अब वो दिन दूर नहीं जब उत्तर प्रदेश के गांवों और छोटे शहरों की बेटियां भी डिजिटल टूल्स पर काम करेंगी, बजट बनाएंगी, अपनी कमाई का हिसाब खुद रखेंगी और आत्मनिर्भर बनेंगी. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में प्रदेश सरकार ने बेटियों की तरक्की के लिए एक क्रांतिकारी कदम उठाया है. 746 कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों (केजीबीवी) में पढ़ रही करीब 80,000 छात्राओं को अब फ्री डिजिटल और फाइनेंशियल ट्रेनिंग मिलेगी वो भी इंटरनेशनल स्तर के कंटेंट के साथ.
'पासपोर्ट टू अर्निंग'
इस पूरे कार्यक्रम को यूनिसेफ के सहयोग से चलाया जाएगा और इसमें ‘पासपोर्ट टू अर्निंग’ (P2E) नाम का ऑनलाइन प्लेटफॉर्म इस्तेमाल किया जाएगा. खास बात ये है कि ये पूरा कोर्स निःशुल्क है और इसे पूरा करने के बाद छात्राओं को एक मान्यता प्राप्त प्रमाण पत्र भी मिलेगा, जो उनके करियर के लिए अहम साबित हो सकता है.
क्या-क्या सीखेंगी बेटियां?
इस ट्रेनिंग में दो बड़े कोर्स होंगे. पहला वित्तीय साक्षरता (Financial Literacy), जिसमें 12 अध्याय होंगे. इसमें सीखाया जाएगा कि पैसे का बजट कैसे बनाएं, सेविंग कैसे करें, डिजिटल पेमेंट और ऑनलाइन सुरक्षा और कर्ज से कैसे बचें. दूसरा इसमें डिजिटल साक्षरता (Digital Literacy) के बारे में सीखाया जाएगा, जिसमें 8 अध्याय होंगे. इसमें बेटियां एक्सेल और पावरपॉइंट का इस्तेमाल, बेसिक कंप्यूटर स्किल्स, डिजिटल दुनिया में सुरक्षित रहना है, ये सब सीखेंगी. हर कोर्स लगभग 10 घंटे का होगा, जिसमें वीडियो, अभ्यास और ऑनलाइन टेस्ट शामिल हैं. मोबाइल या कंप्यूटर के जरिए छात्राएं यह कोर्स कहीं से भी कर सकेंगी.
शिक्षकों को पहले दी जाएगी ट्रेनिंग
इस पहल की शुरुआत 20 मई से होगी. हर स्कूल से एक-एक नोडल शिक्षक को पहले खुद प्रशिक्षण दिया जाएगा, और फिर वही शिक्षक छात्राओं को सिखाएंगे. 25 जुलाई तक सभी छात्राएं लॉग इन कर लेंगी. 10 सितंबर तक फाइनेंशियल कोर्स पूरा करेंगी. 30 अक्टूबर तक डिजिटल कोर्स पूरा होगा. नवंबर में पूरी रिपोर्ट तैयार कर सरकार को सौंपी जाएगी. बेहतर प्रदर्शन करने वाले विद्यालयों को जिला स्तर पर सम्मान भी दिया जाएगा, जिससे दूसरे स्कूलों को भी प्रेरणा मिलेगी.
"बेटियां हर मोर्चे पर सक्षम बनेंगी"
बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह ने कहा कि यह पहल सिर्फ पढ़ाई तक सीमित नहीं है. हम चाहते हैं कि बेटियां भविष्य में खुद अपने फैसले ले सकें अपनी कमाई कर सकें और आत्मविश्वास से भरपूर रहें. यह कार्यक्रम उन्हें 21वीं सदी की ज़रूरतों के लिए तैयार करेगा. सरकार का यह कदम बालिकाओं को शिक्षा के साथ-साथ व्यवहारिक ज्ञान देने का प्रयास है. इस प्रशिक्षण से बेटियां सिर्फ नौकरी के लिए नहीं, बल्कि ज़िंदगी के हर मोर्चे पर सक्षम बनेंगी. यूपी की यह योजना दूसरे राज्यों के लिए भी मिसाल बन सकती है.
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