से एथेनॉल उत्पादन के क्षेत्र में उत्तर प्रदेश देश का अगुवा बन चुका है. 2023-24 में प्रदेश की 102 डिस्टिलरियों ने 150 करोड़ लीटर से अधिक एथेनॉल का उत्पादन किया. इसके अतिरिक्त सरकार ने 6,771 करोड़ रुपये के निवेश से और 105 करोड़ लीटर क्षमता जोड़ने की योजना बनाई है, जिससे न सिर्फ किसानों की आय बढ़ेगी, बल्कि ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता भी आएगी.
रोज़गार के नए अवसर और औद्योगिक विस्तार
प्रदेश में फिलहाल 122 चीनी मिलें, 236 खांडसारी इकाइयां, 8,707 कोल्हू, 65 को-जेनरेशन प्लांट्स और 44 डिस्टिलरी यूनिट्स सक्रिय हैं. इनसे लगभग 9.81 लाख लोगों को रोजगार मिला है, जो ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती दे रहा है.
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