UNSC में अमेरिका ने दिया दोस्त का साथ, गाजा में सीजफायर प्रस्ताव पर वीटो लगाया, अब कैसे रुकेगी जंग?

    जब पूरी दुनिया गाजा पट्टी में चल रहे युद्ध के दर्द को रोकने की अपील कर रही थी, तब अमेरिका ने एक बार फिर अपने वीटो अधिकार का इस्तेमाल कर इस प्रयास को ठंडे बस्ते में डाल दिया.

    US vetoes Gaza ceasefire proposal in UNSC
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    वॉशिंगटन: जब पूरी दुनिया गाजा पट्टी में चल रहे युद्ध के दर्द को रोकने की अपील कर रही थी, तब अमेरिका ने एक बार फिर अपने वीटो अधिकार का इस्तेमाल कर इस प्रयास को ठंडे बस्ते में डाल दिया. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में बुधवार को हुए प्रस्ताव पर अमेरिका अकेला ऐसा देश था जिसने युद्धविराम के विरोध में मतदान किया, जबकि बाकी 14 सदस्य देशों ने युद्ध रोकने के पक्ष में समर्थन दिया.

    यह प्रस्ताव केवल युद्धविराम की अपील नहीं था, इसमें बंधकों की रिहाई, मानवीय सहायता बहाल करने और गाजा में राहत पहुंचाने के लिए बाधाएं हटाने की मांग भी शामिल थी.

    इजराइल की आत्मरक्षा सर्वोपरि- अमेरिका

    यूएन में अमेरिका की कार्यवाहक प्रतिनिधि डोरोथी शिया ने स्पष्ट किया कि वाशिंगटन इस प्रस्ताव के पक्ष में नहीं है क्योंकि इससे चल रहे कूटनीतिक प्रयास कमजोर होंगे. उन्होंने यह भी दोहराया कि इजराइल को अपनी सुरक्षा के लिए कार्रवाई करने का पूरा अधिकार है, और कहा कि कोई भी प्रस्ताव तब तक स्वीकार्य नहीं हो सकता जब तक उसमें हमास की निंदा न हो और उससे हथियार छोड़ने की मांग न की जाए.

    डोरोथी शिया ने यह भी उल्लेख किया कि संयुक्त राष्ट्र ने अभी तक हमास को आधिकारिक रूप से आतंकवादी संगठन नहीं माना है, एक ऐसी स्थिति जो अमेरिका की नजर में खतरनाक है.

    वीटो पावर: सुरक्षा परिषद की शक्ति और सीमाएं

    संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्य देशों- अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस और ब्रिटेन को वीटो शक्ति प्राप्त है. इसका अर्थ है कि यदि इनमें से कोई भी देश किसी प्रस्ताव को खारिज कर देता है, तो वह प्रस्ताव पारित नहीं हो सकता, भले ही शेष सभी 14 सदस्य उसका समर्थन करें.

    यह अंतरराष्ट्रीय प्रणाली की संरचनात्मक जटिलता को दर्शाता है, जिसमें एक अकेले देश का निर्णय पूरी वैश्विक सहमति पर भारी पड़ सकता है.

    जमीनी हकीकत: गाजा में मौत का तांडव जारी

    इस बीच, गाजा में हालात दिन-ब-दिन और खराब होते जा रहे हैं. 4 जून को इजराइली हमलों में 95 से ज्यादा लोगों की मौत हुई, जबकि 440 से अधिक घायल हुए. इजराइली सेना ने कई क्षेत्रों को ‘युद्ध क्षेत्र’ घोषित कर दिया है, जिसमें सहायता केंद्र भी शामिल हैं.

    राफा में सहायता वितरण के दौरान 1 जून को हुई गोलीबारी में 32 फिलिस्तीनी मारे गए, जबकि 232 लोग घायल हुए. 27 मई को भी 100 से अधिक लोग मारे गए थे, जो यह दर्शाता है कि संकट अब पूरी तरह से मानवीय तबाही में बदल चुका है.

    हमास बनाम इजराइल: एक संक्षिप्त पृष्ठभूमि

    संघर्ष की शुरुआत 1948 में हुई, लेकिन यह भयावह रूप 7 अक्टूबर 2023 को तब ले लिया जब हमास ने इजराइल पर बड़ा हमला किया. इसमें 1,195 लोग मारे गए और 251 लोग बंधक बना लिए गए.

    • हमास ने हमले को गाजा की नाकाबंदी, कब्जे और फिलिस्तीनी कैदियों की रिहाई से जोड़ा.
    • इजराइल ने जवाब में गाजा पर ज़बरदस्त हवाई हमले और 27 अक्टूबर से ज़मीनी हमला शुरू कर दिया.

    इस युद्ध में अब तक 55,000 से ज्यादा फिलिस्तीनी मारे जा चुके हैं, जिनमें बड़ी संख्या में महिलाएं और बच्चे शामिल हैं. गाजा का 80% हिस्सा विस्थापित और बर्बाद हो चुका है.

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