Lucknow News: जब दवा ही ज़हर बन जाए, तो इलाज भी जानलेवा हो सकता है. लेकिन उत्तर प्रदेश में अब यह खेल ज़्यादा दिनों तक नहीं चल पाएगा. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में राज्य सरकार ने नकली दवाओं के खिलाफ अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई कर साफ संकेत दे दिया है कि जनस्वास्थ्य से खिलवाड़ अब नहीं चलेगा.
खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन (FSDA) ने वर्ष 2024-25 में रिकॉर्ड 30.77 करोड़ रुपये मूल्य की नकली दवाएं जब्त कर नष्ट कर दीं. इस दौरान 1,166 दवा कारोबारियों के लाइसेंस निरस्त किए गए, जबकि 68 आरोपियों को गिरफ्तार कर सलाखों के पीछे पहुंचा दिया गया.
कार्रवाई के केंद्र में ये तीन शहर
लखनऊ, आगरा और गाजियाबाद जैसे शहरों में FSDA की कार्रवाई विशेष रूप से तेज़ रही. इन इलाकों से न केवल नकली दवाएं बरामद की गईं, बल्कि ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन, नारकोटिक्स और नकली कॉस्मेटिक उत्पादों की खेप भी पकड़ी गई, जो कि अवैध रूप से स्वास्थ्य बाज़ार में खपाई जा रही थी.
जांच और छापेमारी
एफएसडीए ने पूरे प्रदेश में अब तक 1,039 छापेमारी अभियान चलाए. इस दौरान 13,848 दवाओं के नमूने लिए गए, जिनमें से 96 नमूने नकली और 497 अधोमानक पाए गए. यही नहीं, 463 दवा निर्माण इकाइयों, 647 ब्लड बैंकों, और 10,462 विक्रय प्रतिष्ठानों का निरीक्षण भी किया गया. नतीजतन, 6 निर्माण इकाइयों और 5 ब्लड बैंकों के लाइसेंस रद्द कर दिए गए.
जनस्वास्थ्य के प्रति संवेदनशीलता
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्पष्ट किया है कि जनस्वास्थ्य से खिलवाड़ करने वालों के लिए राज्य में कोई जगह नहीं है. उन्होंने इस मुद्दे को ‘जीरो टॉलरेंस ज़ोन’ घोषित करते हुए एफएसडीए और अन्य एजेंसियों को पूरी छूट दी है कि वे सख्त कार्रवाई करें.
आगरा की एक बड़ी कार्रवाई इसका प्रमाण है, जहां 8 करोड़ रुपये की नकली दवाओं के साथ 10 आरोपी गिरफ्तार किए गए. इससे यह स्पष्ट होता है कि यह समस्या स्थानीय स्तर पर ही नहीं, बल्कि संगठित गिरोह के रूप में फैली हुई है.
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